अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी – Biography of Albert Einstein in Hindi Jivani

अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी विज्ञान की शिक्षा के आधार पर महत्वपूर्ण है। अल्बर्ट आइंस्टीन मानव इतिहास के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति थे। यह 20वी शताब्दी के शुरूआती 20 वर्षो तक विश्व के विज्ञान जगत पर छाए रहे। इन्होने अपनी खोजो के आधार पर अंतरिक्ष, गुरुत्वाकर्षण, समय गति के सिद्धांत दिए। यह उस समय के सबसे महान, विद्वान् ... Read more

Photo of author

Reported by Rohit Kumar

Published on

अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी विज्ञान की शिक्षा के आधार पर महत्वपूर्ण है। अल्बर्ट आइंस्टीन मानव इतिहास के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति थे। यह 20वी शताब्दी के शुरूआती 20 वर्षो तक विश्व के विज्ञान जगत पर छाए रहे। इन्होने अपनी खोजो के आधार पर अंतरिक्ष, गुरुत्वाकर्षण, समय गति के सिद्धांत दिए।

यह उस समय के सबसे महान, विद्वान् और लोकप्रिय वैज्ञानिक थे। आइंस्टीन हमेशा कहते थे कि मैं कोई महान व्यक्ति नहीं हूँ मैं भी अन्य लोगो की तरह सामान्य ही हूँ मेरे अंदर बस जिज्ञासा कूट कूट कर भरी है।

तो चलिए जानते है ऐसे विश्व विख्यात महान वैज्ञानिक के बारे में। आज हम आपको बतायेगे अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी – Biography of Albert Einstein in Hindi Jivani . विषय समबन्धी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को अंत तक पढ़े :-

अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी - Biography of Albert Einstein in Hindi Jivani
Biography of Albert Einstein in Hindi Jivani

अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी – Biography of Albert Einstein in Hindi Jivani

अल्बर्ट के अंदर एक असमान्य चीज थी जो उनको अन्य बच्चो से भिन्न बनाती थी वो था उनका सर। उनका सर बचपन में किसी सामान्य बच्चे की तुलना अधिक बड़ा था जो समय के साथ ठीक हो गया । जैसे जैसे वे बड़े होते रहे वे पूरी तरह सही से बोल नहीं पाते थे उन को बोलने में कठिनाई होती थी। और लगभग 4 वर्ष की उम्र तक वे कुछ भी नहीं बोल पाए।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

एक दिन जब आइंस्टीन अपने परिवार के साथ बैठ कर भोजन ग्रहण कर रहे थे तो इन्होने अपनी चार साल की चुप्पी तोड़ते हुए बोला कि सूप बहुत गर्म है। इस घटना से इनके माता पिता एक दम हैरान रह गए और बेहद ही खुश हुए।

बचपन में इनको अपनी उम्र के बच्चो के साथ खेलना पसंद नहीं था। उनकी एक अलग ही काल्पनिक दुनिया थी वे हमेशा पेड़ पौधो और इस ब्रह्माण्ड के बारे में सोचते रहते थे। उनके आतंरिक मैं में हमेशा ये बात रहती थी कि ये दुनिया आखिर चलती कैसे है।

आइंस्टीन के अंदर पहली बार विज्ञान के प्रति रूचि तब पैदा हुई जब उनके पिता जी ने उनको एक magnetic compass (चुम्बकीय परकार) ला कर दिया। कंपास को देख कर वे बहुत खुश हुए। लेकिन जब उन्होंने देखा की उस मैग्नेटिक कंपास की सूई हमेशा उत्तर दिशा की तरफ रहती है तो वे यह देख कर काफी हैरान भी हुए। नीचे आपको विस्तृत रूप से अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी के बारे में बताया जा रहा है।

जन्म और परिवार

Albert Einstein का जन्म 14 मार्च 1879 में जर्मनी के उल्म नामक शहर में हुआ था। यह एक यहूदी परिवार में जन्मे थे। इनके पिता जी का नाम हरमन आइंस्टीन और इनकी माता का नाम पॉलिन आइंस्टीन था। इनके पिता एक इंजीनियर थे और बिजली उपकरणो की सप्लाई करते थे।

इनका परिवार 1880 में म्यूनिख में रहने चला गया था। वहाँ इनके पिता जी और इनके चाचा ने एक कंपनी की स्थापना की जो बिजली के उपकरण बनती थी। अल्बर्ट के जन्म के 2 साल बाद उनकी बहन माजा का जन्म हुआ।

प्रारंभिक शिक्षा

5 वर्ष की उम्र में आइंस्टीन को कैथोलिक प्राइमरी स्कूल में डाल दिया लेकिन उनको स्कूल जाना बिलकुल पसंद नहीं था। बोलने में होने वाली कठिनाई के कारण इन्होने स्कूल जाना बहुत देर में शुरू किया। 9 साल की उम्र तक वे साफ़ नहीं बोल पाते थे।

Albert Einstein बचपन में एक अच्छे स्टूडेंट नहीं थे पढ़ाई में कमजोर होने के कारण उनको मंदबुद्धि भी कहा जाता था। 8 वर्ष की उम्र में उनका एडमिशन लुइटपोल्ड जिम्नेजियम स्कूल में हुआ।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

आइंस्टीन को लगता था कि उनके अध्यापक समझाने से ज्यादा किताबो को रटना सिखाते थे। फिर वे अपने अध्यापको से बहुत से अलग अलग प्रकार के सवाल करते थे। जिस बात से परेशान होकर उनके अध्यापक उनको मंदबुद्धि कहते थे। ये सब सुनने के बाद उनको लगा की उनकी बुद्धि का सम्पूर्ण विकास नहीं हुआ है।

उन्होंने दृढ निश्चय कर लिया कि अब वे भी सबसे आगे निकल कर दिखाएंगे। उस दिन के बाद आगे बढ़ने की चाह लेकर वे ज्यादा समय पढ़ने में बिताने लगे। कुछ ही समय में उनके इस अभ्यास का सकारात्मक प्रभाव दिखाई देना लगा जिसे देख कर उनके अध्यापक भी दंग रह गए।

उच्च शिक्षा

12 वर्ष की उम्र में अल्बर्ट आइंस्टीन ने पाइथागोरस थियोरम का अपना ही प्रूफ दे डाला और 14 वर्ष की उम्र में इंटीग्रल कैलकुलस में निपूर्ण हो गए थे। अल्बर्ट के अंकल जैकब उनकी पढ़ने में मदद करते थे उनको जब किसी सवाल में दिक्कत आती वे उसको बड़ी आसानी में समझा देते।

इसी दौरान अल्बर्ट के पिता जी की कंपनी को नुक्सान हुआ जिस कारण कंपनी बंद करनी पड़ी और नया काम ढूंढ़ने के लिए उनका परिवार इटली के के मिलान शहर में चले गए और कुछ महीनो बाद इटली के पाविया शहर में चले गए लेकिन पढाई के लिए अल्बर्ट म्यूनिख में ही अपने चचेरे भाई के साथ रहे। 1894 में वे बीमारी का बहाना करके अपने परिवार से मिलने के लिए इटली चले गए।

16 वर्ष की उम्र में आते आते वो गणित के कठिन से कठिन सवाल भी हल कर लेते थे। । 1895 में इन्होने ज़्यूरिख में स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक की प्रवेश परीक्षा दी जिसमे वे असफल रहे। लेकिन इस परीक्षा में उनके भौतिक विज्ञान और गणित में असाधारण अंक प्राप्त किये थे।

पॉलिटेक्निक स्कूल के प्रधानाचार्य की सलाह पर, उन्होंने 1895 से 1896 में स्विट्जरलैंड के आरौ में आर्गोवियन केंटोनल स्कूल में अपनी माध्यमिक स्कूली शिक्षा पूरी की। जिसके बाद 1896 में उनको ज़्यूरिख में स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक स्कूल में प्रवेश मिल गया। सन 1900 में इन्होने अपनी पॉलिटेक्निक से ग्रेजुएशन की। 11 अप्रैल 1905 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ जुरिच से पीएचडी की।

वैवाहिक जीवन

उनका विवाह उनकी सहपाठी मिलेवा मेरिक से हुआ था। मेरिक भी उन्ही के साथ पॉलिटेक्निक स्कूल से विज्ञान और भौतिकी विभाग में अध्य्यन पूरा करने वाली दूसरी महिला थी। इनकी शादी जनवरी 1903 में हुई थी। 1904 में उनके बेटे हंस अल्बर्ट का जन्म बर्न स्विज़रलैंड में हुआ था। उनके दूसरे बेटे एडुअर्ड का जन्म 1910 में ज्यूरिख में हुआ था।

इनकी पत्नी ने इनके बहुत सी रिसर्च में इनका पूरा साथ दिया। 1914 में आपसी झगड़ो के कारण मेरिक अपने दोनों बच्चो को लेकर Albert Einstein से अलग हो गयी और 1919 में दोनों ने एक दूसरे से तलाक ले लिया। तलाक के बाद अल्बर्ट ने एल्सा से दूसरी शादी कर ली।

करियर की शुरुआत

1900 में डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद उनको अपना खर्चा चलाने के लिए कुछ काम की आवश्यकता थी इसलिए अल्बर्ट ने सोचा कि वे कोचिंग में बच्चो को पढ़ाएंगे उस समय उनको कुछ बच्चे मिले भी लेकिन उनसे प्राप्त धन घर चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थी। 1901 में उनको स्विस की नागरिकता मिल गयी थी।

1902 में उनको स्विटज़लैंड बर्न के फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी में असिस्टेंट एग्जामिनर की नौकरी मिल गयी। पेटेंट ऑफिस में काम करने के लिए उन्होंने 1905 में पीएचडी की।

इसी साल उन्होंने चार अभूतपूर्व रिसर्च पेपर प्रकाशित किये फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट, ब्रोनियन मोशन, स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी और द एक्विवैलेन्स ऑफ़ मास एंड एनर्जी। जिसके बाद इनकी प्रसिद्धि बढ़ती गयी।

जिसके बाद वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्न के प्रोफेसर बन गए। 1909 में वे ज्यूरिख चले गए यूनिवर्सिटी ऑफ़ ज्यूरिख में प्रोफेसर की नौकरी की। 1911 में इन्होने जेनेरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी दी जिसकी मदद से पता चलता है कि गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है। इसी साल Albert Einstein जुरिच के प्राग में रहने लगे।

वहाँ उन्होंने चार्ल्स फर्डीनांड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की नौकरी की। और उन्हें ऑस्ट्रेलियन नागरिकता भी मिली। 2 अप्रैल 1921 में वे न्यूयोर्क शहर गए और उन्हें कोलम्बिआ और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में लैक्चर देने के लिए बुलाया गया।

विचार

अपने कठिन परिश्रम और अभ्यास के चलते Albert Einstein ने गणित और भौतिक विज्ञान में महारत हासिल की। शिक्षा को लेकर उनका विचार था कि शिक्षा वो है जो आपको तब भी याद रहे जब आप सब कुछ भूल गए हो। समय के साथ साथ वे इतने बुद्धिमान हो गए कि उन्होंने बहुत सारी अद्भुत खोज की।

आज पूरा विश्व उनको सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान ऊर्जा के समीकरण E =MC2 के लिए जानता है। उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी और प्रकाश विद्युत उत्सर्जन की खोज के लिए सन 1921 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। सन 1952 में अमेरिका ने अल्बर्ट आइंस्टीन के समक्ष इज़राइल का राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव रखा लेकिन अल्बर्ट ने यह प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा की वे राजनीति के लिए नहीं बने

प्रेरणा

इनसे हमे प्रेरणा मिलती है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वो मंदबुद्धि और तेजबुद्धि अपने कठिन परिश्रम के बलबूते पर संसार में कुछ भी कर सकता है। यह इतने बुद्धिमान थे कि अपने दिमाग में ही पूरी रिसर्च को सोच कर पूरा प्लान कर लेते थे जो लैब के प्रयोग से ज्यादा सटीक होता था।

इसलिए अल्बर्ट आइंस्टीन सबसे ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति माने जाते है। अल्बर्ट कहते थे कि धरती का प्रत्येक इंसान जिसने इस संसार में जन्म लिया है वे जीनियस है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करोगे तो वो अपनी सम्पूर्ण जीवन में खुद को मुर्ख सोच कर जीती रहेगी। सबमे एक अलग प्रकार का टैलेंट होता है।

अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी से सम्बंधित प्रश्न उत्तर
Albert Einstein ने कितने वैज्ञानिक शोध पत्रों को प्रकाशित किया है ?

अल्बर्ट आइंस्टीन ने 300 से ज्यादा वैज्ञानिक शोध पत्रों को प्रकाशित किया है।

आइंस्टीन द्वारा लिखा गया पहला रिसर्च पेपर कौनसा था ?

अल्बर्ट आइंस्टीन का पहला रिसर्च पेपर 1894 में लिखा था जिसका नाम द इन्वेस्टीगेशन ऑफ़ थे मैग्नेटिक फील्ड।

अल्बर्ट आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार किस वर्ष मिला था ?

आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार सन 1921 में मिला था।

Albert Einstein के चाचा का नाम क्या था ?

Albert Einstein के चाचा का नाम जैकब था।

Photo of author

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें