जैसा कि हमें पता है कि हमारे जीवन मे वनों का कितना महत्व है और बिना वनो के जीवन व्यर्थ है। हमें वनो से बहुत लाभ प्राप्त होते है। पृथ्वी का संतुलन भी वनो के कारण ही बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन भी वनो पर निर्भर करती है या फिर हम यह कह सकते है कि हमारा जीवन वनो पर टिका हुआ है। वनो से हमें स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ वायु तथा स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है। इस लेख में हम बताएंगे की वन किसे कहते हैं ? (Van kise kahte hain), भारत में पाए जाने वाले वनों के प्रकार और प्रमुख वन के नाम क्या हैं।
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वन किसे कहते हैं ?
किसी भी जगह पर पेड़ पोधो से घिरा हुआ वह भाग वन कहलाता है या फिर हम यह कह सकते है कि वन वह क्षेत्र है जहा हरे पेड़ पौधे अधिक संख्या मे पाए जाते है। पर्यावरण संतुलन भी वनो के कारण ही बना होता है। यदि वन नहीं होंगे तो धरती का संतुलन बिगड़ जायेगा।
हमारे जीवन में जैविक पारस्थितिक तंत्र भी वनो के कारण ही बना हुआ है। सबसे पहले पेड़ पौधे आते है फिर जैसे-जैसे इनका घनत्व बढ़ता है ये वनो की श्रेणी में आ जाते हैं इस प्रकार हम कह सकते है वन पूरी तरह पेड़-पोधो और झाड़ियों पर निर्भर करते है। वनो में कई प्रकार की लाभकारी औषधियां पायी जाती है। दुनिया में वनो की विभिन्न प्रजातियां है पेड़ पौधे जीव जन्तुओ का आवास भी है वनो से ही वो भोजन प्राप्त करते है। वनो को बढ़ाने के लिए नए पोधो का रोपण करना जरुरी है इस लिए हर साल भारत में वृक्षारोपड़ किया जाता है।
हम सबको पता है की धरती के लिए वन कितने मत्वपूर्ण है। हमारे देश या पृथ्वी पर कई प्रकार के वन पाए जाते है तथा 9.5 फीसदी वन भाग पृथ्वी पर वनो से आच्छादित है परन्तु भारत में 21 फीसदी पर ही वन भूभाग स्थित है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पेड़ो की जनसँख्या में कमी आ गई दिन प्रतिदिन बढ़ते हुए ओद्योगिक विकास के कारण पेड़ो के भूभाग दिन प्रतिदिन घटते जा रहे है जिसके कारण धरती संकट में पड़ गयी है यह संकट कम होने के बजाये बढ़ता जा रहा है। इस समस्या से सभी चिंतित है।
वनों के प्रकार (types of forests)
भारत में कई प्रकार के वन पाए जाते है जलवायु परिवर्तन भी वनो पर ही निर्भर करता है आये देखते है भारत में कितने प्रकार के वन पाए जाते है –
- शुष्क सदाबहार वन
- मैंग्रोव वन
- सदाबहार वन
- नम प्रणपाती वन
- शंकुधारी वन
- कांटेदार वन
- अर्ध सदाबाहर वन
- आद्र सदाबहार वन
शुष्क सदाबहार वन
शुष्क सदाबहार वन शिवालिक की पहाड़ियों तथा हिमालय की तलहटी पर उत्तर दिशा में पाए जाते है। यह लगभग 1000 मीटर की उचाई पर स्थित होते है शुष्क सदाबहार वन देश के दक्षिण में कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश के तटीय इलाको में होते है। इन वनो की जलवायु शुष्क पायी जाती है ये सामान्यत: दीर्घकालिन, शुष्क मानसून भीषण सर्दी के होती है।
इन वनो की खासियत बात यह है की इन वनो की जलवायु शुष्क होती है जिसके कारण इन क्षेत्र में पायी जाने वाले पेड़ पौधे एवं झाड़ियाँ कटीली एवं कांटेदार जिनमे काटेदार पत्तियां भी होती है। कांटेदार होने के साथ ही इनमे खुसबूदार फूल भी लगते है। इन वनो में पर्णपाती पेड़ भी होते है। शुष्क सदाबहार वृक्षों की महत्वपूर्ण प्रजातियां इस प्रकार है। जैसे – अनार का पेड़, मौसमी का पेड़, जैतून का पेड़ आदि
मैंग्रोव वन–
ये वन मुख्य रूप से दलदली क्षेत्रो में पाए जाते है तथा इन्हे दलदलीय वन भी कहा जाता है। ये वृक्ष डेल्टा क्षेत्रो में नदियों में बहकर आये हुए मिटटी के कारण बढ़ते है। ये परमुख रूप से नदियों के डेल्टा एवं तटीय क्षेत्रो में मिलते है तथा इनको तटीय वन भी कह सकते है यह सीमित वन होते है यानि मेंग्रोव वनो मे सिमित संख्या में ही पेड़- पौधे पाए जाते है। इस प्रकार के वन देश में ब्रह्मपुत्र, गंगा और अंडमान निकोबार द्वीप समहू के डेल्टा क्षेत्रो अत्यधिक मात्रा में पाए जाते है। जैसे – ताड़ वका वृक्ष, मेंग्रोव खजूर का वृक्ष आदि
सदाबहार वन – सदाबहार वन वे वन कहलाते है ये वन बारह महीने भर तक हरे भरे रहते है तथा इनको हम बारहमास वन भी कह सकते है इन वनो को तराई वन भी कहा जाता है। सदाबहार वन भूमध्य रेखीय क्षेत्रो में पाए जाते है तथा यह वन पश्चिमी घाट पूर्वोत्तर तथा अंडमान निकोबार द्वीप समहू में भी स्थित होते है इन वनो को हम वर्षा वन भी कहते है क्युकी यहां हमेशा वर्षा होती है इन वनो में मानसून कई महीनो तक रहता है तथा यहां पेड़-पोधो की वृद्धि अत्यधिक तेज गति से होती है।
इन वनो में कीटो की संख्या अधिक होती है। यहां ज्यादातर कीट पानी में पाए जाते है या ये कहे ये कीट पानी वाले होते है। यहां के पेड़ो की ऊंचाई अधिक होती है जिससे छोटे पोधो को सूर्य की रौशनी नहीं मिल पाती है, जिसके कारण छोटे पौधे बड़े पेड़ो में बेल बनाकर चिपक जाते है और वह बेल सूर्य की रौशनी के लिए ऊपर बढ़ती जाती है। अत्यधिक वर्षा होने के कारण यहां के वृक्षों की खाल में काई या मॉस जम जाती है सदाबहार वृक्षों के पेड़ चिपके होने कई कारण ऊपर छत सा निर्माण कर देते है जिसके कारण छोटे पोधो तक धूप नहीं मिल पाती है तथा उनकी वृद्धि रुक जाती है। सदाबहार वनो में आर्किड्स तथा फर्न प्रकार के वन बहुत मात्रा में मिलते है। सदाबहार वन कहलाते है। जैसे – देवदार का वृक्ष, यव का वृक्ष, सरु आदि
नम प्रणपाती वन– नम पर्णपाती वनो में हमेशा प्रति वर्ष ये वन भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों से लेकर पूर्वी ढलानों एवं हिमालय तथा उड़ीसा जैसे इलाको या कहे क्षेत्रों में पाए जाते है। इन वृक्षों की खासियत बात यह है की ये गर्मियों में और सर्दियों के मौसम में अपने पत्ते गिरा देते है जिन पर मार्च से अप्रैल के बीच पत्तियां आना सुरु हो जाती है। इन वनो में गहराई (घनिष्ठता) अधिक देखने को मिलती है इन वनो में शाखा अधिक फैली होती है। नम प्रणपाती वनो के उदाहरण – चन्दन का पेड़, साल का पेड़, आंवले का पेड़ , महुवे का पेड़, शीशम का पेड़, सागौन का पेड़ आदि।
शंकुधारी वन– शंकुधारी वन वे वन कहलाते है जो संकु के आकर जैसे होते है मतलतब उनका जो आकर होता है वो संकु की तरह होता है इसलिए उन्हें शंकुधारी वन कहते है। ये वृक्ष ज्यादातर आपको ठन्डे इलाके मे मिलेंगे यहा का मौसम अत्यंत ठंडा होता है।
ये वन वहा पाए जाते है जहां का तापमान अत्यंत कम हो। ये हिमालय क्षेत्रों में पाए जाते है इन पेड़ो की पत्तियां अत्यंत कंटीली तथा चौड़ी होती है जिससे इनमे बर्फ नहीं टिकती। है ये वन विस्व के शीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाते है। शंकुधारी वनो के उदाहरण -चीड़ ,देवदार ,स्प्रूस , हेमलॉक आदि
कांटेदार वन – कांटेदार वन वे वन होते है जो कांटे नुमा होते है अर्थात इन वनो में आपको ज्यादातर वृक्ष कांटेदार मिलेंगे मतलब इन पेड़ो की जो पत्तियां होती है वो कंटीली होती है कांटेदार वन शुष्क वन भी कहलाते है क्यूंकि ये वन दो प्रकार के शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क प्रकार के होते है क्यूंकि यहाँ वर्षा अत्यंत कम होती है यहां वर्ष भर में औसतन वर्षा 50 सेमी होती है
ये वन भारत के पश्चमी और पूर्वी भागो में आपको देखने को मिलेंगे। कम बारिश होने के कारण इन पेड़ो की पत्तियां काटों में रूपांतरित हो जाती है। कांटेदार वन भारत के गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में पाए जाते है। इन इलाको में अत्यन्त गर्मी होती है जिस कारण इन वनो को मरुस्थलीय वन के नाम से भी है। कांटेदार वनो के उदाहरण – बबूल ,कैक्टस, बेर आदि
अर्ध सदाबाहर वन – अर्ध सदाबहार वन अंडमान निकोबार द्वीप समहू, पूर्वी हिमालय तथा पश्चिमी घाट मे पाए जाते है जिन भागो में यह वन पाए जाते है वहां वर्षा बहुत काम होती है अर्ध सदाबहार वन कहलाते है। ये वन अत्यन्त सघन होते है।अर्द्ध सदाबहार वनो के उदाहरण – सफ़ेद देवदार, कैल आदि
आद्र सदाबहार वन – आद्र सदाबहार वन भारत में पर्वी हिमालयों में ,पश्चिमी घाट तथा अंडमान निकोबार द्वीप समहू में पाए जाते है। इन पेड़ो की जो जड़ होती है वो त्रि पदीय होते है जिसके कारण इन वनो में लम्बे और सीधे वृक्ष होते है। तथा ज्यादा लम्बे होने से ये ऊपर फैल जाते है इन वनो के जंगल में बहुत प्रकार के फर्न तथा आर्किड्स भी उगे रहते है। आद्र सदाबहार वनो के उदाहरण – आम, सुपारी, जामुन आदि
प्रमुख वन के नाम– भारत तथा विश्व में कई प्रकार के वन पाए जाते है विश्व के अलग-अलग भागो में वन पाए जाते है जिनको अलग-अलग नामो से पुकारा जाता है इन वनो के नाम कुछ इस प्रकार है-
सुंदरवन- यह वन दस हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में बड़े रूप से बांग्लादेश से लेकर भारत के पश्चिमी बंगाल में फैला हुआ है। सुन्दर वन को सदाबहार वन भी कहा जाता है। सुन्दर वन डेल्टा का निर्माण गंगा तथा ब्रमपुत्र नदियों से होता है। भारत का सबसे बड़ा जंगल सुन्दर वन है। सुन्दर वन को दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा भी कहा जाता है।
अमेजन वर्षा वन – अमेजन नदी के पास स्थित यह यह जो वन है इसे दुनिया का सबसे बड़ा जंगल कहते है यह वन दक्षिण अमेरिका मे है। यह वन 53 लाख वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है यह जंगल ही सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्पादन करता है दुनिया में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन यहीं से प्राप्त होती है इस जंगल को धरती का फेफड़ा बोला जाता है।
गिर वर्षा वन – गिर वन गुजरात के जूनागढ़ में स्थित है और वन यह 1500 वर्ग किलोमीटर के भाग में विशाल रुप से फैल रखा है इन वनो में शेर पाए जाते है तथा यह वन बब्बर शेरो के लिए विख्यात है। इस क्षेत्र को संरक्षित किया गया है।
वन से सम्बंधित प्रश्न :-
वन किसे कहते हैं ?
वन एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर प्राकृतिक रूप से उगे पेड़-पौधों और वनस्पतियों का घनत्व अधिक होता है या ऐसा मान लें कि जहाँ पर प्राकृतिक वनस्पति की अधिकता होता है। आम भाषा में वन जो जंगल भी कहा जाता है।
भारत में कौन-कौन से प्रमुख वन हैं ?
भारत में मुख्यतः पांच प्रकार के वन पाए जाते हैं :- शुष्क उष्णकटिबंधीय,आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन, पर्वतीय उप-उष्णकटिबंधीय, अल्पाइन, शीतोष्ण तथा उप शीतोष्ण हैं।
भारत में वनों के प्रकार कितने हैं ?
भारत में वनों के प्रकार निम्न हैं :- शुष्क सदाबहार वन, मैंग्रोव वन, सदाबहार वन, नम प्रणपाती वन, शंकुधारी वन, कांटेदार वन, अर्ध सदाबाहर वन, आद्र सदाबहार वन।