“चोर चोर मौसेरे भाई “ दोस्तों आपने समान्य जनजीवन की आम बोलचाल की भाषा में कभी न कभी किसी न किसी को इस तरह कहावतें, मुहावरे, लोकोक्तियाँ आदि को कहते जरूर सूना होगा। हम अक्सर अपने आस – पास या अपने बड़े बुजुर्गों से इस तरह की कहावतें और मुहावरे कहते सुनते देखते हैं।
दोस्तों आप किसी भी भाषा में बात कर लें जब से इंसान ने आपस में संवाद करने के लिए भाषा विकसित की है तब से यह लोकोक्तियाँ या मुहावरे कह लीजिये भाषा का एक अटूट हिस्सा रहीं हैं।
जब भी हमें अपनी बात किसी को समझाने के लिए कोई उपयुक्त उदाहरण देना होता है तो हम इस तरह की कहावतें और लोकोक्तियाँ का उपयोग करते हैं। दोस्तों आज का हमारा लेख भी हिंदी व्याकरण से संबंधित इन लोकोक्तियाँ पर आधारित है।
इस लेख में आप जानेंगे की क्या होती हैं लोकोक्तियाँ ? कैसे हम इनका उपयोग हम हिंदी भाषा के वाक्यों में करते हैं , लोकोक्तियाँ से संबंधित उदाहरण आदि। जानने के लिए लेख को अंत तक ध्यान से जरूर पढ़ें।
क्या होती हैं लोकोक्तियाँ या कहावतें (Hindi Proverb)?
लोकोक्तियाँ हिंदी भाषा में उपयोग होने वाले ऐसे वाक्यांश या वाक्य होते हैं जो परिस्थितियों के अनुसार उदाहरण के तौर पर लोगों के द्वारा उपयोग किये जाते हैं तथा इनके मूल रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
लोकोक्तियाँ लोगों के अनुभव, प्रचलित पौराणिक कथाएं, मान्यताएं आदि पर आधारित होती हैं जिसे लोगों के द्वारा संक्षिप्त और चुटीले अंदाज में एक दूसरे को सुनाया और बताया जाता है।
दोस्तों यहां हम आपको लोकोक्तियाँ से संबंधित कुछ प्रचलित परिभाषाओं के बारे में बता रहे हैं ताकि आप अच्छी तरह से समझ सकें की लोकोक्तियाँ का उपयोग कैसे किया जाता है।
डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार, “विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों एवं लोक विश्वास आदि पर आधारित चुटीला, सरगर्भित, सजीव, संक्षिप्त लोक प्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं जिनका प्रयोग बात की पुष्टि या विरोध, सीख तथा भविष्य कथन आदि के लिए किया जाता है।”
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार,“जनता में प्रचलित कोई छोटा सा सारगर्भित वचन, अनुभव अथवा निरीक्षण द्वारा निश्चित या सबको ज्ञात किसी सत्य को प्रकट करने वाली कोई संक्षिप्त उक्ति लोकोक्ति है।”
धीरेन्द्र वर्मा के अनुसार, “लोकोक्तियां ग्रामीण जनता की नीति शास्त्र है। यह मानवीय ज्ञान के घनीभूत रत्न हैं।”
डॉ. सत्येंद्र के अनुसार, “लोकोक्तियों में लय और तान या ताल न होकर संतुलित स्पंदनशीलता ही होती है।”
टेनिसन के अनुसार, “लोकोक्ति वे रत्न हैं जो लघु आकार होने पर भी अनन्त काल से चली आ रही हैं।
लोकोक्तियाँ और मुहावरे में क्या अंतर है ?
दोस्तों कई बार लोग यह समझ लेते हैं की लोकोक्तियाँ और मुहावरे दोनों एक ही हैं जबकि ऐसा नहीं है। हम आपको बताते हैं की लोकोक्तियाँ और मुहावरों में क्या अंतर है। दोस्तों लोकोक्तियाँ के बारे में हमने आपको उपरोक्त पद्य (Paragraph) में बताया है की लोकोक्तियाँ लोगों के द्वारा स्थानीय भाषा या बोली में प्रचलित पदबंध या वाक्यांश है।
जिनके स्वरुप लिखे,पढ़े व बोले जाने में कोई परिवर्तन नहीं होता है। जबकि मुहावरे छोटे या कहें की एक तरह के अपूर्ण वाक्य होते हैं जिनका अपना कोई शाब्दिक अर्थ ना होकर सिर्फ भावार्थ होता है। वाक्य में मुहावरे का उपयोग करने से वाक्य के अर्थ में कुछ विशेष परिवर्तन नहीं होता है जबकि लोकोक्तियाँ का उपयोग करने से पुरे वाक्य के अर्थ परिवर्तन हो जाता है।
लोकोक्तियाँ (Proverb) की विशेषताएं :-
लोकोक्तियाँ की कुछ अपनी विशेषताएं होती हैं जिनके बारे में हम आपको यहाँ बता रहे हैं –
- बड़े बुजुर्ग या किसी भी माध्यम से लोकोक्तियाँ में कही गयी बातें लोकसमाज का सही तरह से मार्गदर्शन करती हैं।
- लोकोक्तियाँ में दिए गए संदेश समाज में लोगों को धार्मिक उपदेश देने का कार्य करते हैं।
- मसकरे या व्यंगपूर्ण रूप से लोकोक्तियाँ में कही गयी बात लोगों को हास्य और मनोरंजन देती हैं।
- लोकोक्तियाँ जीवन के अनुभवों के बारे में बात करती है।
- लोकोक्तियाँ प्राचीन समय से अब तक बिना किसी परिवर्तन चली आ रही हैं और इसी तरह चलती रहेंगी।
- लोकोक्तियाँ समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए सर्वव्यापी (Omnipresent) और सर्वग्राही (Omnibus) होती हैं।
हिंदी भाषा की कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे
लोकोक्तियाँ (Proverbs) | अर्थ (Meaning) | वाक्य उदाहरण |
अंधों में काना राजा | मूर्ख व्यक्तियों के बीच में थोड़ा बहुत पढ़ा लिखा और समझदार | हमारे गाँव में एक प्रधान जी हैं जिन्हें सब लोग अंधों में काना राजा समझते हैं। |
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता | एक अकेला व्यक्ति किसी बड़े कार्य को दूसरे बिना सहयोग के नहीं कर सकता | सुरेश जानता है की उसके मालिक ने जो कार्य उसे दिया है वह अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। |
अधजल गगरी छलकत जाय | जिस व्यक्ति को अल्प ज्ञान होता है वहन उस अल्प ज्ञान के पुरे होने का ढोंग करता है। | उस लड़के को खेती के बारे में कुछ पता नहीं और खेती की बात करता है ये तो वही बात हुई अधजल गगरी छलकत जाय |
अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत | किसी कार्य को समय पर ना करके पछतावा करना व्यर्थ है। | काश तुमने यह पहले किया होता तो ऐसा नहीं होता। क्योंकि अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत |
अंधी पीसे, कुत्ते खायें | मुर्ख व्यक्ति अपनी कमाई व्यर्थ के कार्यों में नष्ट कर देता है। | राम के खर्चों को देखकर यह कहावत सही बैठती है की अंधी पीसे, कुत्ते खायें |
अति सर्वत्र वर्जयेत् | किसी भी कार्य को करते समय मर्यादा का उंल्लघन नहीं होना चाहिए। | जहां मर्यादा का उल्लंघन होता है, वहां मनुष्य को संकटों का सामना करना ही पड़ता है इसीलिए विद्वानों ने कहा है कि अति सर्वत्र वर्जयेत् |
अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग | किसी भी कार्य में अपनी बात को सर्वोपरि रखना। | आज कल ऑफिस में तो जिसके जो मन में आता, वह करता है। इसी को कहते हैं- अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग |
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है। | अपने क्षेत्र में बहादुरी दिखाना | तुम्हारे लिए तो यह बात बिलकुल सही है की अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है क्योंकि तुम बस अपने क्षेत्र में बहादुरी दिखा सकते हो। |
अपनी पगड़ी अपने हाथ | अपनी इज्जत बचाना अपने हाथ में होता है। | उन दोनों के झगड़ों में मत पड़ो क्योंकि अपनी पगड़ी अपने हाथ होती है। |
अपने मुँह मियां मिट्ठू बनना | अपनी तारीफ़ या बड़ाई स्वयं करना। | लोकेश ऐसा व्यक्ति है जो हमेशा ही अपने मुँह मियां मिट्ठू बनता है। |
अस्सी की आमद, चौरासी खर्च | होने वाली आय से अधिक खर्च करना। | यार तुम अपने वेतन से अस्सी की आमद, चौरासी खर्च करते हो तभी तुम्हारे पास कुछ नहीं बचता। |
अंधे की लकड़ी | किसी बेसहारे का सहारा बनना | राम अपने अंधे माता-पिता का अंधे की लकड़ी है। |
अपना हाथ जगन्नाथ | अपना कार्य स्वयं ही करना चाहिए। | सेठ ने अपने घर में हर एक काम के लिए नौकर रखे हुए हैं जो ठीक से काम नहीं करते हैं। इसलिए तो कहा गया है अपना हाथ जगन्नाथ। |
आदमी पानी का बुलबुला है | मनुष्य का जीवन नाशवान है। | श्री कृष्ण ने श्री मदभगवदगीता में कहा है मनुष्य का जीवन नाशवान है अर्थात आदमी पानी का बुलबुला है। |
आ पड़ोसन लड़ें | बिना किसी कारण के झगड़ा करना | क्लास में रमेश और सुरेश हमेशा ही लड़ते रहते हैं। ये तो वही बात हुई आ पड़ोसन लड़ें |
ऊँट के मुँह में जीरा | आवश्कयता के अनुसार कम होना | मैंने उससे तो 2,000 रूपये उधार मांगे थे परन्तु उसने सिर्फ 500 ही दिए इस परिस्थिति में एक कहावत याद आती है की ऊँट के मुँह में जीरा |
एक ही थैले के चट्टे बट्टे | एक ही तरह की प्रवृत्ति के लोग | यहां गावं में सब के सब एक ही थैले के चट्टे बट्टे हैं। |
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा | मामूली और फ़ालतू व्यक्ति | सेठ जी की दूकान में कोई भी ऐरा-गैरा नत्थू खैरा प्रवेश नहीं कर सकता |
ओखल में सिर दिया तो मुसल से क्या डरना | एक बार कष्ट सहने के लिए तैयार होने पर पीछे ना हटना | मोहन तुमने ओखल में सिर दे दिया है तो अब मुसल से क्या डरना। |
झट मंगनी पट ब्याह | किसी कार्य का एकदम जल्दी में हो जाना | उसने नौकरी के लिए अभी कुछ समय पहले ही इंटरव्यू दिया ही था उसकी नौकरी लग गयी। यार ये तो वही बात हो गयी झट मंगनी पट ब्याह। |
ठेस लगे, बुद्धि बढ़े | ठोकर लगने पर ही मनुष्य को बुद्धि आती है। | राम ने यह व्यापार शुरू करने से पहले बहुत बार हानि झेली है लेकिन आज वह एक सफल व्यापारी है। राम के ऊपर यह कहावत सही बैठती है की ठेस लगे, बुद्धि बढ़े। |
ढाक के वही तीन पात | कठिन परिश्रम करने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकलना | तुमने परीक्षा के लिए इतनी मेहनत की लेकिन परिणाम ढाक के वही तीन पात। |
तुम डाल-डाल तो मैं पात-पात | किसी की पल पल की खबर रखना या जासूसी करना | |
तुम्हारे मुँह में घी-शक़्कर | तुम्हारी कही गयी बात सच हो | तुम परीक्षा में प्रथम आओगे। यार तुम्हारे मुँह में घी-शक़्कर। |
थोथा चना, बाजे घना | वह व्यक्ति जिसके पास ना तो ज्ञान है और ना ही विद्या फिर भी वह विद्वान होने का नाटक करता है। | नगर में दर्शन देने आये नए बाबाजी थोथा चना, बाजे घना हैं। |
Lokoktiyan से संबंधित FAQs :-
मुहावरे एक प्रकार का अपूर्ण वाक्य होते हैं जबकि लोकोक्तियाँ एक तरह से सम्पूर्ण वाक्य होते हैं। मुहावरे का समय के साथ करने से अर्थ में कुछ ख़ास परिवर्तन नहीं होता। जबकि लोकोक्तियाँ हमेशा ही अपने मूल रूप में रहती हैं।
तीन में न तेरह में का अर्थ होता है की जिसका समाज में किसी से कोई संबंध ना हो।
दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया – सब रिश्तों से बड़ा धन या रूपये को मानना
वाक्य प्रयोग :- पुराने समय में मनुष्य के लिए रिश्ते ही सब कुछ होते थे परन्तु आज के आधुनिक मानव के लिए तो दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया।
लोकोक्तियाँ परिस्थिति, पौराणिक कथाएं, भौगोलिक क्षेत्र, भाषा एवं बोली तथा प्रचलन के अनुसार विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं।
हिंदी भाषा में लगभग 300 से अधिक लोकोक्तियाँ हैं।