उत्तर प्रदेश के राजकीय प्रतीक पशु, पक्षी, वृक्ष, फूल, मछली

प्रत्येक देश के अपने प्रतीक और राष्ट्रीय चिन्ह होते हैं। भारत के द्वारा भी प्रतीकों और चिन्हों को अपनाया गया है। भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ साथ भारत के सभी राज्यों के अपने राजकीय प्रतीक और चिन्ह हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के द्वारा भी राज्य के प्रतीक के तौर पर चिन्हों को अपनाया गया ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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प्रत्येक देश के अपने प्रतीक और राष्ट्रीय चिन्ह होते हैं। भारत के द्वारा भी प्रतीकों और चिन्हों को अपनाया गया है। भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ साथ भारत के सभी राज्यों के अपने राजकीय प्रतीक और चिन्ह हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के द्वारा भी राज्य के प्रतीक के तौर पर चिन्हों को अपनाया गया है। उत्तर प्रदेश के राजकीय प्रतीकों में राज्य पशु, राजकीय पक्षी, राजकीय मछली और प्रशासनिक प्रतीक आदि शामिल हैं। इस लेख में हम आपको उत्तर प्रदेश राज्य के सभी राजकीय प्रतीकों के बारे में बतायेंगे। सभी प्रतीकों की सम्पूर्ण जानकारी के लिये इस लेख को पूरा अवश्य पढें।

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उत्तर प्रदेश के राजकीय प्रतीक पशु, पक्षी, वृक्ष, फूल, मछली
उत्तर प्रदेश के राजकीय प्रतीक पशु, पक्षी, वृक्ष, फूल, मछली

उत्तर प्रदेश राज्य के बारे में

वर्तमान में उत्तर प्रदेश जनसंख्या के आधार पर भारत का सबसे बडा राज्य है। क्षेत्रफल को आधार मानें तो उत्तर प्रदेश का स्थान भारत के राज्यों में चौथा है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ है। उत्तर प्रदेश को आर्यों के आगमन के साथ जोडा जाता है। वैदिक सभ्यता और सनातन धर्म का उदय भी उत्तर प्रदेश से ही माना जाता है। भारत की दो प्रमुख नदियों गंगा और यमुना के मैदानी भाग में उत्तर प्रदेश राज्य बसा हुआ है। हिन्दू धर्म में भी इस राज्य का बेहद धार्मिक महत्व है। भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या मानी जाती है जो कि उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसके साथ ही वाराणसी, गोरखपुर, आगरा और अमेठी जैसे कई ऐतिहासिक राजनैतिक महत्व रखने वाले प्रमुख शहर उत्तर प्रदेश में स्थित हैं

18 वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासनकाल में उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रान्त के नाम से जाना जाता था। जिसकी सीमायें आज के उत्तर प्रदेश से काफी हद तक मिलती जुलती है। आजादी के पश्चात तत्कालीन रियासतों रामपुर और टिहरी गढवाल को भी संयुक्त प्रान्त में मिला लिया गया। जब भारत में संविधान लागू हुआ तो 1950 में संयुक्त प्रान्त का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।वर्ष 2000 ई में उत्तर प्रदेश के पहाडी जिलों और गढवाल तथा कुमाउं मण्डल को मिलाकर एक अलग राज्य उत्तराखण्ड बनाया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त हुआ।

उत्तर प्रदेश के राजकीय प्रतीक

अन्य सभी प्रदेशों की तरह उत्तर प्रदेश के द्वारा भी राजकीय प्रतीकों को अपनाया गया है। इनमें के कुछ प्रतीक या तो संकटग्रस्त अथवा लुप्तप्राय वन्यजीव हैं। जिनका संरक्षण भी राज्य सरकार के द्वारा किया जा रहा ह। उत्तर प्रदेश राज्य के सभी प्रतीकों की जानकारी आपको आगे प्रदान की जा रही है।

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उत्तर प्रदेश का राजकीय चिन्ह

  • उत्तर प्रदेश राज्य का प्रशासनिक प्रतीक अथवा राजकीय चिन्ह स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तैयार कर लिया गया था। वर्ष 1938 में उत्तर प्रदेश के राजकीय चिन्ह को वर्ष 1938 में स्वीकार किया गया था। तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी इसे राजकीय प्रतीक का दर्जा दिया गया। राज्य के राजकीय चिन्ह में एक गोले के अन्दर दो नदियां हैं जो कि प्रदेश की मुख्य नदियों गंगा और यमुना को प्रदर्शित करता है। इन नदियों के दोनों ओर दो मछलियों की आकृति बनाई गयी है। जो कि उत्तर प्रदेश की राजकीय मछली का सूचक है। दोनों नदियों के उपर तीर कमान का निशान उकेरा गया है। यह तीनों आकृतियां एक गोले के अन्दर हैं। इसके बाहर एक दूसरा गोला बनाया गया है। जिसमें नीचे की ओर दोनों छोरों पर सितारे की आकृति है। इन सबके उपर उत्तर प्रदेश सरकार लिखा गया है।
Uttar pradesh Logo
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उत्तर प्रदेश का राजकीय पशु -(UP Ka Rajkiya Pashu)

  • बारहसिंघा को उत्तर प्रदेश राज्य का राजकीय पशु घोषित किया गया है। बाराहसिंघा के सींगों से कई शाखायें निकली होती हैं। सींगों की संख्या अधिक होने के कारण इसका नाम बारहसिंगा रखा गया है। भारत में यह प्रजाति मुख्यत उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र, असम और मध्य प्रदेश के वनों में पायी जाती है। देखने में यह प्रजाति हिरनों के काफी करीब मालूम होते हैं।
उत्तर प्रदेश के राजकीय प्रतीक पशु
उत्तर प्रदेश का राज्य पशु-बारहसिंगा

बारहसिंगा मूल रूप से शाकाहारी वन्यजीव है। इसका वैज्ञानिक नाम (Rucervus Duvaucelii) है। यह मूल रूप से जंगलों में रहने वाली प्रजाति है। किन्तु अत्यधिक शिकार होने और कम होते जंगलों के कारण यह प्रजाति भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के संकटग्रस्त वन्यजीवों की सूची में शामिल है। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा बारहसिंगा के संरक्षण के प्रयास भी किये जा रहे हैं। इनके लिये अभयारण्यों को आरक्षित किया गया है। इनमें दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और किशनपुर वन्य जीव विहार प्रमुख है। यहां इनकी अच्छी आबादी है।

यूपी की राज्य मछली

  • उत्तर प्रदेश राज्य की लगभग सभी नदियों में मुख्यतः मछली की यह प्रजाति पायी जाती है। शरीर पर सुन्दर सुनहरी आकृति होने के कारण इसे चितला या चीतल कहा जाता है। स्थानीय स्तर पर इसे मोय के नाम से भी जाना जाता है। चीतल का वैज्ञानिक नाम Catla Catla है।
  • यह आकार में काफी छोटी होती है तथा तालाबों और जलाशयों में आसानी से इनका पालन किया जा सकता है। नदियों के साथ साथ प्रदेश के निवासी मत्स्य पालन के अन्तर्गत भी चीतल का पालन करते हैं। चीतल को काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक माना जाता है। इसी कारण से अधिकांशतः यह मछली प्रदेश वासियों के द्वारा भोजन के लिये उपयोग में लायी जाती है। अधिक खपत होने के कारण मछली की यह प्रजाति भी संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में सम्मिलित की गयी है।
उत्तर प्रदेश की राजकीय मछली
State Fish of Uttar Pradesh Cheetal

यूपी का राज्य पक्षी

  • उत्तर प्रदेश में सारस पक्षी को राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया है। यह उडने वाले सबसे लम्बे पक्षियों में से एक है। इनकी उंचाई लगभग 6 फीट होती है जो इसे शुतुरमुर्ग के समान दिखने वाला पक्षी बनाती है।
  • इसका वैज्ञानिक नाम Grus Antigone है। सारस अधिकतर तालाबों और नदियों के किनारे की दलदली भूमि में रहना पसन्द करते हैं। यह पक्षी हमेशा जोडे के साथ रहते हैं। उत्तर प्रदेश के साथ साथ यह मध्य भारत में भी पाया जाता है।
all symbols of up.
उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी

यूपी का राज्य वृक्ष

  • उत्तर प्रदेश का राज्य वृक्ष अशोक का वृक्ष है। यह वृक्ष हिन्दू धार्मिक मान्यताओं से जुडा हुआ है। कहा जाता है कि पौराणिक काल में पंचवटी में माता सीता के द्वारा अशोक के वृक्ष के नीचे ही निवास किया गया था। इसलिये स्थानीय स्तर पर इसे सीता अशोक भी कहा जाता है।
  • मान्यता है कि यह शोक का नाशक है जिस कारण इसका नाम अशोक पडा। इसका वैज्ञानिक नाम Saraca Asoca है। चिकित्सा की दृष्टि से यह बहुत ही उपयोगी वृक्ष है।
  • इस वृक्ष में भरपूर औषधीय गुण पाये जाते हैं। अशोक के वृक्ष की छाल और पत्तियों से दवाईयां बनायी जाती हैं। जिनका आयुर्वेद में बहुत महत्व है। आयुर्वेदिक ग्रंथों मे भी अशोक के वृक्ष का वर्णन मिलता है। धार्मिक मान्यताओं से जुडा होने के कारण इसे मंदिरों के समीप अधिक मात्रा में लगाया जाता है।
उत्तर प्रदेश का राजकीय वृक्ष
अशोक का वृक्ष-उत्तर प्रदेश का राज्य वृक्ष

उत्तर प्रदेश (यूपी) का राज्य पुष्प –

  • पलाश के फूल को उत्तर प्रदेश के राज्य पुष्प का दर्जा दिया गया है। स्थानीय भाषा में इसे पलाश और ढाक भी कहा जाता है। पलाश का वैज्ञानिक नाम Butea Monosperma है।
  • आर्युवेदिक चिकित्सा पद्वति में इस पौधे का बहुत महत्व है। इसकी छाल पत्तियों और फूल में औषधीय गुण पाये जाते हैं। यह अनेक रोगों में औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • इसके साथ ही ढाक के पेड से दोने और पत्तल भी बनाये जाते हैं। इसके पत्तों को सुखाकर चूर्ण बनाया जाता है। जो कि पेट से सम्बन्धित विकारों में बहुत ही लाभ दायक होता है। पशुओं के चारे के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। लगभग सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में यह पाया जाता है।
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उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प

उत्तर प्रदेश का राज्य पशु कौन सा है?

बारहसिंगा को उत्तर प्रदेश का राजकीय पशु घोषित किया गया है।

उत्तर प्रदेश का राज्य वृक्ष क्या है?

अशोक का वृक्ष उत्तर प्रदेश का राजकीय वृक्ष है।

उत्तर प्रदेश का पुराना नाम क्या है?

आजादी से पूर्व उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रान्त के नाम से जाना जाता था।

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उत्तर प्रदेश का विभाजन कब हुआ?

वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश के पहाडी जिलों को मिलाकर एक नया राज्य उत्तराखण्ड बनाया गया था।

सारस किस प्रदेश का राज्य पक्षी है?

सारस उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है।

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