अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण – International Womens Day Speech in Hindi 2023

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को को मनाया जाता है। महिलाओं के विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान तथा उपलब्धियों को पहचान दिलाने के लिए यह हर वर्ष मनाया जाता है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता की आज के समाज में महिलाओं का योगदान पुरुषों के बराबर रहा है बल्कि वे पुरुषों ... Read more

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Reported by Dhruv Gotra

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को को मनाया जाता है। महिलाओं के विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान तथा उपलब्धियों को पहचान दिलाने के लिए यह हर वर्ष मनाया जाता है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता की आज के समाज में महिलाओं का योगदान पुरुषों के बराबर रहा है बल्कि वे पुरुषों से भी आगे निकल गयी हैं।

शिक्षा के क्षेत्र से लेकर हेल्थ सेक्टर और ऐसे ही कई क्षेत्रों में जिसकी कल्पना पहले की सामाजिक स्थिति में करना नामुमकिन सा था उन सभी क्षेत्रों में महिलाओं का विशेष योगदान रहा है। किन्तु अभी भी समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हे महिलायें सिर्फ घर की चार दीवारी में ही अच्छी लगती हैं। अभी भी भारत ही नहीं बल्कि विकासशील देशों में महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण - International Womens Day Speech in Hindi 2023
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भाषण (स्पीच) तैयार करने के लिए अलग-अलग नमूने बहुत ही सरल भाषा में उपलब्ध करा रहे हैं जिसकी सहायता से आप भी बड़ी ही आसानी से अपने स्कूल या कॉलेज में प्रभावपूर्ण तरीके से अपनी स्पीच दे सकेंगे। इस आर्टिकल में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस स्पीच की भाषा को बेहद ही सरल हिन्दी भाषा में उपलब्ध कराया गया है जिसे आप बड़ी ही आसानी से समझ सकेंगे।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण (Speech on International Women’s Day in Hindi)

इस सभा में उपस्थित सभी बड़ों को मेरा सादर प्रणाम। आज हम सभी यहाँ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं इस अवसर पर मैं आप सभी महानुभावों के समक्ष महिलाओं के सम्मान में अपने कुछ शब्द प्रस्तुत करना चाहूंगी मुझे आशा है आप सभी को मेरी यह स्पीच पसंद आएगी ।

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जैसा की हम सभी जानते हैं की अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। 8 मार्च को महिलाओं के समाज में उनके योगदान और उनकी उपलब्धियों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने तथा समाज में उनके प्रति सम्मान प्रस्तुत करने के लिए मनाया जाता है। महिलाओं को समाज में विशेष स्थान और सम्मान दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को 28 फरवरी 1909 में पहली बार मनाया गया था। परंतु संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने वर्ष 1975 में इस दिवस को 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय रुप से मनाये जाने का निर्णय लिया।

समाज में फैली कुरूतियों का सबसे अधिक प्रभाव यदि किसी पर पड़ा है तो वह महिलाएं ही हैं सभी देशों में महिलाओं की स्थिति विचार करने योग्य है 21 वी शताब्दी में भी आजकल महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं। महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों के लिए कई प्रयास कई सदियों से किये जा रहे हैं।

और आज भी वे अपने मूलभूत अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। भारत एक ऐसा देश हैं जहाँ शुरू से ही पुरुष का वर्चश्व रहा है यानि यह समाज पुरुष प्रधान रहा है और अभी भी यही है। महिलाओं के वजूद को दरकिनार पहले से ही किया जाता रहा है। उनके सदैव ही अनदेखा किया जाता रहा है चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो सिर्फ घर के साफ़ सफाई और चला बर्तन तक ही उनका सीमांकन किया गया है।

शायद हमे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की आवश्यकता नहीं होती यदि महिलाओं की स्थिति प्रारम्भ से ही सही होती। अभी भी शायद ही कुछ लोग इस दिवस के बारे में जानकारी रखते होंगे इतने सालों में न जाने कितने बार हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मन चुके हैं पर सच्चाई तो यही है की महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों में कोई परिवर्तन विशेष रूप से आया हो।

आज भी कई लोग नहीं जानते की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है यह सच्चाई है। भारत में फैली हुई कई ऐसी प्रथाएं हैं जो महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन करती हैं हर धर्म में यह देखा गया है की महिलाओं को वो सम्मान नहीं प्राप्त हुआ है जिनकी वो हकदार रही हैं। वह सभी प्रथाएं जो महिलाओं के अधिकारों को कुचल रही हैं उनमे समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन किये तो गए हैं पर जमीनी तौर पर उनपर कार्य नहीं किया जाता है।

भारत ही नहीं अन्य विकसित देशों की महिलाओं की स्थिति कुछ ऐसे ही दिखाई पड़ती हैं किन्तु कहा जा सकता है की समयानुसार वहां पहले की तुलना में महिलाओं का अच्छा खासा महत्त्व है उनके सामजिक और शैक्षिक दृष्टि से उत्थान हुआ है समय-समय पर महिलाओं ने देश की उन्नति में अपना विशेष महत्त्व दिया है। भारत में कुछ हद तक महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन आया है पर यह काफी नहीं है। कई महिलाएं अभी भी अशिक्षित, घरेलु हिंसा से पीड़ित और कुपोषित हैं उनकी स्थिति में अभी तक कोई परिवर्तन नहीं आया है।

भारत देश एक ऐसा देश है जहाँ नारी को देवी स्वरुप मन जाता है। नवरात्रे पर कन्याओं की पूजा की जाती है अपनी परंपराओं तथा अपने सहिष्णुता के लिए यह देश पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चूका है परन्तु असल मायने में अभी भी हम नारियों को वह सम्मान नहीं दिला पाए जिनकी उन्हें आवश्यकता है। शिक्षा के अधिकार से अभी भी न जाने कितनी ही बालिकाएं कोषों दूर हैं। बालिकाओं को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है या उन्हें बेच दिया जाता है उन्हें बोझ समझा जाता है जो की अभी भी समाज में चल रहा है।

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सुरक्षा की दृस्टि से देखा जाए तो अभी भी लड़कियां घर से देर रात बाहर नहीं निकल सकती क्यूंकि न जाने कितने भेड़िये वहां उनका इन्तजार कर रहे होंगे। साल में एक बार इस दिवस को मना लेने के बाद इसे भुला दिया जाता है क्या सम्मान पाने के लिए एक दिन ही काफी है यदि हर रोज ही महिलाओं का सम्मान किया जाता तो शायद इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को 8 मार्च को मनाया ही न जाता।

सिर्फ एक दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मन लेने से महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं आ जाएगा न ही उनका विकास होगा जरुरी है हर दिन उनका सम्मान किया जाए। यह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आपको हर वर्ष दिलाता है की अपने महिलाओं को कितना सम्मान दिया है और उनके उत्थान और विकास के लिए अपने क्या कदम उठाये हैं।

माहिलाओं के लिए कुछ अपनी तरफ से कदम उठायें। महिलाओं का सम्मान करें सिर्फ 8 मार्च को नहीं हर दिन तभी सही मायनो में समझा जा सकेगा की महिलाओं को समाज में उचित स्थान दिया जा रहा है अपने घर से ही अपनी माताओं बहनो को सम्मान और स्नेह दें पुरुष प्रधान समाज की जंजीरों से महिलाओं को न जकड़ें उनका भी अपना अस्तित्व है।

हमारे देश ही नहीं कई ऐसे देश है जहाँ महिलाओं की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है महिलाओं को समाज में पुरुषों की तुलना में कम आंका जाता है महिलाओं को उचित सम्मान और अधिकार के लिए महिला एवं बाल कल्याण विभाग का भी गठन किया गया है। किन्तु हम विभाग के भरोसे नहीं रह सकते जरुरत है खुद से शुरुआत करने की।

आज के इस दौर में जब इंसान चाँद पर पहुंच गया है और कई क्षेत्रों में अपना डंका बजा रहा है को फिर भी आज तक महिलाओं के प्रति कुंठित सोच रखी जा रही है। उनके लिबास और उनके जोर जोर से हंस लेने भर से उनका चरितार्थ किया जाता है जो की इस समाज की विकलांग सोच का ही नतीजा है की अभी भी महिलाएं जब खुद के पैरों पर खड़ी हो चुकी हैं घर से बाहर जाने में हजार बार सोचती हैं।

आज के इस दौर में जब महिलाएं घर से लेकर कार्यालय सब कुछ संभाल रही हैं और किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं पायी जाती है तो क्यों उनको पुरुष प्रधान समाज में पैरों की जुटी समझा जाता है क्यों उनके साथ भेद-भाव किया जाता है। बालिकाओं को अभी भी बोझ समझा जाता है आइये हम सब मिलकर महिलाओं के उठान उनके स्वाभिमान की रक्षा के लिए इस दिन पर्ण लेते हैं की हम यथा संभव प्रत्येक महिलाओं के सम्मान की रक्षा करेंगे।

और स्वयं भी उनका सम्मान करेंगे और उनके उन्हें आगे बढ़ने के लिए सदैव प्रेरित करेंगे। यदि हर व्यक्ति यह संकल्प ले ले तो आने वाले समय में वह दिन दूर नहीं जब सही मायने में महिलाओं को उनका अधिकार और सम्मान प्राप्त होगा और वे देश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान बढ़-चढ़ कर दे सकेंगी। अपने शब्दों को विराम देते हुए मैं आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में ढेर सारी बधाइयां देती हूँ।

धन्यवाद!

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प्रिय साथी भाइयों और बहनों,

आज 8 मार्च के दिन हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं, एक दिन जो पूरी दुनिया में महिलाओं की उपलब्धियों और संघर्षों का जश्न मनाने के लिए समर्पित है। यह महिलाओं द्वारा समाज में किए गए महत्वपूर्ण योगदान को पहचानने, उनके सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करने और लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का दिन है।

इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम “डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार” है, जो हम सभी को लैंगिक पूर्वाग्रह और असमानता को चुनौती देने के लिए प्रोत्साहित करती है, जहाँ भी हम इसे देखते हैं। हमारी दुनिया में लैंगिक असमानता एक व्यापक समस्या बनी हुई है, और महिलाओं को अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

हमें इन बाधाओं को चुनौती देनी चाहिए, जिसकी शुरुआत लगातार लिंग वेतन अंतर से होती है। दुनिया के लगभग हर देश में आज भी महिलाएं पुरुषों से कम कमाती हैं। यह वेतन अंतर न केवल महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि यह उन्नति और कैरियर के विकास के लिए उनके अवसरों को सीमित करके लैंगिक असमानता को भी कायम रखता है।

हमें न केवल महिलाओं के लाभ के लिए बल्कि हम सभी के लाभ के लिए इस वेतन अंतर को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए। जब महिलाओं को उचित भुगतान किया जाता है, तो वे अपना और अपने परिवार का बेहतर समर्थन करने में सक्षम होती हैं, जो एक मजबूत, अधिक स्थिर समाज में योगदान देता है।

एक अन्य क्षेत्र जहां हमें चुनौती का चुनाव करना चाहिए वह है शिक्षा तक महिलाओं की पहुंच। शिक्षा सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली साधन है, लेकिन अभी तक दुनिया भर में बहुत सारी लड़कियों और महिलाओं को इससे वंचित रखा गया है। कुछ देशों में, सांस्कृतिक मानदंड और लैंगिक रूढ़िवादिता लड़कियों को स्कूल जाने से रोकती है, जबकि अन्य देशों में, गरीबी और संसाधनों की कमी परिवारों के लिए अपनी बेटियों को स्कूल भेजना मुश्किल बना देती है।

हमें इन बाधाओं को तोड़ने और यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए कि हर लड़की और महिला को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिले। इससे न केवल महिलाओं को स्वयं लाभ होगा बल्कि समग्र रूप से एक अधिक शिक्षित और समृद्ध समाज भी बनेगा।

हमें लैंगिक आधार पर होने वाली हिंसा और भेदभाव को भी चुनौती देनी चाहिए जिसका कई महिलाएं रोज़ाना सामना करती हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा शारीरिक और यौन हिंसा से लेकर मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार और उत्पीड़न तक कई रूप लेती है। हिंसा के ये रूप न केवल महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि उनके अवसरों को सीमित करते हैं और उनके जीवन को बाधित करते हैं। हमें सम्मान और समानता की संस्कृति बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, जहां महिलाओं को महत्व दिया जाता है और उनके अधिकारों की रक्षा की जाती है।

अंत में, हमें नेतृत्व के पदों पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी को चुनौती देनी चाहिए। आधी आबादी होने के बावजूद महिलाओं का राजनीति, व्यापार और नेतृत्व के अन्य क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व कम है। प्रतिनिधित्व की इस कमी का मतलब है कि महिलाओं की आवाज और दृष्टिकोण को अक्सर निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा जाता है,

जिससे ऐसी नीतियां और प्रथाएं बनती हैं जो महिलाओं की जरूरतों और प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं। हमें उन बाधाओं को दूर करने की दिशा में काम करना चाहिए जो महिलाओं को नेतृत्व की स्थिति हासिल करने से रोकती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि समाज के सभी पहलुओं में महिलाओं की आवाज सुनी जाए और उन्हें महत्व दिया जाए।

अंत में, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस लैंगिक समानता की दिशा में हमारे द्वारा की गई प्रगति को प्रतिबिंबित करने और शेष कार्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का एक अवसर है। हमें अपनी दुनिया में मौजूद लैंगिक पूर्वाग्रहों और असमानताओं को चुनौती देने का चुनाव करना चाहिए और सभी के लिए अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। हम सब मिलकर एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां हर महिला और लड़की को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने और भेदभाव और हिंसा से मुक्त जीवन जीने का अधिकार है।

धन्यवाद।

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