वैश्वीकरण क्या है? विशेषताएँ, उद्देश्य, फ़ायदे और नुक़सान | What is Globalization in Hindi

दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की आज के समय में भारत दुनिया की एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। आर्थिक जगत के विशेषज्ञों की माने तो भारत जल्द ही 5 ट्रिलियन Economy वाला देश बन जाएगा। दोस्तों ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सभी देश एक दूसरे के साथ वस्तु और ... Read more

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Reported by Dhruv Gotra

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दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की आज के समय में भारत दुनिया की एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। आर्थिक जगत के विशेषज्ञों की माने तो भारत जल्द ही 5 ट्रिलियन Economy वाला देश बन जाएगा। दोस्तों ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सभी देश एक दूसरे के साथ वस्तु और सेवाओं का विनिमय कर आर्थिक रिश्तों को बढ़ावा देते हैं।

वैश्वीकरण क्या है? विशेषताएँ, उद्देश्य, फ़ायदे और नुक़सान | What is Globalization in Hindi
वैश्वीकरण क्या है? विशेषताएँ, उद्देश्य, फ़ायदे और नुक़सान

वैश्वीकरण को आप इस तरह से समझ सकते हैं की जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण हो और सभी देश निर्यात (Export) एवं आयात (Import) के माध्यम से एक दूसरे के साथ ट्रेड (व्यापार) करें तो यह व्यवस्था Globalization (वैश्वीकरण) कहलाती है।

आज के आर्टिकल में हम वैश्वीकरण की नीतियां, उद्देश्य, विशेषताएं, लाभ एवं नुकसान आदि के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करने वाले हैं। यदि आप Globalization को और अच्छे ढंग से समझना चाहते हैं तो हम आपसे कहेंगे की वैश्वीकरण के ऊपर हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

What is Globalization?

आज के समय में आप देखते ही होंगे की भारत की बहुत सी कंपनियां देश के अलावा विदेशों में भी अपना व्यापार कर रही हैं। कई बार कंपनियों बिजनेस के संबंध में क़ानूनी सलाह, चिकित्सा संबंधी परामर्श, कंप्यूटर सेवा, बैंक सेवा, विज्ञापन, सुरक्षा आदि के लिए देश के बाहर से सहायता लेनी पड़ती है।

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जिसके बदले में देश की कंपनियां अपनी कुछ वस्तु और सेवाओं का विनिमय विदेशी कंपनियों के साथ करती हैं। यही विनिमय वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन कहलाता है। आसान भाषा में कहें तो जब किसी देश की सरकार, कंपनियां, संस्थान एक बाज़ारीकरण (Marketing) मंच पर आकर विदेशी सरकार, कंपनियां या संस्थान के साथ व्यापार करती हैं तो यह व्यापार करना वैश्वीकरण कहा जायेगा। यहाँ हमने कुछ प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के द्वारा वैश्वीकरण पर दी गई परिभाषाओं को व्यक्त किया है जो आपको वैश्वीकरण को समझने में सहायता प्रदान करेंगे।

वैश्वीकरण” को निम्न रूप में परिभाषित करते हैं” सीमाओं के पार विनिमय पर राज्य प्रतिबन्धों का ह्रास या विलोपन और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ उत्पादन और विनिमय का तीव्र एकीकृत और जटिल विश्व स्तरीय तन्त्र है

:काटो संस्थान (Cato Institute) टॉम जी पामर (Tom G. Palmer)

वैश्वीकरण स्थानीय , और यहां तक की व्यक्तिगत , सामजिक अनुभव के सन्दर्भों के परिवर्तन की चिंता करता है। हमारी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों दुनिया के दूसरी ओर होने वाली घटनाओं से प्रभावित होती हैं। इसके विपरीत , स्थानीय जीवनशैली की आदतें विश्व स्तर पर परिणामी हो गई हैं।

:हेल्ड मैक्ग्रे (2007)

वैश्वीकरण का संक्षिप्त इतिहास (History of Globalization):

आपको बताते चलें की बहुत से अर्थशास्त्र के जानकार मानते हैं की Globalization की शुरुआत 20वीं शताब्दी के आस-पास हुई जब दुनिया तेजी औद्योगिक क्रांति के कारण बदल रही थी। आपने इतिहास में जरूर पढ़ा होगा की पुरातन काल में राजा-महाराजा, दार्शनिक, विद्वान, व्यापारी देश एवं विदेश की बहुत ही लम्बी-लम्बी यात्राएं करते थे जिस कारण वह तरक्की के नए-नए मार्ग और द्वीपों की खोज किया करते थे। इस तरह से एक देश से होने वाला व्यापार दूसरे देश की संस्कृति, सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करता था।

ऐसी यात्राएं दो देशों के बीच एक आर्थिक रिश्ता कायम करती थी और इससे व्यापार बढ़ता था। दोस्तों आपको बता दें की पुरातन समय में भारत में उत्पादित होने वाला रेशम चीन से लेकर यूरोपीय देशों में बेचा जाता था। आप इसी से समझ सकते हैं की इस तरह के व्यापारिक संबंधों ने लोगों के जीवन में प्रतिकूल प्रभाव डाला ।

दोस्तों लेकिन अगर हम आधुनिक वैश्वीकरण की बात करें इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में हुई थी। जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ और शांति काल का प्रारम्भ हुआ तो उस समय सन 1980 से 1990 के बीच में सोवियत संघ से बहुत से देश अलग हो गए और कई सारी नयी अर्थव्यवस्थाओं का उदय हुआ।

वैश्वीकरण के चरण क्या-क्या हैं ?

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थॉमस फ्राइडमैन ने वैश्वीकरण को तीन प्रमुख चरणों में बांटा है जो इस प्रकार निम्नलिखित है –

  • पहला चरण (1492 से लेकर 1800 तक): वैश्वीकरण का पहला चरण बहुत ही क्रूर और गुलाम सोच वाला रहा इसमें राजा किसी दूसरे देश पर आक्रमण कर उस देश को अपना उपनिवेश बना लेते थे। यह चरण व्यापारिवाद और उपनिवेशवाद के लिए प्रसिद्ध है।
  • दूसरा चरण (1800 से लेकर मध्य 20वीं शताब्दी तक): यह चरण द्वितीय विश्व युद्ध काल के समय का है। दुनिया औद्योगिक क्रांति बदल रही थी और द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के कारण नयी वैश्विक व्यवस्था का जन्म हो रहा था। दुनियाभर में उपनिवेशीकरण के कारण नए रूप में निर्मित हो रही थी।
  • तीसरा चरण (1945 से अब तक): वैश्वीकरण के तीसरे चरण में अमेरिका और यूरोप जैसे अमीर देशों में IMF, वर्ल्ड बैंक जैसी वित्तीय संस्थाओं की स्थापना।

Globalization के कुछ प्रमुख कारण:

वैश्वीकरण ने दुनिया के देशों की बीच दूरी को मिटा दिया है और ग्लोबलाइजेशन ने एक बहुत बड़ा आर्थिक मंच प्रदान किया है।

  • सभी देशों का अपनी जरूरत के अनुसार एक-दूसरे पर निर्भरता
  • समय के साथ विज्ञान और तकनीक के विकास ने व्यापार से लेकर हर एक क्षेत्र को बदलकर रख दिया है। जिससे लोगों का सुचना का आदान-प्रदान और व्यापार करना आसान हो गया है।
  • वैश्वीकरण ने ग्राहकों और Retailers के लिए प्रोडक्ट के उत्पादन और बाजार को व्यापक स्तर पर ला दिया है जिससे ग्राहकों के पास अपने पसंदीदा उत्पाद को खरीदने के लिए अब बहुत से बेहतर विकल्प उपलब्ध हो गए हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण ही अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एवं वाणिज्यिक संस्थाए (विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व व्यापार संगठन) आदि की स्थापना की जरूरत महसूस हुई।
  • औद्योगिक क्रांति आने से अधिक से अधिक कारखानों की स्थापना, प्रोडक्ट के उत्पादन में बढ़ावा और प्रबंधन के कार्यों को काफी आसान और लचीला बनाया है।

वैश्वीकरण की विशेषताएं एवं उद्देश्य:

दुनिया की वैश्वीकरण अर्थव्यवस्था को समझने के लिए आपको निम्नलिखित बिंदुओं को समझना होगा जो इस प्रकार से हैं –

  • देशों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे का सहयोग: यदि किसी दो देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हैं तो वह अंतराष्ट्रीय स्तर पर हमेशा ही एक दूसरे को सहयोग करेंगे। उदाहरण के लिए आप यह समझें की कोई देश यदि अपनी कंपनी की गैस पाइप लाइन किसी दूसरे देश की सीमा के अंदर बिछाना चाहता है तो वह आसानी से बिछा सकता है यदि उसके व्यापारिक और आर्थिक संबंध दूसरे देश के साथ मजबूत हो। यह संबंध होना ही देशों का आपस में एक दूसरे का सहयोग कहलाता है।
  • राष्ट्रों के बीच विश्व बंधुत्व की भावना को जागृत करना: यदि संसार में देशों के बीच विश्व बंधुत्व की भावना रहेगी तो प्राकृतिक और अप्राकृतिक स्थितियों में कोई भी देश किसी दूसरे की यथा सम्भव पैसों और संसाधनों के द्वारा मदद कर सकता है। इसी कारण दुनिया का हर कोई देश वैश्वीकरण की व्यवस्था को अपनाने के लिए तैयार है।
  • लोगों के बीच आर्थिक समानता को पैदा करना: यदि अगर किसी देश में गरीब और अमीर लोगों की खाई बढ़ती जाएगी तो उस देश का आर्थिक विकास होना मुश्किल है। आज के समय विकासशील देश और अल्पविकसित गरीब देशों के बीच आर्थिक असमानता बहुत बढ़ गई है जिसको कम करने की जरूरत है।
  • देश के सर्वांगीण विकास हेतु नई साझेदारियों को बढ़ावा देना: अंतर्राष्ट्रीय संगठन और कई बड़ी वित्तीय संस्थाओं का यही मानना है की देशों के बीच अधिक से अधिक संधियाँ हों और व्यापार बढ़े। इन नए तरह की साझेदारियों और संधियों से देश के सर्वांगीण आर्थिक विकास को नई दिशा मिलती है।

वैश्वीकरण सूचकांक (Globalization index):

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वैश्वीकरण सूचकांक जिसे व्यापार GDP अनुपात (Ratio) भी कहा जाता है। यह अनुपात किसी देश या राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और अंतराष्ट्रीय व्यापार के बीच मापा जाता है। इस अनुपात के आधार पर किसी भी राष्ट्र को अंतराष्ट्रीय बाज़ार के मंच पर सूचकांक के तहत रजिस्टर किया जाता है।

आपको बता दें की सूचकांक के संकेतक की गणना किसी एक निश्चित अवधि में किये देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद और उसी समयावधि में किये गए कुल आयत और निर्यात किये गए वस्तुओं के कुल मूल्य को भाग करके की जाती है तकनीकी रूप से इसे अनुपात कहा जाता है लेकिन संकेतक हमेशा ही प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। जिस कारण इस अनुपात को Trade Openness Ratio कहा जाता है। यह सूचकांक किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की हालत को दर्शाता है।

Globalization के फायदे (Advantages):

दुनिया में वैश्वीकरण के आने से अनेक क्षेत्रों का फायदा पहुंचा है। globalization ने हमेशा ही देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दिया है। वैश्वीकरण के फायदों को हमने आपको कुछ निम्नलिखित बिंदुओं में आपको समझाया है –

  • देश की आर्थिक विकास में उछाल: अर्थशास्त्रियों के अनुसार वैश्वीकरण व्यवस्था के आने से देश की आर्थिक विकास दर में बहुत तेजी से उछाल आया है। वैश्वीकरण ने ना ही हमारे देश की अर्थव्यवस्था की संरचना को परिवर्तित किया है बल्कि अन्य देशों की अर्थव्यवस्था की संरचना को भी प्रभावित किया है।
  • लोगों के लिए वस्तुओं और सेवाओं की बहुविकल्पीय उपलब्धता: दोस्तों वैश्वीकरण ने बाज़ार को व्यापक स्तर पर बढ़ा दिया है। वैश्वीकरण ने लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न विकल्पों के साथ उत्पाद की वस्तुओं एवं सेवाओं को उपलब्ध करवाया है।
  • प्रत्येक क्षेत्र में कुशल कामगारों की वृद्धि: यह तो अपने देखा होगा की वैश्वीकरण के आने से बाजार में प्रतियोगिया बहुत बढ़ गई है। जिस कारण हर क्षेत्र में कुशल कामगार की मांग बहुत बढ़ गई। यदि हर क्षेत्र में कुशल कामगार मजदूर होंगे तो देश के हर एक क्षेत्र में कार्यकुशलता में वृद्धि होगी। कार्यकुशलता के कारण हमें इसके अभूतपूर्व प्रभाव देखने को मिलते हैं।
  • देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि: विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास ने हमारे हर एक क्षेत्र को बदलकर रख दिया है। यदि हम देखें पहले के समय में पुरानी फैक्ट्रियों और कारखानों में किसी एक प्रोडक्ट को तैयार होने में बहुत अधिक समय लगता था। पर अब टेक्नोलॉजी ने फैक्ट्रियों और मजदूरों की कार्यकुशलता में बदलाव करके घंटों में होने वाले काम को मिनटों में कर दिया है। टेक्नोलॉजी आने से नई-नई तरीके की मशीने स्थापित हुई हैं और लोगों के लिए कई तरह के रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
  • वैश्वीकरण के कारण नागरिकों के जीवन में सुधार: वैश्वीकरण ने लोगों की आय और बचत को बढ़ाया है। आय बढ़ने के कारण अब लोग खुलकर बाज़ार में अपनी मन पसंदीदा वस्तुओं पर खर्च कर सकते हैं। बचत के बढ़ने से लोगों के जीवन स्तर में काफी सुधार आया है। जब किसी देश का नागरिक खुश रहेगा तो देश अपने आप ही तेजी से आर्थिक विकास करेगा।

यह भी पढ़ें: रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है?

वैश्वीकरण के नुकसान (Disadvantages):

वैश्वीकरण के जहाँ एक ओर फायदे हैं वहीं दूसरी तरफ इसके कुछ नुकसान भी हैं जो इस प्रकार निम्नलिखित हैं –

  • कृषि क्षेत्र में खाद्य फसलों के उत्पादन में कमीं: हम यह तो देखते हैं की देश के अन्य क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी आने से बहुत तरह के रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं लेकिन यदि हम कृषि क्षेत्र की बात करें तो यहाँ टेक्नोलॉजी के उपयोग से फायदे काम और नुकसान ज्यादा देखने को मिलता है। वैश्वीकरण की प्रतियोगिता की अंधी दौड़ में हमने खाद्य फसलों के उत्पादन में विभिन्न तरह के रसायन और यूरिया का उपयोग करना शुरू कर दिया है जो की स्वास्थ के लिए बिलकुल भी हितकारी नहीं है। यूरिया से उत्पादित फसलें आज कैंसर का कारण बन रही हैं। इससे हम कह सकते हैं की वैश्वीकरण ने कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
  • वैश्वीकरण के कारण मध्यम एवं लघु व्यापारियों का नुकसान: वैश्वीकरण के कारण आज हम बाज़ारों में देख रहे हैं की विदेशी कंपनियों के उत्पादों और स्टोर्स की बड़ी धूम है। विदेशी कंपनियों ने भारत के बाज़ारों पर कब्ज़ा करने के लिए ग्राहकों को कम दामों पर अपनी वस्तुओं और सेवाओं को बेचना शुरू कर दिया है। इस कारण देश की कम्पनियाँ , लघु एवं मध्यम व्यापारी के सामने अपने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। अपने आर्थिक नुकसान के कारण कई मध्यम वर्गीय कम्पनीज को अपना रोजगार बंद करना पड़ा है ऐसे में लघु व्यापारी के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों के बीच अपने रोजगार को लेकर बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया है। वैश्वीकरण का फायदा हमें बड़े पूंजीपतियों , उद्योगपतियों के पास देखने को मिलता है।
  • वैश्वीकरण के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव: प्रतियोगिता के इस दौर में अब देशी कंपनियों के ऊपर यह दबाव आ गया है की वह भी अपने व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएँ। अगर देशी कंपनियां अगर अपने व्यापार को व्यापक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नहीं ले जाती हैं तो देशी कंपनियों को डर है की कोई बड़ी विदेशी कंपनी उनके बाजार और उनका अधिग्रहण कर लेगी।
  • देश की आत्मनिर्भरता और राष्ट्रिय भावना का आहत होना: प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर अभियान के कारण जहाँ रोज देश में नए-नए स्टार्टअप कंपनियों की शुरुआत हो रही है लेकिन बाज़ार में पहले से मौजूद बड़ी विदेशी कंपनियों को चुनौती देना आसान नहीं है ऐसे में बहुत सी स्टार्टअप कंपनियां शुरु होकर बंद हो चुकी है। यदि हमें राष्ट्र हित में आत्मनिर्भर अभियान को साकार करना है तो बाज़ार और प्रोडक्ट सिस्टम में मौजूद विदेशी कंपनियों के शिकंजे को उखाड़ फेकना होगा।
  • अधिक से अधिक घरेलू बाज़ार पर बाहरी कंपनियों का अधिग्रहण: दोस्तों हम पहले ही आपको ऊपर बता चुके हैं यदि अधिक से अधिक विदेशी कंपनियों का हमारे देश में आगमन होगा तो वह अपना व्यापार स्थापित करने के लिए बहुत बड़ी संख्या में हमारे देश की छोटी कंपनियों का अधिग्रहण कर रही हैं। हमारा देश जो व्यापार के साथ वायु प्रदुषण , पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जैसी समस्याओं से गुजर रहा है ऐसे में विश्व बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करना काफी कठिन है। यदि हम अपने देश में उदारवादी और मजबूत राजनितिक इच्छाशक्ति पर कार्य करें तो हमारा देश भारत वैश्वीकरण के मंच पर प्रथम स्थान प्राप्त कर सकता है।

Globalization से जुड़े प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):

वैश्विक इंडेक्स क्या होता है ?

सकल घरेलू उत्पाद और देश के आयात एवं निर्यात के अनुपात के संकेतक को Economy की भाषा में वैश्विक इंडेक्स कहा जाता है।

वर्ल्ड बैंक का हेडक्वार्टर कहाँ है ?

वर्ल्ड बैंक का हेडक्वार्टर संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन D.C में स्थित है।

IMF के प्रमुख कौन हैं ?

वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के प्रमुख/ प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा हैं।

वैश्वीकरण किसे कहा जाता है ?

जब सभी देश की अर्थव्यवस्थाएं मिलकर एक साझेदारी बाज़ार का मंच बनाती है तो उस मंच को वैश्वीकरण कहा जाता है।

वैश्वीकरण के अंग कौन-कौन से हैं ?

वैश्वीकरण को निम्नलिखित पांच अंगों में विभाजित किया गया है –
देशों के बीच व्यापार संबंधी अवरोध मुक्त प्रवाह
देशों के बीच प्रौद्योगिकी का मुक्त प्रवाह
देशों के बीच श्रम का मुक्त प्रवाह
देशों के बीच पूँजी का मुक्त प्रवाह
पूँजी की पूर्ण परिवर्तनशीलता।

विश्ववादियों के क्या प्रकार हैं ?

विश्ववादियों को तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार से निम्नलिखित हैं –
अति विश्ववादी
संशय वादी
परिवर्तनकारी

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