इस लेख में हम आज आपको गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी जानकारी (गौतम बुद्ध जीवनी) प्रदान करने जा रहे है। दोस्तों यदि आपने बौद्ध धर्म के बारे में किताबों में पढ़ा होगा तो आपने अवश्य ही गौतम बुद्ध के बारे में भी जानते होंगे क्योंकि यह बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था इनके द्वारा ही बौद्ध धर्म की स्थापना की है। इन्होने ज्ञान की प्राप्ति के लिए कई वर्षों तक तपस्या की और ध्यान में मग्न रहे। जब इनका विवाह हुआ और इनकी पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया उसके पश्चात ये सांसारिक दुखों से मुक्ति दिलाने की राह में ज्ञान की खोज में निकल पड़े अर्थात इन्होने अपना घर-बार त्याग दिया। कठोर तपस्या करने के बाद इन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई और ये गौतम बुद्ध बन गए। गौतम बुद्ध जीवनी के बारे में जानने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
गौतम बुद्ध जीवन परिचय
नेपाल के लुम्बिनी में 563 ई० में गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इनके पिता एक क्षत्रिय शासक थे जिनका नाम शुद्धोधन था तथा माता का नाम मायादेवी था। गौतम को जन्म देने के 7वें दिन पश्चात इनका देहांत हो गया। इसके पश्चात इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। इनकी सौतेली माता का नाम गौतमी था उन्होंने ही तथा इनकी मौसी ने उनका बचपन में पालन पालन किया। इनका असली नाम सिद्धार्थ वशिष्ठ था तथा इन्हे और नामों से जैसे- गौतम बुद्ध, शाक्यामुनि, बुद्धा तथा सिद्धार्थ गौतम आदि से बुलाया जाता था।
यह भी देखें- सम्राट अशोक जीवनी – Biography of Samrat Ashoka in Hindi Jivani
जब गौतम बुद्ध का जन्म हुआ और विद्वान इनकी जन्मपत्री बनाने के लिए आए तो उसमे से एक विद्वान उनको देखकर चकित हो गया उसने कहा कि यह बालक बड़ा होकर एक प्रसिद्ध व्यक्ति बनेगा जो पूरी दुनिया को उपदेश देगा तथा अपने घरबार का त्याग करके सांसारिक दुःख के अंत की तलाश में निकल पड़ेगा।
शिक्षा
सिद्धार्थ की शिक्षा की बात करें तो गुरु विश्वामित्र द्वारा ही उनकी शिक्षा को पूर्ण किया गया था अर्थ गुरु ने ही उन्हें वेद तथा उपनिषदों की शिक्षा प्राप्त कराई थी। उन्होंने सिद्धार्थ को युद्ध विद्या के साथ-साथ राजकाज की शिक्षा भी दी थी। उन्होंने तीर कमान, रथ चलाना तथा कुश्ती आदि कलाओं को भी सीखा वे इन कलाओं में इतने माहिर हो गए थे की उनकी तुल्यता कोई भी नहीं कर पाता।
यह भी देखें- स्वामी विवेकानंद की जीवनी ~ Biography Of Swami Vivekananda In Hindi
सिद्धार्थ जब 16 साल के थे तो उनके पिता ने उनकी शादी राजकुमारी यशोधरा से करवा दी और उनका एक पुत्र हुआ जिनका नाम उन्होंने राहुल रखा। परन्तु वे अपनी गृहस्ती से सुखी नहीं थे उनका जो मन था वो वैराग्य में चला गया और वे शांति का मार्ग ढूढ़ने के लिए अपने परिवार को छोड़कर निकल पड़े। सिद्धार्थ सोच में पड़ गए कि संसार में लोग इतने दुखी क्यों है वे दुखों से मुक्ति तथा सच्चाई का ज्ञान खोजने लगे। उन्होंने सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया और बिहार चले गए वहां वे बोधिवृक्ष के नीचे तपस्या करने में लीन हो गए कुछ वर्षों की तपस्या के बाद उन्हें वहां पर तत्त्व ज्ञान ली प्राप्ति हुई।
Biography of Gautama Buddha in Hindi Jivani
नाम | सिद्धार्थ वशिष्ठ |
अन्य नाम | गौतम बुद्ध, शाक्यामुनि, बुद्धा तथा सिद्धार्थ गौतम |
जन्म | 563 ई० |
जन्म स्थान | लुम्बिनी, नेपाल |
धर्म | बौद्ध धर्म |
पेशा | बौद्ध धर्म के संस्थापक |
जाति | क्षत्रिय |
माता | मायादेवी |
पिता | शुद्धोधन |
मृत्यु | 483 ई० |
पत्नी | राजकुमारी यशोधरा |
संतान | पुत्र (राहुल) |
ग्रह त्याग
सिद्धार्थ का मन पहले से ही दुखी रहता था वो वैराग्या में चले गए थे परन्तु इनके पिता ने इनके मन को खुश करने के लिए संसार की सभी सुविधाएँ इन्हे प्राप्त कराई और 16 वर्ष की आयु में इनका यशोधरा से विवाह कर दिया ताकि ये अपनी निजी जिंदगी में व्यस्त रहे। कुछ वर्ष पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम उन्होंने राहुल रखा ख़ुशी के समय में वे दुखी थे। उनके साथ कुछ ऐसी घटनाएं हुई कि उनका मन परिवर्तन हो गया और उन्होंने अपना घर छोड़ने का निर्णय ले लिया।
उनका घर छोड़ने का प्रमुख कारण यह था कि सिद्धार्थ जब भी अपने मित्र के साथ घूमने बाहर निकलते थे तो उन्हें रास्ते में बीमारी से पीड़ित व्यक्ति, मृतक शरीर, बूढ़े नागरिक तथा सन्यासी आदि व्यक्तिओं को देखा। यह दृश्य देखकर वे उदास हो गए और सोचने लग गए कि संसार में इतना दुःख क्यों है। उनके मन में अब अशांति छा गई। अब उन्होंने निर्णय लिया कि वे सन्यासी बनेंगे और सत्य प्राप्ति करेंगे।
अब उन्होंने सांसारिक मोह माया का त्याग करने के लिए अपने माता-पिता, पत्नी एवं पुत्र तथा राजमाह को छोड़ दिया और सत्य की खोज में जंगलों में चले गए। इस समय सिद्धार्थ केवल 29 साल के युवा थे।
ज्ञान की खोज
जैसा कि सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की आयु में अपनी पत्नी, बेटे, माता-पिता तथा अपनी सम्पूर्ण सम्पति को छोड़ दिया और वे घर से कही दूर चले गए। उन्होंने अपने अच्छे वस्त्रों को उतार दिया और सन्यासी के वस्त्र धारण कर लिया अर्थात भगवे रंग को धारण कर लिया तथा एक सन्यासी बन गए। वे अब सत्य का मार्ग ढूढ़ने निकल पड़े और लोगो से भिक्षा मांगते थे। सबसे पहले उन्हें आलार-कालार तथा उदक रामपुत्र नाम के दो विद्वान मिले वे उनके पास चले गए और उनसे योग सत्य की बातें सीखी परन्तु उन्हें वहां भी कोई संतोष प्राप्त नहीं हुआ। इसके बाद गौतम उरूवेल वन में चले गए जो कि निरंजन नदी के किनारे हो और यह गया के समीप स्थित है वहां पहुंचकर उन्हें पांच साथी मिले और वे उनके साथ तपस्या में लीन हो गए। उन्होंने आहार लेना बंद कर दिया और वे अत्यंत कमजोर हो गए। उन्होंने लगभग 6 वर्षों तक घोर तपस्या की परन्तु उनका मन अभी भी शांत नहीं हुआ। जिस स्थान पर सिद्धार्थ तपस्या में लीन थे वहां पर एक स्त्री खीर लेकर आई उसे खाकर सिद्धार्थ से अपनी भूख मिटाई यह देख कर अन्य सन्यासी क्रोध में आए और वहां से चले गए।
ज्ञान की प्राप्ति
सिद्धार्थ फिर से तपस्या में ध्यान-मग्न हो गए और पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर जो कि बोधगया नामक स्थान में था तथा मनन-चिंतन करने लग गए और 8वें दिन वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्हें सच्चा बोध प्राप्त हुआ और उसी दिन से उन्हें बुद्ध कहा जाने लगा। उनको यह ज्ञान लगभग 35 साल की आयु में प्राप्त हुआ। उन्होंने सत्य को जान लिया की मनुष्य को इतना दुख क्यों होता है उन्हें कैसे कम कर सकते है।
धर्म का प्रचार (धर्म चक्र परिवर्तन)
ज्ञान प्राप्त होने के पश्चात गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म का प्रचार करने लग गए। सबसे पहले उन्होंने अपने उपदेश उन पांच ब्राह्मणो को दिए जिन्होंने उनका साथ छोड़ दिया था। उन्होंने भी उपदेश और ज्ञान की बात समझ कर सत्य को प्राप्त किया। इन पांच सन्यासियों ने भी बौद्ध धर्म को अपना लिया। धीरे-धीरे कर यह उपदेश हर जगह फैलने लगे और तेजी से इनकी लोकप्रियता होनी लगी। यह अपने उपदेश पाली भाषा में देते थे।
मृत्यु
गौतम बुद्ध को जब से ज्ञान की प्राप्ति हुई तब से लेकर वे पूरे जीवन भर अपने धर्म का ही प्रचार करते रहे। उन्होंने अपनी मृत्यु तक भी बौद्ध धर्म का ज्ञान लोगो को देते रहे। एक दिन इन्होने किसी लोहार के घर खाना खाया जिससे इनका पेट ख़राब हो गया और जब यह गोरखपुर से कुशीनगर जा रहे थे तो अचानक ही इनकी तबियत और बिगड़ने लगी और बैशाख मास की पूर्णिमा में 483 ई० पूर्व में इनकी मृत्यु हो गई लगभग इनकी मृत्यु 80 वर्ष में हुई।
गौतम बुद्ध जीवनी से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर
Gautama Buddha कौन थे?
यह बौद्ध धर्म के संस्थापक थे।
Gautama Buddha की जाति क्या थी?
इनकी जाति क्षत्रिय थी।
Gautama Buddha का जन्म कब और कहाँ हुआ?
Gautama Buddha का जन्म 563 ई० में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था।
सिद्धार्थ की मृत्यु कब हुई?
सिद्धार्थ (Gautama Buddha) की मृत्यु 483 ई० में हुई थी।
Gautama Buddha का वास्तविक नाम क्या था?
सिद्धार्थ वशिष्ठ Gautama Buddha का वास्तविक नाम था।
Gautama Buddha की माता का नाम क्या था?
मायादेवी इनकी माता का नाम था।
जैसा कि हमने आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से Biography of Gautama Buddha in Hindi Jivani के विषय में जानकारी प्रदान की है यदि आपको जुड़ी जानकारी या आप कोई सवाल पूछना चाहते तो आप नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में अपना प्रश्न लिख सकते है। उम्मीद करते है कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी समझ आई हो और आपको यह लेख पसंद आया हो। इसी तरह के अन्य लेखों के बारे में जानकारी जानने के लिए हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रहे।