स्वामी विवेकानंद की जीवनी ~ Biography Of Swami Vivekananda In Hindi

दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वामी विवेकानंद एक विश्व विख्यात प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु और दूरदर्शी विचारक थे। स्वामी जी के द्वारा अमेरिका के शिकागो में आयोजित धर्म संसद महासभा में दिया गया ऐतिहासिक भाषण ने दुनिया के सामने भारत को एक ऐसे देश के रूप में प्रदर्शित किया जो ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वामी विवेकानंद एक विश्व विख्यात प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु और दूरदर्शी विचारक थे। स्वामी जी के द्वारा अमेरिका के शिकागो में आयोजित धर्म संसद महासभा में दिया गया ऐतिहासिक भाषण ने दुनिया के सामने भारत को एक ऐसे देश के रूप में प्रदर्शित किया जो अपनी संस्कृति और सनातन धर्म के साथ दुनिया के सभी धर्मों का सम्मान करता है। दोस्तों आज हम आपको स्वामी विवेकानंद जी के उपदेश, विचार, सिद्धांत के बारे में उनके जीवन परिचय (Swami Vivekananda Biography) के माध्यम से बताने जा रहे हैं। आप यह समझ लें की अगर हम अपने जीवन में स्वामी के बताये गए आदर्शों और सिद्धांतों को अमल में लाएं तो हम अपने जीवन के उद्देश्यों को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

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स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय : Swami Vivekananda Biography

हम आपसे यहाँ अनुरोध करेंगे की स्वामी जी के जीवन और उनको आदर्शों को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

Swami Vivekananda Biography (जीवन परिचय):

पूरा नाम (full Name)स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand)
बचपन का नाम (Childhood Name)नरेंद्र नाथ दत्त
जन्मतिथि (Date of birth)12 जनवरी 1863
उम्र (Age)39 वर्ष
जन्म स्थान (Birth Place)कलकत्ता (अब कोलकाता), पश्चिम बंगाल
मृत्यु की तिथि (Date of Death)4 जुलाई 1902
मृत्यु स्थान (Death Place)बेलूर मठ , पश्चिम बंगाल
गुरु / शिक्षक (Teacher)रामकृष्ण परमहंस
साहित्यिक कार्य (Literature Work)राज योग (पुस्तक)
प्रसिद्ध नारा (Famous Slogan)उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए
धर्म (Religion)हिन्दू
दर्शन (Philosophy)आधुनिक वेदांत , राज योग
राष्ट्रियता (Nationality)भारतीय

स्वामी जी की शिक्षा (Education):

  • दोस्तों आपको बता दें की स्वामी जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के लिए आठ साल की उम्र में ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में एडमिशन लिया।
  • इसके बाद स्वामी जी का परिवार रायपुर चला गया जहाँ कुछ समय तक अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद स्वामी जी ने कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से अपनी आगे की शिक्षा पूरी प्राप्त की। इस कॉलेज में स्वामी जी ने प्रथम श्रेणी में अंक प्राप्त किये थे।
  • स्वामी जी को बचपन से ही दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य के विषयों में गहरी रुचि थी।
  • स्वामी जी ने पश्चिमी यूरोपीय इतिहास पढ़ने के लिए जनरल असेम्बली इंस्टिटूशन (अब स्कॉटिश चर्च कॉलेज) में एडमिशन लिया। और इस कॉलेज में अपनी कला की स्नातक की डिग्री पूरी की।
  • स्वामी जी ने जोर्ज डब्लू एच हेजेल, आर्थर स्कूपइन्हार , ऑगस्ट कॉम्टे, जॉन स्टुअर्ट मिल और चार्ल्स डार्विन आदि के द्वारा लिखी किताबों का बंगाली में अनुवाद किया।
  • अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद स्वामी जी भारत और विश्व भ्रमण पर निकल पड़े।

स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बीच आध्यात्म और जीवन को लेकर हुए संवाद के कुछ अंश:

दोस्तों यहाँ हम आपको स्वामी जी और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के बीच आध्यात्म को लेकर हुई बातचीत के बारे में बता रहे हैं आप पढ़ सकते हैं।

  • स्वामी विवेकानंद : मैं समय नहीं निकाल पाता। जीवन आपाधापी से भर गया है।
    • रामकृष्ण परमहंस : गतिविधियां तुम्हें घेरे रखती हैं, लेकिन उत्पादकता आजाद करती है।
  • स्वामी विवेकानंद : आज जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है?
    • रामकृष्ण परमहंस : जीवन का विश्लेषण करना बंद कर दो। यह इसे जटिल बना देता है। जीवन को सिर्फ जियो।
  • स्वामी विवेकानंद : फिर हम हमेशा दु:खी क्यों रहते हैं?
    • रामकृष्ण परमहंस : परेशान होना तुम्हारी आदत बन गई है, इसी वजह से तुम खुश नहीं रह पाते।
स्वामी विवेकानंद जी के जीवन दर्शन करने वाले कुछ आधारभूत सिद्धांत:

स्वामी जी ने जीवन को सही दिशा देने के लिए अपने कुछ सिद्धांत बताये हैं जिनको अपनाकर हम अपने जीवन के उद्देश्य को सिद्ध कर सकते हैं। यह सिद्धांत इस प्रकार से निम्नलिखित हैं –

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  • शिक्षा का कोई लिंग रूप नहीं होता बालक हो या बालिका दोनों को समान रूप से शिक्षा मिलनी चाहिए।
  • हमें बच्चों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए की जो बच्चों का मानसिक , शारीरिक और आध्यात्मिक विकास कर सके।
  • एक अच्छे शिक्षक के द्वारा दी गई शिक्षा से ही छात्र के मन का विकास , चरित्र का निर्माण एवं बुद्धि विकसित होती है।
  • छात्रों को दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा पुस्तकों के द्वारा ना देकर बल्कि संस्कार और आचरण के द्वारा दी जानी चाहिए।
  • बच्चों के शिक्षा पाठ्यक्रम में पारलौकिक और लौकिक दोनों प्रकार के विषय से संबंधित पढ़ाई कराई जानी चाहिए।
  • शिष्य को एक बेहतर और अच्छी शिक्षा गुरु के घर से ही मिल सकती है।
  • शिक्षा सभी के लिए है सभी लोगों में ऐसा प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
  • शिक्षा एक ऐसा हथियार जो हमें जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से लड़ने की शक्ति देते हैं।
  • स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार व्यक्ति को वही कार्य करना चाहिए जिसमें उसकी रुचि हो।
  • हमारे देश के आर्थिक विकास के लिए तकनिकी शिक्षा जरूरी है।
  • शिक्षक एवं शिष्य का संबंध अधिक से अधिक निकट होना चाहिए।
  • मानवीय एवं राष्ट्रिय सुरक्षा की शुरुआत परिवार से ही होती है।

Swami Vivekananda के 10 अनमोल विचार (Thoughts):

  1. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
  2. उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।
  3. विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
  4. जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो।
  5. हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।
  6. चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो।
  7. एक विचार लें और इसे ही अपनी जिंदगी का एकमात्र विचार बना लें। इसी विचार के बारे में सोचे, सपना देखे और इसी विचार पर जियें। आपके मस्तिष्क , दिमाग और रंगों में यही एक विचार भर जाए। यही सफलता का रास्ता है। इसी तरह से बड़े-बड़े आध्यात्मिक धर्म पुरुष बनते हैं।
  8. ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमीं हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।
  9. तुम फुटबॉल के जरिए स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे बजाए गीता का अध्ययन करने के।
  10. जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे।

स्वामी विवेकानंद के द्वारा कृत रचनाएं:

आपको बताते चलें अधिकतर विद्वान मानते हैं की स्वामी जी की अधिकतर रचनायें उनके शिष्यों के द्वारा लिखी गई हैं।

  • स्वामी विवेकानंद जी के जीवित रहते लिखी गई पुस्तकें एवं रचनाएं:
    • संगीत कल्पतरु – प्रकाशित वर्ष (1887)
    • कर्म योग – प्रकाशित वर्ष (1896)
    • राज योग – प्रकाशित वर्ष (1899)
    • ज्ञान योग – प्रकाशित वर्ष (1899)
    • Vedanta Philosophy: An address before the Graduate Philosophical Society – प्रकाशित वर्ष (1896)
    • Lectures from Colombo to Almora – प्रकाशित वर्ष (1897)
    • वर्तमान भारत (बांग्ला में) – प्रकाशन मार्च 1899)
    • My Master The Baker and Taylor Company, New York – प्रकाशित वर्ष (1901)
    • Seeing beyond the circle- प्रकाशित वर्ष (2005)
  • स्वामी विवेकानंद जी के मरणोपरांत लिखी गई पुस्तकें एवं रचनाएं:
    • Addresses on Bhakti Yoga
    • भक्ति योग
    • The East and the West – प्रकाशन (1909)
    • Inspired Talks – प्रकाशन (1909)
    • Narada Bhakti Sutras – translation
    • Para Bhakti or Supreme Devotion
    • Practical Vedanta
    • Speeches and writings of Swami Vivekananda; a comprehensive collection
    • Complete Works: a collection of his writings lectures and discourses in a set of nine volumes

स्वामी विवेकानंद जी की यात्रा:

  • आपको बता दें की स्वामी विवेकानंद 25 वर्ष की आयु की अवस्था में अपना घर त्याग कर आध्यात्मिक और शांति की खोज में निकल गए थे। जिसके लिए स्वामी जी ने पुरे देश की पैदल यात्रा की।
  • 31 मई 1893 में अपनी जापान की यात्रा में जापान के नागासाकी, कोबे, योकोहामा, ओसाका, क्योटो और टोक्यो समेत) कई शहरों की यात्रा की।
  • इसके बाद स्वामी जी ने चीन और कनाडा की भी यात्रा की।
  • अपनी इस यात्रा के दौरान स्वामी जी सन 1893 में अमेरिका के शिकागो पहुंचें यहाँ स्वामी जी ने आयोजित धर्म संसद की महासभा में भाग लिया और धर्म के ऊपर मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों के सम्बोधन के साथ ऐतिहासिक भाषण दिया।
Swami Vivekananda Chicago Speech In Hindi:
Swami Vivekananda Biography

स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु:

विद्वानों का मानना है की 4 जुलाई 1902 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में स्थित बेलूर मठ में अपनी दैनिक दिनचर्या करने के बाद स्वामी जी जैसे ही ध्यान में गए उसी समय स्वामी जी ने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली। आपको बताते चलें की बेलूर में ही गंगा तट पर स्वामी जी के शिष्यों के द्वारा अंतिम अंत्येष्टि संस्कार किया गया। कहा जाता है की स्वामी जी की मृत्यु से 16 साल पहले स्वामी जी के गुरु रहे रामकृष्ण परम हंस का अंतिम संस्कार भी इसी गंगा तट पर किया गया था।

आज यहां स्वामी जी के शिष्यों के द्वारा बनवाया गया एक मंदिर है जो पुरे विश्व में रामकृष्ण और विवेकानंद जी के विचारों और उपदेशों को प्रसारित एवं प्रचारित कर रहा है। पुरे देश में इस मंदिर के 130 से अधिक केंद्रों की स्थापना की गई है।

Swami Vivekananda Biography से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):

राष्ट्रिय युवा दिवस कब और किसकी याद में मनाया जाता है ?

भारतीय राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को हर साल स्वामी विवेकानन्द की जयंती के उपलक्ष पर मनाया जाता है।

रामकृष्ण परमहंस मिशन क्या है ?

रामकृष्ण परमहंस मिशन एक निःस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करने वाला संस्थान है जिसकी स्थापना 1 मई 1897 को स्वामी जी ने कोलकाता के निकट बेलूर में की थी।

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बेलूर मठ कहाँ स्थित है ?

बेलूर मठ पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हावड़ा के पास हुगली नदी के किनारे बेलूर नामक स्थान पर स्थित है। जिसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद जी ने सन 1901 में की थी।

उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता। यह नारा स्वामी जी कब दिया ?

11 सितम्बर 1893 को अमेरिका की शिकागो में आयोजित धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद जी ने अपने ऐतिहासिक भाषण में यह नारा दिया था।

भगिनी निवेदिता कौन थी ?

मार्गरेट एलिजाबेथ जब 1895 में लन्दन में स्वामी विवेकानंद जी से मिलीं तो स्वामी जी के दृष्टिकोण और विचारों से प्रभावित होकर एलिजाबेथ स्वामी जी की शिष्या बन गयी और अपना नाम बदलकर भगिनी निवेदिता रख लिया।

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