जलवायु परिवर्तन पर निबंध– दोस्तों आज कल आप देखे रहे होंगे की दिन-प्रतिदिन मौसम में बदलाव आ रहा है और ये जो बदलाव आ रहा है इसे हम जलवायु परिवर्तन कहते है हर साल मौसम का मिजाज ही बदल रहा है। इस साल आपने फरवरी में देखा होगा की बेमौसम बारिश को रही थी जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। जब बारिश आनी थी उस समय बारिश नहीं हुई और जब जिस मौसन में बारिश नहीं होनी थी उस मौसम में बारिश आ रही है ये सब कुछ जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है जो दुनिया के लिए बहुत चिंता की विषय की बात है। और ये जो जलवायु परिवर्तन पिछले कुछ सालो से लगातार हो रहा है।
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जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण प्राकृतिक कारक तथा मानवीय कारक दोनों हो सकते है जिसके कारण मौसम में बदलाव आ रहा है। मौसम की ऋतुऐं परिवर्तन हो रही है। दुनिया में हर साल बाढ़, भूस्ख्लन, आपदा, बादल फटना, भूकंप, चक्रवाती तूफान, ज्वालामुखी तथा अंटार्कटिका में ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना ये सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है इसका सबसे बड़ा कारन मानव जाति का प्राकृतिक सम्पदा में छेड़-छाड़ करना है। दोस्तों आज हम आपको इस निबंध में जलवायु परिवर्तन पर निबंध | Essay on Climate Change in Hindi के विषय में आपके साथ पूरी जानकारी साझा करेंगे।
जलवायु है क्या ?
मौसम की औसत स्तिथि जो किसी भी भू-क्षेत्र में अधिक समय तक रहती ऐसे जलवायु कहा जाता है। आपको बता दे दुनिया में कोई भी क्षेत्र हो उसके भू-भाग में जलवायु का बहुत असर पड़ता है या फिर कई सालों में जब किसी स्थान/जगह पर मौसम के औसत तापमान को मापा जाता है तो इसे जलवायु (claimant) कहते है। भारत में ही कई जगह पर ऊँचाई, नमी, तापमान तथा हवा का बदलाव या कहे कि वायुमंडलीय दबाव की विभिन्नता भारत में कई क्षेत्रों अलग-अलग पायी जाती है तथा हमें इसी कारण देश में क्षेत्रीय विभिन्नता का पता चलता है।
भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में कई क्षेत्रों में मौसमी विभिन्नता जलवायु परिवर्तन के कारण होती है। मानव जीवन जलवायु से जुड़ा हुआ है हमारा सारा जीवन जलवायु पर ही निर्भर करता है। भारत की जो जलवायु है वह मानसूनी जल वायु है।
जलवायु परिवर्तन क्या है?
किसी भी भू-भाग पर प्रकृति में समय के साथ होने वाले परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन कहते है परन्तु ये परिवर्तन समय के साथ प्रकृति के अनुसार धीरे-धीरे समय पर नहीं रहा बल्कि यह परिवर्तन तेजी से हो रहा है जिनका असर पूरी दुनिया में दिखायी दे रहा है। तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन का संकेत दुनिया के लिया अच्छा नहीं है बल्कि ये दुनिया के जीवन को संकट में डालने का संकेत है। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु रिपोर्ट में पता चला की इन हो रहे परिवर्तनों के कारण पर्यावरण पर तो प्रभाव पड़ेगा ही परन्तु इससे पुरे विश्व की आबादी के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव होगा।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट में पता चला की विश्व में जलवायु परिवर्तन के कारण इन सब घटनाओं का विस्तारीकरण होगा जैसे- ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव, सामाजिक आर्थिक विकास, भूमि के तापमान में वृद्धि, समुद्रों के जल स्तर में तेजी से वृद्धि, समुद्र का तापमान बढ़ेगा, पर्यावरण के परिस्थतिक तंत्र पर प्रभाव तथा पूरे विश्व की आबादी पर दुष्प्रभाव आदि का पता लगाया गया है।
जलवायु में होने वाले परिवर्तनों के दो कारण है जिनको भागों में विभाजित किया हुआ है- प्राकृतिक एवं मानवीय कारक।
प्राकृतिक कारण (natural reason)-
पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन जिनको हम अपने बस में नहीं कर सकते प्राकृतिक परिवर्तन कहलाते है। ये समय के अनुसार पर्यावरण में परिवर्तन करते रहते है। पर्यावरण परिवर्तन प्रकृति का नियम है। पर्यावरण में जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारण जैसे-ज्वालामुखी फटना, महासागरीय धाराएं।
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1. ज्वालामुखी फटना-
ज्वालामुखियों के फटने से पर्यावरण में सल्फरडाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है जो की पर्यावरण के लिए सही नहीं है। धूल, राख आदि के कण वायुमंडल में चले जाते है जिसके कारण मौसम में परिवर्तन और वायुमंडल के तापमान में वृद्धि हो जाती है।
2. महासागरीय धाराएं-
जलवायु में परिवर्तन करने के लिए महासागर मुख्य योगदान निभाते है। महासागर द्वारा दोगुना तापमान वायुमंडल की तुलना में अधिक absorbed (अवशोसित) किया जाता है। महासागरों के कारण पर्यावरण के चारो और तेजी से परिवर्तन होता है ये तापमान को प्रभावित करते है तथा हवाओं की दिशाओं में परिवर्तन करते है।
पर्यावरण में मानव हस्तक्षेप के कारण होने वाले परिवर्तन को मानवीय परिवर्तन कहते है आपको बता दे जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण भी स्वयं मानव है जिसकी लापरवाही के कारण इस समस्या का विस्तार हुआ है। मानव ने अपने लोभ के लिए प्रकृति को बहुत नुक्सान पहुंचाया है इससे पर्यावरण को बहुत छति पहुंची है। जलवायु परिवर्तन के मानवीय कारण जैसे- पेड़ों का कटाव, औद्योगिक कारखानों का निर्माण।
1. पेड़ों का कटाव-
दोस्तों जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा मानवीय कारण पेड़ों का अंधाधुंध कटाव करना है। मानव अपने लोभ के लिए एक दिन में कई पेड़ों का कटाव कर रहे है मानव को पेड़ से लकड़ी प्राप्त होती है जिसका उपयोग वह स्वयं या बेचने के लिए करता है जिससे उसे मुनाफा होता है और उसका यह लोभ और बढ़ता जाता है वह यह नहीं सोच रहा की ऐसा करने से पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। दोस्तों अत्यधिक पेड़ काटने से जलवायु परिवर्तन हो रही है क्योंकि पेड़ों की वजह से ही वर्षा होती है। और पेड़ों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है जिसका उपयोग हम सांस लेने में करते है और बदले में हम कार्बनडाई ऑक्साइड छोड़ते है यदि ऐसी लगातार पेड़ों का कटाव चलता रहा तो एक दिन हमें ऑक्सीजन मिलना खत्म हो जायेगा क्योंकि जब पेड़ ही नहीं रहेंगे तो हमे ऑक्सीजन कहा से प्राप्त होगी और मानव जाति या पूरे विश्व की आबादी का जीवन समाप्त हो जायेगा।
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2. औद्योगिक कारखानों का निर्माण-
जीवन में बहुत सी चीज़ो या सामान का उत्पादन औद्योगिक कारखानों में किया जाता है परन्तु इससे जो वातावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है उससे Climent परिवर्तन हो रहा है। मानव द्वारा बड़े-बड़े औद्योगिक कारखानों का निर्माण किया जा रहा है और इन कारखानों से जो जहरीला धुंआ निकलता है वो वातावरण को प्रदूषित कर रहा है और वायुमंडल के तापमान में वृद्धि हो रही है। तथा कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी को नदियों में छोड़ दिया जाता है जिससे नदियों का पानी दूषित होकर पीने योग्य नहीं रहता और इस पानी को पीकर जानवर बीमार होकर उनकी मृत्यु हो जाती है जो बहुत दुःखद का कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
दुनिया में जलवायु परिवर्तन के निम्न लिखित प्रभाव है-
- दुनिया में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडलीय मौसम से चेंज आ है।
- अब तक का सबसे गर्म मौसम वर्ष 2019 रहा है।
- दुनिया में हर साल जंगलों में आग, बाढ़, सूखा, लू तथा चक्रवर्ती तूफ़ान जैसी घटनाये हो रही है।
- अत्यधिक प्रदूषण के कारण वातावरण में कार्बनडाई ऑक्साइड गैस बढ़ रही है तथा हर दिन वायुमंडल के तापमान में वृद्धि हो रही है।
- मालदीप देश की समुद्र तल से ऊंचाई 7.5 फ़ीट और जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के जल में बढ़ोतरी हो रही है इस देश की ऊंचाई समुद्र तल से बहुत कम है जिसके कारण इसके डूबने का खतरा बढ़ा हुआ है यह सब भी जलवायु परिवर्तन के कारण ही हुआ है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण के परिस्थतिक तंत्र का संतुलन बिगड़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन में उठायें मुख्य तथ्य-
2015 में ऐतिहासिक पेरिस समझौता ग्लोबिंग वॉर्मिंग जलवायु परिवर्तन की समस्या को देख कर उठाया गया जिसका उद्देश्य है यह की इस बढ़ती हुई समस्या को और ना बढ़ने दिया जाये विश्व के तापमान को और ना बढ़ने दिया जाये यह कोशिश रहेगी। और इस कोशिश पर काम भी किया जा रहा है। अनियमित जलवायु परिवर्तन पूरे देश के लिए घातक है।
जलवायु परिवर्तन पर निबंध से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर
मौसम की औसत स्तिथि जो किसी भी भू-क्षेत्र में अधिक समय तक रहती ऐसे जलवायु कहा जाता है।
किसी भी भू-भाग पर प्रकृति में समय के साथ होने वाले परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन कहते है परन्तु ये परिवर्तन समय के साथ प्रकृति के अनुसार धीरे-धीरे समय पर नहीं रहा बल्कि यह परिवर्तन तेजी से हो रहा है जिनका असर पूरी दुनिया में दिखायी दे रहा है। तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन का संकेत दुनिया के लिया अच्छा नहीं है बल्कि ये दुनिया के जीवन को संकट में डालने का संकेत है।
जलवायु में होने वाले परिवर्तनों के दो कारण है जिनको भागों में विभाजित किया हुआ है- प्राकृतिक एवं मानवीय।
जलवायु परिवर्तनों के कारण पर्यावरण पर तो प्रभाव पड़ेगा ही परन्तु इससे पूरे विश्व की आबादी के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव होगा।
अब तक का दूसरा सबसे गर्म मौसम वर्ष 2019 रहा है।