भौतिक राशि किसी वस्तु या पदार्थ के गुणों के आधार पर उनका माप करने का नाम है। दूसरे शब्दों में वे सभी राशियां जिन्हें हमारे द्वारा संख्यात्मक रूप से मापा जा सकता है। भौतिक राशियां होती हैं। भौतिक राशियाँ के माध्यम से हम पदार्थ के मूल गुणों और उनके द्वारा प्रदर्शित किये जाने वाले अनुप्रयोगों की व्याख्या आसानी से कर पाते हैं। इसके साथ ही हमें भौतिक विज्ञान में नियमों को प्रदर्शित करने के लिये राशियों की बहुत आवश्यकता होती है। जैसे कि लम्बाई, समय, द्रव्यमान इत्यादि (SI मात्रक)। विज्ञान में भौतिक राशियों को दो श्रेणियों में बांटा जाता है। सदिश राशि और अदिश राशि।
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अदिश राशि
ऐसी भौतिक राशियां जिन्हें हम सिर्फ परिमाण में व्यक्त कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में जिन राशियों को व्यक्त करने के लिये हमें सिर्फ परिमाण की आवश्यकता होती है, दिशा की आवश्यकता नहीं होती, अदिश राशियां कही जाती हैं। उदाहरण के तौर पर समय अथवा द्रव्यमान को मापते समय हमें दिशा की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
सदिश राशि
जब हमें किसी राशि को व्यक्त करने के लिये संख्यात्मक परिमाण के साथ साथ दिशा की भी आवश्यकता होती है, तो ऐसी राशियां सदिश राशियों की श्रेणी में आती हैं। उदाहरण के तौर पर विस्थापन, कोणीय वेग, चुम्बकीय क्षेत्र आदि राशियों को मापने के लिये हमें उनके परिमाण के साथ ही उनकी दिशा की भी आवश्यकता होती है।
भौतिक राशियों के मात्रक
भौतिक विज्ञान में हर राशि का मापन करने के लिये कुछ निश्चित मात्रकों का प्रयोग किया जाता है। इन मात्रकों को 4 श्रेणियों में बांटा गया है।
1-मूल मात्रक
मूल मात्रकों को स्वतंत्र मात्रक भी कहा जाता है। मूल मात्रकों में अन्य किन्हीं मात्रकों का कोई प्रभाव नहीं होता है। भौतिकी में दूरी के लिये मीटर, समय के लिये सेकेण्ड, द्रव्यमान के लिये किलोग्राम, विद्युत धारा के लिये एम्पियर, पदार्थ की मात्रा के लिये मोल, ताप के लिये केल्विन और ज्योति तीव्रता के लिये कैंडेला को मूल मात्रक माना गया है।
2-व्युत्पन्न मात्रक
कई बार हमें किसी राशि को मापने के लिये एक से अधिक मात्रकों की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो दो या दो से अधिक मात्रकों को मिलाकर बनने वाले मात्रक व्युत्पन्न मात्रक कहे जाते हैं। जैसे कि किसी वस्तु का वेग अथवा विस्थापन को मापने के लिये हमें वस्तु के विस्थापन की दूरी के साथ साथ निर्धारित समय में वस्तु की चाल की भी आवश्यकता पडती है। तो ऐसी स्थिति में हम व्युत्पन्न मात्रकों का सहारा लेते हैं। अन्य उदाहरणों में न्यूटन, पास्कल, जूल और वोल्ट जैसे मात्रक व्युत्पन्न मात्रकों की श्रेणी में आते हैं।
3-पूरक मात्रक
मूल मात्रक और व्युत्पन्न मात्रकों के अतिरिक्त भौतिकी में दो ऐसे मात्रक हैं जिन्हें पूरक मात्रक कहा जाता है। दरअसल पूरक मात्रक न तो मूल मात्रक होते हैं और न ही व्युत्पन्न मात्रक। भौतिक जगत में रेडियन और स्टे रेडियन को पूरक मात्रक माना गया है। रेडियन का उपयोग समतल कोण को मापने में किया जाता है। जबकि स्टे रेडियन का उपयोग एक से अधिक आयाम वाले अथवा घन कोणों को मापने के लिये किया जाता है।
4-व्यवहारिक मात्रक
व्यावहारिक मात्रकों में वे मात्रक आते हैं जिन्हें हम सामान्य व्यवहारिक जीवन में उपयोग में लाते हैं। यह मात्रक मापन की लगभग सभी प्रणालियों में सम्मिलित होते हैं।
मात्रक पद्धतियाँ
भौतिक जगत में राशियों को मापने के लिये समय समय पर विभिन्न प्रणालियों का उपयोग किया गया है। वर्तमान में भी कई मापक प्रणालियों का उपयोग किया जाता है। इनमें से मुख्य मात्रक पद्वतियां इस प्रकार हैं।
सेंटीमीटर-ग्राम-सेकण्ड (CGS) प्रणाली
1880 के दशक में जर्मन गणितज्ञ और वैज्ञानिक गौस के द्वारा सर्वप्रथम एक सार्वभौमिक मापन पद्वति की परिकल्पना प्रस्तुत की गयी। गौस के द्वारा मिलिमीटर, मिलिग्राम और सेकेण्ड को मूल मात्रक बनाये जाने की संस्तुति की गयी थी। लेकिन इसके बाद इसका परिवर्तित स्वरूप व्यवहार और गणनाओं में प्रयोग में लाया जाने लगा। सीजीएस प्रणाली में लम्बाई का मूल मात्रक सेंटीमीटर को, द्रव्यमान के मूल मात्रक को ग्राम और समय के मूल मात्रक को सेकेण्ड रखा गया। इसी कारण इस प्रणाली का नाम CGS प्रणाली रखा गया है। इन तीन मूल मात्रकों के आधार पर ही उस दौर में व्युत्पन्न मात्रक बनाये गये। हालांकि यह पद्वति अधिक प्रभावी नहीं हो पायी और व्यावहारिक उपयोग के लिये कठिन साबित हुयी। क्योंकि इस प्रणाली के द्वारा लम्बी गणनाओं को करना बहुत ही कठिन होता था। धीरे धीरे इस प्रणाली का स्थान एमकेस पद्वति ने ले लिया
मीटर-किलोग्राम-सेकण्ड (MKS) प्रणाली
वर्ष 1900 के आते आते सीजीएस प्रणाली बहुत व्यावहारिक नहीं रह गयी थी। इसके लिये तत्कालीन गणितज्ञों और वैज्ञानिकों के द्वारा एक नई पद्वति को अपनाने पर जोर दिया गया। इस नयी प्रणाली में मूल मात्रकों में बदलाव किया गया। इसमें लम्बाई के लिये मीटर, द्रव्यमान के लिये किलोग्राम और समय के लिये सेकेण्ड को मूल मात्रक रखा गया। इस प्रणाली को व्यापक तौर पर पूरे विश्व के वैज्ञानिकों के द्वारा स्वीकार किया गया। लगभग सभी राशियों को इन तीन मूल मात्रकों के व्युत्पन्न मात्रकों के रूप में लिखा जाने लगा। लेकिन इस प्रणाली के द्वारा वैद्युत चुंबकीय क्षेत्र की गणनाओं में अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने में कठिनाई आने लगी। जिसे बाद में SI प्रणाली के द्वारा दूर कर लिया गया।
फुट-पाउंड-सेकण्ड (FPS) प्रणाली
यह मापन की एक अन्य प्रणाली है, जो कि पश्चिम में अधिक प्रचलित है। इस प्रणाली में लम्बाई का मूल मात्रक फुट, द्रव्यमान का मूल मात्रक पाउण्ड और समय का मूल मात्रक सेकेण्ड को रखा गया है।
सिस्टम इंटरनेशनल (SI) प्रणाली
वर्ष 1960 में एमकेएस प्रणाली में कुछ आवश्यक सुधार किये गये और एक नयी मापन प्रणाली को अपनाया गया। इसे अन्तर्राष्ट्रीय मापन प्रणाली कहा गया। इस प्रणाली में एस आई यूनिट में कुल 7 मूल मात्रक जोडे गये। इसके साथ ही मूल मात्रकों में ताप, समतल कोण और घन कोण को भी मूल मात्रकों में शामिल किया गया। वर्तमान में यह प्रणाली लगभग सम्पूर्ण विश्व में मान्यता प्राप्त है और व्यवहार में लायी जाती है। SI प्रणाली के मूल मात्रक इस प्रकार हैं-
भौतिक राशि | SI मूल मात्रक |
लंबाई | मीटर |
द्रव्यमान | किलोग्राम |
समय | सेकेण्ड |
पदार्थ की मात्रा | मोल |
विद्युत प्रवाह | ऐम्पियर |
तापमान | केल्विन |
ज्योति तीव्रता | कैंडेला |
SI प्रणाली में अन्य प्रमुख मात्रक
भौतिक राशि | SI मात्रक | भौतिक राशि | SI मात्रक |
कोण | रेडियन | अन्योन्य प्रेरकत्व | हेनरी |
प्रतिरोध | ओम | स्वप्रेरकत्व | हेनरी |
विद्युत धारिता | फैरड | चुंबकीय फ्लक्स | वेबर |
विद्युत विभवांतर | वोल्ट | विशिष्ट प्रतिरोध | ओम-मीटर |
विद्युत विभव | वोल्ट | प्रतिबाधा | ओम |
आवेश | कूलॉम | प्रतिघात | ओम |
आवृत्ति | हर्ट्ज | कार्य | जूल |
दाब | पास्कल | घन कोण | स्टेरेडियन |
शक्ति | वॉट | बल | न्यूटन |
ऊर्जा | जूल | ज्योति फ्लक्स | ल्यूमेन |
वर्तमान में कौन सी मापन प्रणाली चल रही है?
वर्तमान में वैश्विक स्तर पर SI माापन प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। यह प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के द्वारा प्रमाणित और अनुमोदित है।
स्टे रेडियन क्या है?
स्टे रेडियन ठोस कोण को मापने का मात्रक है। बहुआयामी अथवा त्रिआयामी कोण को स्टे रेडियन में मापा जाता है।
दाब का मात्रक क्या है?
SI प्रणाली में पास्कल दाब का मात्रक है।
खगोलीय दूरियों को कैसे मापा जाता है?
खगोलीय दूरी को प्रकाश वर्षों में मापा जाता है।
प्रकाश वर्ष क्या है?
प्रकाश वर्ष दूरी का एक बहुत बडा मात्रक है। एक प्रकाश वर्ष का अर्थ है कि प्रकाश के द्वारा एक वर्ष में तय की दूरी। खगोलीय दूरियों को प्रकाश वर्ष के रूप में मापा जाता है।