Vaccine Chart for Baby in Hindi: क्या आप अभी-अभी माता-पिता बने हैं या फिर बनने वाले हैं, तो आपको पहले से ही अपने शिशु के स्वास्थ्य की जानकारी मालूम होनी चाहिए। इसमें आपको शिशु टीकाकरण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि शिशु के जन्म के बाद टीकाकरण शिशु को स्वस्थ एवं विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रखता है।
बच्चे को आम संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए निर्धारित समय एवं उम्र पर टीके लगाए जाते हैं। अगर आप अपने बच्चे का टीकाकरण नहीं करवाते हैं तो आपके शिशु को कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो सकती है। अतः यह बहुत जरूरी है कि सही समय पर वैक्सीन अवश्य लगवाएं ताकि वे इन सभी रोगों से बच सके। यहाँ पर हम आपको शिशु टीकाकरण के विषय में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहें हैं अतः आप लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
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शिशु टीकाकरण क्या है?
जन्म लेने के बाद बच्चों को विभिन्न तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं जिसे शिशु टीकाकरण कहा जाता है। इन टीकों के बच्चों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इससे बच्चों में संक्रामक बीमारी की रोकथाम एवं स्वस्थ स्वास्थ्य के लिए लगाया जाता है। टीकाकरण शिशु के जन्म होने के पश्चात लगाया जाता है तथा सप्ताह बढ़ने के साथ टीके की खुराक को भी बढ़ाया जाता है।
शिशु टीकाकरण सारणी (0-12 वर्ष)
यहाँ पर हम आपको शिशु के जन्म से लेकर 12 वर्ष की आयु तक क्या टीका लगाना है उसकी जानकारी देने जा रहें हैं आप नीचे टीकाकरण सारणी में देख सकते हैं।
जन्म पर | ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन) खुराक 1 BCG खुराख 1 हेप बी खुराक 1 |
6-8 सप्ताह | DTAP/DTWP (डिप्थीरिया, टेटनस तथा पर्टुसिस) खुराक 1 रोटावायरस खुराक 1 हिब (हेमोफिलस इफ्लुंएजा टाइप बी वैक्सीन) खुराक 1 हेप बी (हेपेटाइटिस बी वैक्सीन) खुराक 2 आईपीवी (इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन) खुराक 1 पीसीवी (न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) खुराक 1 |
10 सप्ताह | DTAP/DTWP (डिप्थीरिया, टेटनस तथा पर्टुसिस) खुराक 2 रोटावायरस खुराक 2 हिब (हेमोफिलस इफ्लुंएजा टाइप बी वैक्सीन) खुराक 2 आईपीवी (इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन) खुराक 2 पीसीवी (न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) खुराक 2 |
14 सप्ताह | DTAP/DTWP (डिप्थीरिया, टेटनस तथा पर्टुसिस) खुराक 3 रोटावायरस खुराक 3 हिब (हेमोफिलस इफ्लुंएजा टाइप बी वैक्सीन) खुराक 3 आईपीवी (इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन) खुराक 3 पीसीवी (न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) खुराक 3 |
6 महीने में | ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन) खुराक 2 हेप बी (हेपेटाइटिस बी वैक्सीन) खुराक 3 |
9 महीन में | ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन) खुराक 3 एमएमआर (खसरा, कंठमाला तथा रूबेला वैक्सीन) खुराक 1 |
9 से 12 महीने में | टाइफाइड सी.वी (टाइफाइड संयुग्म वैक्सीन) खुराक 1 |
12 महीने में | हेप ए (हेपेटाइटिस ए वैक्सीन) खुराक 1 |
12 – 15 महीने | पीसीवी बूस्टर |
15 महीने | एमएमआर 2, वैरीसेला |
16 – 18 महीने | डीटीडब्ल्यूपी / डीटीपी, एसआईबी, आईपीवी |
18 – 19 महीने | हेपेटाइटिस ए- 2, वैरीसेला |
4 – 6 वर्ष | डीटीडब्ल्यूपी / डीटीएपी, आईपीवी, एमएमआर 3 |
9 – 15 वर्ष (बालिका) | एचपीवी (2 खुराक) |
10 – 12 वर्ष | टीडीएपी / टीडी |
दूसरा, तीसरा, चौथा एवं पांचवा साल | वार्षिक इन्फ्लुएंजा वैक्सीन |
यह सारणी केवल जानकारी के लिए है और किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।
अपने बच्चे के लिए टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में सबसे accurate और up to date जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
टीके कैसे लगाए जाते हैं?
पोलिया के अलावा विभिन्न रोगों के टीके इंजेक्शन द्वारा दिए जाते हैं। पोलियो का टीके की जो दवा होती है वह बच्चों को मुंह से पिलाई जाती है।
शिशु को टीकाकरण क्यों लगाया जाता है?
शिशु को टीकाकरण लगाने के निम्नलिखित कारण है जो सभी बच्चों के लिए अनिवार्य है।
- जन्म के बाद शिशुओं को विभिन्न गंभीर बीमारियों जैसे- डिप्थीरिया, टिटनेस, न्यूमोकोकल रोग, खसरा, रूबेला, पोलियो, रोटावायरस, कंठमाला, हेपेटाइटिस बी एवं जापानी इंसेफेलाइटिस आदि से बचाव के लिए टीकाकरण प्रक्रिया की जाती है।
- टीके सुरखित और प्रभावी होते हैं।
- टीका लगने से बच्चों की मृत्यु दर में कमी आती है।
- यदि एक भी टीका छूटता है तो बच्चे को भविष्य में परेशानी हो सकती है।
- आप निजी अस्पतालों के बजाय सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में सस्ते में टीका लगा सकते हैं।
- टीका लगने से शिशु का शरीर रोगाणुओं से लड़ने के लिए मजबूत हो जाता है, जिससे बच्चे बार-बार बीमार नहीं होते हैं।
- वैक्सीन लगने से शिशु का शरीर मजबूत होता है जिससे वे आसानी से गंभीर बीमारियों से लड़ जाता है।
- भारत सरकार द्वारा शिशुओं के लिए निशुल्क टीकाकरण प्रणाली को शुरू किया जाता है।
- टीकाकरण के बाद यदि बच्चे को कोई स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानी होती है तो आप डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते हैं।
Baby Vaccine के बाद होने वाले दुष्प्रभाव
टीकाकरण बच्चों के सुरक्षित स्वास्थ्य के लिए लगाया जाता है। लेकिन कई बच्चों में टीका लगने के बाद कुछ हलके दुष्प्रभाव दिखाई देते हैं जिसे देखकर आप घबराये नहीं, आमतौर पर यह कुछ ही दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। कई बार गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
- टीकाकरण के पश्चात बच्चों को हल्का बुखार भी आ सकता है हालाँकि यह सभी बच्चों को नहीं होता, लेकिन यदि 102 डिग्री से अधिक तापमान रहता है अथवा 24 घंटे से ज्यादा समय बीत गया है तो आपको डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।
- बच्चों को थकान एवं चिड़चिड़ापन भी महसूस हो सकता है।
- बच्चों को दस्त अथवा भूख कम लग्न इसके सामान्य लक्षण है यह कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं।
- टीके लगाने की जगह पर हल्का बुखार व दर्द हो सकता है। इसमें आप दर्द निवारक दवाई अथवा ठंडी सेंक कर सकते हैं।
- अक्सर डीटीपी टीका लगने के बाद कुछ बच्चे अत्यधिक रोते अथवा चीखते हैं लेकिन कुछ समय पश्चात यह ठीक हो जाता है।
- टीकाकरण के बाद एलर्जी प्रतिक्रिया भी हो सकती है। इसमें शिशु को सांस लेने में दिक्कत, चक्कर आना, होंठ अथवा गले में सूजन आदि परेशानी हो सकती है। यदि आपको लगता है कि इससे बच्चे को खतरा हो सकता है तो आप तुरंत ही उसे अस्पताल के जाएं।