जैन धर्म क्या है – जैन धर्म को दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण धर्म कहा जाता हैं। ये एक बहुत ही प्राचीन धर्म हैं। इसकी खासियत यह हैं, कि यह अहिंसा पालन के लिए विश्व भर में बहुत प्रसिद्ध है। इस धर्म के भिक्षु अहिंसा के मार्ग पर चलते है। जैन धर्म का दो भागो में भी बटवारा हुआ था। पुराने ज़माने के लोगो का कहना था की यह एक बहुत ही मुश्किल (जटिल) धर्म हैं। जैन धर्म अपनाने से पहले आपको इसकी कई बातें समझनी होंगी तथा इस नियम को ठेस पहुंचाने वाले काम छोड़ने होंगे ताकि आप इस धर्म का पालन पुरे नियमो के साथ कर सके। आईये दोस्तों हम इस निबंध में जैन धर्म क्या है ? जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत और जैन धर्म से जुडी सभी जानकारी हिंदी में | Jain Dharm Ka Itihas आपको बताएंगे।
जैन धर्म क्या है? (What is Jainism)-
जैन धर्म एक प्राचीन धर्म हैं ऐसे दुनिया का सबसे प्राचिन्न धर्म कहा जाता हैं। आपको बता दे तो यह जो धर्म आहिंसा के लिए जाना जाता हैं लोग इस धर्म को अहिंसा के नाम पर हैं। आपको बता दे की यह धर्म आज के ज़माने में बहुत ही prosperity (समृद्ध) धर्म की श्रेणी में आता हैं।
यदि हम इस धर्म को अपनाते हैं तो हमको इस धर्म से सम्बंधित कई नियमों एक पालन करना पड़ेगा उसके लिए आपको खान-पान, रहन-सहन, जीवन-यापन, सभ्यता-संस्कृति तथा व्यापार इन सब बातों का ध्यान देना पड़ेगा जो इस धर्म को अपनाते है वे कभी मांस को छूते या देखते तक नहीं वे शुद्ध शाकाहारी होते हैं।
यह धर्म भी बौद्ध धर्म की ही तरह हैं। यह धर्म भी उसकी ही तरह नियमों का पालन करता हैं। ये लोग जानवरो के प्रति बहुत ही विनम्र होते है। आपको बता दे कि जैन धर्म जिन से लिया गया हैं आमतौर पर इसे जीतना या विजेता कहा जाता हैं। दुनिया में इस धर्म को ये कहा जाता हैं की यह धर्म भारत में सबसे पहले आया था यानि कहे इसका उद्गम स्थल भी भारत ही हैं। जैन धर्म और बौद्ध धर्म में कई तरह की समानताये पायी जाती हैं। बहुत कम विभिन्ताएं पाई जाती हैं। जैन धर्म लेने से पहले आपको अपनी इच्छाओं पर कन्ट्रोल करना पड़ता हैं।
अपनी बहुत सी इच्छाएं मारनी पड़ती हैं। अपनी भावनाओं को दबाना पड़ता हैं। व्यक्ति को अपनी पूरे जीवन को धर्म के प्रति छोड़ना पड़ता हैं। तभी जाकर वह जीवन में जीत हासिल कर सकता हैं। धर्म लेने के पश्चात उसे अपनी ज्ञानइन्द्रियो में मुट्ठी (काबू) करना होगा। जब से जैन धर्म शुरू हुआ तब से लेकर अभी तक इस धर्म में कई प्रकार के धर्म गुरु आ गए। जितना भी ज्ञान उनको प्राप्त था उन्होंने उसको समाज में बाँटना प्रारम्भ कर दिया।
तथा उन्होंने अपने-अपने विचार सबके सामने रखे। उन्होंने सारे जहाँ में प्रचार-प्रसार करना प्रारम्भ किया। वे अपने धर्म के उपदेश समाज में बांटते हैं। हमेशा से जैन धर्म ने व्यक्ति तथा पशुओं के लिए लड़ाई लड़ी है ताकि उनको समाज में बराबर का दर्जा प्राप्त हो सके यानि उनको न्याय मिल सके।
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जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत और जैन धर्म से जुडी सभी जानकारी हिंदी में (Jain Dharm Ka Itihas)-
जैसा की आपने अभी तक पढ़ा की यह धर्म एक प्राचीन धर्म हैं। जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति प्राप्त करवाना हैं। यह जो धर्म हैं वह मुक्ति प्राप्त करवाता हैं तथा इस धर्म के लिए अनुष्ठान की आव्यसकता करना जरुरी नहीं हैं। हम इन्हे तीन सिद्धांतों के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। जिनको कि त्रि-रतन भी बोलते हैं-
- सम्यकज्ञान
- सम्यकदर्शन
- सम्यकचरिता
Jain Dharm के पांच सिद्धांत (theory)-
- हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना कभी झूठ न बोलना।
- बह्राचर्या जीवन।
- आहिंसा किसी भी जीव को कभी नुकसान या हानि न पहुँचाना।
- अपरिग्रह कभी भी पैसों का संचय करने से बचे।
- कभी भी किसी की चोरी न करना।
जैन धर्म की अवधारणा-
- जैन धर्म ईश्वर को नहीं मानता हैं, उनका एक भगवान नहीं हैं। बल्कि वे कहते हैं कि जैन देवता बहुत सारे हैं। उनकी जो संख्या हैं वो दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं।
- उनका यह मानना हैं की संसार में प्रत्येक जीव को ईश्वर बनने की क्षमता होती हैं।
- जब भी कोई व्यक्ति अपने पापों को हमेशा के लिए खत्म कर देता हैं, तब वह एक मुक्त आत्मा हो जाता हैं उसको मोक्ष प्राप्त हो जाता हैं।
- जैन धर्म जो मानते हैं उनका कहना यह हैं कि जो भी पदार्थ संसार में हैं वो न कभी बाहर जाते है और ना कभी खत्म होते हैं वे अपना रूप परिवर्तित करते हैं अर्थात वे अपने रूपों में बदलते रहते हैं। जो भी चीज़ संसार में आ गयी उनको आप नष्ट या उत्पन नहीं कर सकते हैं।
- संसार का निर्माण ईश्वर ने किया हैं ये हम सबका मानना हैं, परन्तु आपकों बता दे कि जैन धर्म मानने वाले भिक्षु का कहना हैं की संसार का निर्माण ईश्वर ने नहीं किया हैं।
- जैन धर्म ईश्वर को एक जीवित प्राणी के रूप में मानता हैं न कि संसार का निर्माण (निर्माता) करने वाला।
- उनका कहना हैं की संसार की डोर किसी के हाथो में नहीं हैं यहा किसी पर कोई हुक्म नहीं चला सकता हैं अपने-अपने कार्य व्यक्ति स्वयं करेगा संसार को चलाने या उसके नियम बनाने का किसी को हक़ नहीं हैं।
अनेकांतवाद-
- सभी संगठनों (संस्थाओं) के तीन बिंदु होते हैं- पर्याय, गुण और द्रव्य। ये सब अनेकांतवाद में कहा गया हैं।
- कोई भी जो इकाई होती हैं उसमे निरंतर रूप से एक मौलिक अवधारणा होती हैं जो कोई भी इकाई होती हैं वो कभी न कभो परिवर्तित होती हैं।
- द्रव्य में एक यह विशेषता है कि कितने भी गुण हो यह सबके साथ सामान तरह का काम करता हैं तथा ये निरंतर परिवर्तन होता रहता हैं।
स्यादवाद-
- इस शब्द को स्यादवाद इस लिए कहा गया हैं क्यूंकि यह विभिन्न संभावनाओं की जाँच करता हैं।
- संसार में हमारा ज्ञान सीमित तथा और सापेक्ष हैं जितना हमारे पास ज्ञान उपलभ्ध हैं उतना हमे अपना ज्ञान ईमानदारी से स्वीकार कर लेना चाहिए। और हमे लोगो के बहकावे से दूर रहना चाहिए।
Anektawaad और स्यादवाद में अंतर-
- Anektawaad और स्यादवाद में अंतर यह हैं कि तरह-तरह का परन्तु विपरीत विशेषताओं का ज्ञान होता हैं
- जबकि स्यादवाद यह दर्शाता हैं कि कोई भी वस्तु या उसके विशेष गुण वस्तु की जो घटना होती हैं वह उसकी सापेक्ष का विवरण होती हैं।
जैन धर्म के सम्प्रदायें –
आपको बता दे दोस्तों की जैन धर्म को दो संप्रदायों में बांटा गया हैं- दिगंबर और श्वेताम्बर।
दिगंबर-
- दोस्तों आपको बता दे तो जो दिगंबर विचारधाराओं के साधु या भिक्षु होते हैं, वो कभी भी वस्त्र (कपडे) धारण नहीं करते हैं। उनको वस्त्र पहनने की अनुमति नहीं होती हैं उनका यह नग्न प्रतीक हैं उनको नग्न साधु बाबा या भिक्षु के नाम से जाना जाता हैं।
- लेकिन जो महिला भिक्षु होती हैं, वो सफ़ेद साड़ी पहनती हैं, परन्तु उन कपड़ों में कोई भी सिलाई नहीं होनी चाहिए। यह नियम सबके लिए अनिवार्य हैं।
- जैन धर्म में जो दिगंबर विचारधारा होती हैं, इसमें जो मठ होता हैं उसके नियम बहुत कठिन होते हैं।
- जो महिला हैं वो तीर्थकर नहीं हो सकती हैं ये जैनियों का कहना हैं
श्वेताम्बर-
- श्वेताम्बर विचारधारों के जो भिक्षु होतें हैं वे पारसनाथ के देते हैं तथा उनके उपदेशों का पालन करते हैं।
- श्वेताम्बरो का कहना हैं कि एक महिला थी जिसका नाम मल्ली था उसने अपना सारा जीवन एक राजकुमारी की तरह बिताया था इसमें जो महिलाएं होती हैं, वे भी तीर्थकर होती हैं।
- इसमें 23वें तथा 24वे तीर्थकर विवाहित थे श्वेताम्बर इनको श्वेताम्बरों की सोच से अलग यह मानते हैं।
- श्वेताम्बर के महान प्रतिपादक स्थूलभद्र थे।
जैन धर्म से सम्बंधित प्रश्न उत्तर
दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण धर्म किसे कहा जाता हैं?
दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण धर्म जैन धर्म को कहा जाता हैं।
जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति प्राप्त करवाना हैं।
जैन धर्म क्या है ?
जैन धर्म एक प्राचीन धर्म हैं ऐसे दुनिया का सबसे प्राचिन्न धर्म कहा जाता हैं। आपको बता दे तो यह जो धर्म आहिंसा के लिए जाना जाता हैं लोग इस धर्म को अहिंसा के नाम पर हैं।
जैन धर्म को कितने सम्प्रदाओं में बांटा गया हैं ?
जैन धर्म को दो संप्रदायों में बांटा गया हैं- दिगंबर और श्वेताम्बर।
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