भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम:- दोस्तों आज हमारा देश भले ही आज़ाद हो गया हो लेकिन इस आज़ादी के पीछे बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष की कहानी है। आप तो जानते ही हैं की हमारा देश करीब 250 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। आप तो जानते ही होंगे जब अंग्रेज 1600 ईस्वी में व्यापार के उद्देश्य से भारत आये थे तो उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। कंपनी की स्थापना अंग्रेजों के द्वारा भारत को गुलाम बनाये जाने पहली नींव थी। जिसके बाद अंग्रेजों ने फुट डालो और राज करो की रणनीति को अपनाकर पुरे मध्य भारत में अपना शासन जमा लिया था। लेकिन इसी के साथ ही ब्रिटिश भारत में आज़ादी की आवाज़ें उठ रहीं थी जो आगे चलकर एक बड़े स्वतंत्रता संग्राम लेने वाली थीं। आज हम आपको 1857 की क्रांति के सम्पूर्ण इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। आज़ादी की विद्रोही आवाज़ों ने
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आगे चलकर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का एक बड़ा रूप ले लिया। आज हम आपको 1857 की क्रांति के असफल होने के कारण (Causes of failure), प्रभाव आदि के बारे में विस्तृत रूप से बताने जा रहे हैं। चलिए आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं 1857 क्रांति के सभी पहलुओं को।
1857 की क्रांति की शुरुआत कैसी हुई ?
दोस्तों गुलाम भारत में 1857 की क्रांति ब्रिटिश शासन की बहुत बड़ी घटना थी। आपको बताते चलें की 1857 की क्रांति का प्रारम्भ 10 मई 1857 को मेरठ से हुआ था। क्रांति की शुरुआत एक सैन्य विद्रोह की घटना के रूप में हुई थी। मेरठ में अंग्रेजों की बनी एक सैन्य छावनी थी जिसमें सिपाहियों को सैन्य अभ्यास का प्रशिक्षण दिया जाता था। प्रशिक्षण में बन्दूक चलाना, दौड़ना, युद्ध के तरीकों का अध्यन आदि शामिल था। विद्रोह की शुरुआत तब हुई जब यूरोप से बनकर आयी नई बंदूकों को चलाने का प्रशिक्षण सिपाहियों को दिया जा रहा था अंग्रेजों ने सेना में हिन्दू धर्म की जातियों के अनुसार अलग – अलग टुकड़ियां बनाई हुई थी ताकि विद्रोह के लिए उठने वाली आवाज़ों को दबाया जा सके। इन टुकड़ियों में एक टुकड़ी राजपूतों और ब्राह्मणों की थी जिसमें मंगल पांडे (Mangal Pandey) और कुछ अंग्रेज सिपाही थे।
मेरठ छावनी में किसी ने यह अफवाह फैला दी की जो लड़ाई के लिए यूरोप से नयी बंदूकें आयी हैं उसमें उपयोग होने वाले कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल हुआ है। यह सुन राजपूत और ब्राह्मण सैनिक भड़क गए और उन्होंने अभ्यास करने एवं बंदूकों को चलाने से मना कर दिया। अंग्रेजों ने इस विद्रोह को शांत करने के लिए मंगल पांडेय को गिरफ्तार कर लिया क्योंकि इस विद्रोह में मंगल पांडे की प्रमुख भूमिका थी। गिरफ्तार होने बाद मंगल पांडे को फांसी की सजा दे दी गयी।
1857 की क्रान्ति के कुछ मुख्य कारण (Reason):
दोस्तों आपको बता दें की देश में होने वाली 1857 की क्रांति को चार मुख्य कारणों में बांटा गया है। करणों की विस्तृत चर्चा हमने आर्टिकल में नीचे की है। आप इसके बारे में पढ़ सकते हैं।
- सैन्य कारण :
- क्रांति का सबसे बड़ा कारण बना अंग्रेजों के खिलाफ होने वाला सैन्य विद्रोह। सन 1806 में सेना की भोपाल टुकड़ी में काम करने वाले भारतीय सिपाही अंग्रेजों द्वारा बनाये गए नए नियम के खिलाफ थे। इन नए नियमों के अनुसार सिपाहियों को तिलक लगाने और टोपी पहनने को लेकर बैन लगा दिया था। धीरे – धीरे यह विद्रोह वेल्लोर से लेके बंगाल, सिंध और पाकिस्तान के रावलपिंडी तक पहुंच गया था।
- सेना में ब्रिटिश अधिकारियों के द्वारा भारतीय सिपाहियों के साथ अनुचित और ख़राब व्यवहार किया जाता था। अंग्रेजों द्वारा युद्ध में लड़ने के लिए गोरे सिपाहियों की जगह भारतीय सिपाहियों को भेजा जाता था।
- ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अंग्रेज सिपाही और अंग्रेज अधिकारीयों का वेतन भारतीय सिपाहियों से कहीं अधिक होता था।भारतीय सिपाहियों को वेतन (Salary) के रूप में 9 रूपये प्रतिमाह दिए जाते थे।
- राजनैतिक कारण :
- उस समय के भारतीय गवर्नर रहे लार्ड डलहौजी ने प्लासी के युद्ध के बनाई गयी नीतियों से विद्रोह को भड़काने का काम किया।
- आपको बतातें चलें की लार्ड डलहौजी की बनाई गयी नयी शासक नीतियों से अवध, नागपुर, झाँसी, सतारा, नागपुर, सम्बलपुर, सूरत और ताजोर आदि सभी क्षेत्र की आम जनता काफी नाराज़ थी।
- पुरातन समय से बच्चों को गोद लेना हिन्दू समाज की प्राचीन परम्परा रही। लेकिन डलहौजी के द्वारा इसका विरोध होने पर लोगों के मन में विद्रोह की भावना को और भी ज्यादा भड़का दिया।
- आर्थिक कारण :
- प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेजों ने भारतीय सम्पत्तियों को लूटना शुरू कर दिया जिससे देश में बेरोजगारी और गरीबी जैसे हालात हो गए।
- सन 1833 में यूरोपियन कंपनियों के चार्टर एक्ट को लाने से यह कंपनियां भारत में व्यापार करने लगी यह कंपनियां यहाँ से सस्ते में रेशम और कपास ले जाती थीं और यूरोप में मशीनों द्वारा कपड़े बनाकर भारत के बाज़ार में महंगे और ऊँचे दामों में बेचा करती थी। इस स्थिति में आने पर भारतीय व्यापरियों पर आर्थिक दबाव बढ़ने लगा तथा भारतीय व्यापारियों का बिजनेस ठप होने लगा।
- इस तरह के आर्थिक दबाव के कारण भारत के छोटे – छोटे उद्योग बर्बाद होने लगे देश बहुत ही आर्थिक तंगी की हालत में पहुँच गया था। लोगों से जबरदस्ती करों (Taxes) को वसूला जाने लगा।
- ऐसी आर्थिक स्थिति ने समाज के बीच एक असंतुलन पैदा कर दिया था।
- धार्मिक कारण :
- अंग्रेजों ने जब देश में लोगों को धर्म के नाम लड़ते हुए देखा तो उन्हें लगा की अपना शासन स्थापित करने के लिए हम इसका फायदा उठा सकते हैं।
कौन रहे 1857 क्रांति (Revolution) के महानायक स्वतंत्रता सेनानी :
दोस्तों वैसे तो भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारियों की लिस्ट तो बहुत बड़ी है। लेकिन यहां हमने आपको कुछ महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों के नाम एवं उसने संबंधित स्थान के बारे में बताया है। इन क्रांतिकारियों का 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान रहा। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ महानायक क्रांतिकारियों के बारे में
क्रमांक | क्रांतिकारी नेता का नाम | स्थान |
1 | नानासाहेब | कानपुर |
2 | बेगम हजरतमहल | लखनऊ |
3 | खान बहादुर | बरेली |
4 | कनुवार्सिंह | बिहार |
5 | कन्दपरेश्वर सिंह,मनीराम दत्ता | असम |
6 | सुरेन्द्र शाही,उज्जवल शाही | उड़ीसा |
7 | जयदयाल सिंह और हरदयाल सिंह | राजस्थान |
8 | मौलवी अहमदुल्लाह | फैजाबाद |
9 | रानी लक्ष्मीबाई | झांसी |
10 | जनरल बख्त खान | दिल्ली |
11 | राजा प्रताप सिंह | कुल्लू |
12 | गजधर सिंह | गोरखपुर |
13 | सेवी सिंह,कदम सिंह | मथुरा |
14 | फ़िरोज़ शाह | मंदसौर |
क्या कारण रहे 1857 की स्वतंत्रता संग्राम क्रांति के असफल होने के (Causes of failure First War of Independence 1857) :
जब हमारा देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था तो देश के हर एक कोने में अपने – अपने क्षेत्रों, गाँवों, कस्बों और राज्यों को अंग्रेजों से आज़ाद कराने की कोशिशें चल रही थी। अगर कोई अपने स्तर पर इस तरह का प्रयास कर भी रहा था तो उसे अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का सामना करना पड़ता था। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों में स्वतंत्रता सेनानियों को तोप के आगे खड़ा करके या फांसी पर लटका के अथवा जेल में क्रूर यातनाओं के द्वारा आज़ादी के लिए उठने वाली आवाज़ों को दबा दिया जाता था। हम आपको आगे आर्टिकल में 1857 क्रांति के असफल होने के मुख्य कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं। यह कारण इस प्रकार से हैं।
- क्रांति के लिए सर्वसम्मति से रणनीति का तैयार ना होना : क्रान्ति के असफल होने के सबसे बड़े कारणों में से एक था इसका कोई संगठित रणनीति का ना होना। जब 1857 क्रांति की शुरुआत हुई तो संचार के साधनों के अभाव के कारण देश के अलग – अलग हिस्सों में अलग – अलग समय पर विद्रोह की चिंगारियां जल उठीं। इतिहासकार मानते हैं की यदि यह एक ही समय पर संगठित होकर शुरू की गयी होती तो हमें आज़ादी 1947 से काफी पहले मिल जाती।
- क्रांति के हर नेता की अपनी सोच और विचार-धारा : आज़ादी के विद्रोह के समय भी राजनीति भी कुछ कम नहीं थी। कुछ नेता सिर्फ अपना क्षेत्र , राज्य अंग्रेजों से आज़ाद कराने के लिए 1857 की क्रांति में शामिल थे। लेकिन उनका क्रांति में शामिल होना अपने कार्य को साधना था जिससे विद्रोह में एकजुटता की कमी को उजागर किया और यह बता दिया की आज़ादी के लिए देश को संगठित होना होगा।
- अंग्रेजों द्वारा सामान्य जन पर की जाने वाली क्रूरता : किसी भी सभा हो या सम्मलेन में भारतीयों को जाने की मनाहीं थी। यदि कोई भी सभा की जाती तो अंग्रेजों द्वारा सभा को भंग करने के लिए सामान्य – जनमानस पर क्रूर तरीके से लाठियां और गोलियां चलवाई जाती थी। इस डर के कारण लोग विद्रोह के लिए होने वाली सभाओं में जाने से डरते थे।
- क्रांतिकारियों द्वारा पुराने और जंग लगे हथियारों का इस्तेमाल : आज़ादी की लड़ाई में हमारे पास लड़ने के लिए पुराने प्राचीन काल के हथियार थे। जबकि अंग्रेजों के पास यूरोप से बनी दूर तक मार करने वाली राइफलें और बदूक थीं। इन हथियारों के सामने भारतीयों का पुराने हथियारों के साथ युद्ध करना सम्भव नहीं था।
- कुछ राज्य के शासकों का अंग्रेजों से मिला होना : क्रांति के असफल होने के सबसे बड़े कारणों में देश के गद्दारों और अंग्रेजों से मिले हुए शासकों का बहुत बड़ा हाथ था।
- क्रांति का व्यापक एवं बड़े स्तर ना होना : जैसे की हम आपको बता चुके हैं की क्रांति की शुरुआत देश के विभिन्न हिस्सों में छोटे-छोटे विद्रोह के रूप में जो की ना तो आपस में संगठित था और ना ही केंद्रित था।
1857 की क्रांति के प्रभाव :
बेशक 1857 की क्रांति बड़े और व्यापक स्तर की नहीं थी लेकिन इस छोटी सी क्रान्ति से पुरे देश में स्वतंत्रता की ज्वाला को भड़का दिया था। आगे आर्टिकल में हम 1857 क्रांति के पुरे देश में प्रतिकूल अल्प-कालीन और दीर्घ कालीन प्रभावों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं –
- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के अल्प-कालीन प्रभाव :
- इतिहासकारों का मानना है की 1857 क्रांति में होने वाले सैन्य विद्रोह के प्रभाव को अगले 3 सालों तक देखा गया था। यह उस समय की बात जब अंग्रेजीं सरकार का पूरा नियंत्रण ईस्ट इंडिया कंपनी से हटकर ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के पास आ गया था। कई इतिहासकार मानते हैं की रानी विक्टोरिया को भारत की संस्कृति और लोगों से बहुत लगाव था। रानी से देश के हर क्षेत्र से संबंधित मसलों के लिए एक निजी सलाहकार नियुक्त किया हुआ था।
- रानी विक्टोरिया के समय ब्रिटिश इंडियन आर्मी में ज्यादातर सिपाही सिर्फ ब्रिटिश अंग्रेज ही होते थे। कहा जाता है की आर्मी में हर नौवां सिपाही अंग्रेज ही होता था। लेकिन 1857 की क्रांति ने अंग्रेजों के ऊपर ऐसा प्रभाव डाला की अंग्रेजों ने अपनी ब्रिटिश आर्मी में 40 % तक सिपाहियों की भर्ती कम कर दी थी। अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश आर्मी में सैनिकों की भर्तियों का अनुपात 1:3 कर दिया था ताकि भारतीयों को सेना में कम से कम भर्ती किया जा सके।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद जो अंग्रेजों की आर्मी में सिपाही हिन्दू ब्राह्मण और राजपूत थे वे सभी सेना को छोड़कर क्रांतिकारी दलों और सगठनों में शामिल होने लगे। अंग्रेजों इस विद्रोह को रोकने के लिए उत्तर-पूर्व के सिख्खों और मुस्लिमों को अपनी ओर मिलाना शुरू कर दिया।
- अंग्रेजों ने जब यह देखा की यह विद्रोह एक बड़े आंदोलन का रूप लेता जा रहा है तब अंग्रेजों ने भारतीयों की जमीन और उनके मालिकों पर कब्ज़ा करके अत्याचार करने शुरू कर दिए।
- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के दीर्घ-कालीन प्रभाव :
- जब यह 1857 का विद्रोह अंग्रेजों के हाथ से निकलने लगा। तो अंग्रेजों ने अपनी साख बचाये रखने के लिए फूट डालो और राज करो की रणनीति को अपनाया। इसके लिए अंग्रेजों ने भारतीय समाज में फ़ैली धार्मिक अफवाहों और कट्टरताओं का सहारा लेकर लोगों को आपस में लड़वाना शुरू कर दिया। ताकि लोग आज़ादी के संघर्ष के बारे में ना सोचकर धर्म की लड़ाइयों में उलझे रहें।
- जो राजा या शासक अंग्रेजों के साथ अपने स्वार्थ के कारण मिले हुए थे। उन्होंने समाज को शोषित और शोषक के दो वर्गों में बांटना शुरू कर दिया जिससे समाज में दूरियां बढ़ने लगे और आम -जन में फैलने वाले आक्रोश को दबाया जा सके।
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (FAQs) :
1857 क्रांति (Revolution) की शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ की सैन्य छावनी में हुए सैनिक विद्रोह से हुई थी।
1857 क्रांति के समय भारत के गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी थे।
सन 1806 में ब्रिटिश भारत की ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने ब्रिटिश भारतीय शासन की बागडोर उस समय की इंग्लैण्ड की रानी विक्टोरिया के हाथों सौप दी थी।
महारनी विक्टोरिया 20 जून 1837 से 22 जनवरी 1909 तक ब्रिटेन की रानी रही।
सन 1858 से 1947 तक लार्ड कैनिंग भारत के वॉयसराय और गवर्नर जनरल रहे।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना 31 दिसम्बर 1600 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुई थी।