ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) किसी भी देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था का पता लगाने का एक माध्यम है। किसी भी देश की अर्थवस्था को मापने के लिए GDP का प्रयोग किया जाता है।
जिसके माध्यम से देश के कुल उत्पाद को मापा जा सकता है। जीडीपी को हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद भी कहा जाता है। भारत देश में Gross Domestic Products की गणना 3 माह में की जाती है।
आमतौर पर जीडीपी की गणना एक साल के अंतराल में की जाती है। यदि जीडीपी बढ़ती है तो इसका मतलब है देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था सही है और यदि जीडीपी कम हो रही है तो इसका मतलब है देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था कमजोर है। जीडीपी के आधार पर विकसित तथा विकासशील देशों का निर्धारण किया जाता है।
Gross Domestic Products (GDP) जीडीपी
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा नापा जाता है। इस कार्यालय में देश के सभी जीडीपी आंकड़ों को कैलकुलेट कर के फाइनल जीडीपी आंकड़े को बताया जाता है।
जीडीपी सम्बन्धित अन्य जानकारी जैसे – GDP क्या होता है? जीडीपी कितने प्रकार की होती है ? और जीडीपी निकालने के लिए किस सूत्र का प्रयोग किया जाता है आदि आर्टिकल में दिया गया है
जीडीपी (GDP) क्या है, यहाँ जानिये
देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था की गणना करने के लिए Gross Domestic Products का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी गणना एक वर्ष के अंतराल में की जाती है।
GDP आंकड़े की गणना सितम्बर में की थी अब इस वर्ष जीडीपी के तिमाही आंकड़े अप्रैल-जून में जारी किये जाएंगे। सरकार द्वारा Gross Domestic Products में कुछ साल पहले सर्विस सेक्टर, शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, कम्प्यूटर आदि को भी शामिल कर दिया गया है।
जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद)
सबसे पहले अमेरिका अर्थशास्त्री द्वारा GDP शब्द का प्रयोग 1935-44 में हुआ था। उस समय देश की आर्थिकअर्थव्यवस्था को समझने का कोई सरलतम उपाय नहीं था। जिससे की आर्थिक विकास को सरलता से समझाया व समझा जा सके।
फिर अमेरिका की संसद में हुई मीटिंग के दौरान साइमन ने जीडीपी शब्द का प्रयोग किया जिससे कई लोग सहमत हुई और कई लोगो ने असहमति जताई। इसके पश्चात आईएमएफ द्वारा जीडीपी शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। फिर अन्य देशों द्वारा भी अपने देश की आर्थिक व्यवस्था की गणना के लिए Gross Domestic Products (GDP) को प्रयोग में लाये।
GDP के ये हैं प्रकार
सकल घरेलू उत्पाद दो तरह के होते हैं क्योकि प्रत्येक वर्ष उत्पादों का मूल्य में कमी व बढ़ोतरी होती रहती हैं। इसके अंतर्गत उत्पादों के मूल्य एक वर्ष में उत्पादों की कीमतों के आधार पर में तय किया जाता है।
इसमें दूसरा वस्तुओं के चल रहे मूल्य पर निर्धारित किया जाता है। दोनों प्रकार से जीडीपी की अधिक जानकारी नीचे दी जा रही है।
Real Gross Domestic Products
वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के मूल्यों की गणना करते समय मुद्रास्फीति का नियंत्रण करने के लिए सरकार द्वारा एक आधार वर्ष चुना जाता है। Real Gross Domestic Products में एक ही आधार वर्ष के उत्पादों के कीमतों का पता लगा कर बहुत से वर्षों के उत्पादों की मात्रा का पता लगाया जा सकता है.
हर साल उत्पादों के मूल्य व मात्रा में परिवर्तन को दिखाया जाता है। वास्तविक GDP के माध्यम से देश के आर्थिक आर्थव्यवस्था का सही अनुमान लगाया जा सकता है।
Unrealistic Gross Domestic Products
देश की जीडीपी वर्तमान उत्पादों के मूल्य के आधार पर निकाली जाती है। वर्तमान कीमत के माध्यम से जो जीडीपी रेट निकाला जाता है।
GDP ऐसे निकालें
सकल घरेलू उत्पाद निकालने के लिए सूत्र का प्रयोग किया जाता है। दिए गए सूत्र में वास्तविक जीडीपी में से अवास्तविक जीडीपी को विभाजित किया जाता है और उसे 100 से गुना कर देते है, जिसके माध्यम से Gross Domestic Products निकाला जाता है। सूत्र को नीचे दी गयी सूची से प्राप्त करें।
- सकल घरेलू उत्पाद = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात-आयात)
- GDP (कुल घरेलू उत्पाद) = उपभोग (Consumption) + कुल निवेश
- GDP = C + I + G + (X − M)
जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) सम्बन्धित सभी जानकारियां आर्टिकल में दे दी गयी है। यदि आपको आर्टिकल को समझने में किसी प्रकार की परेशानी होती है या कोई अन्य जानकारी प्राप्त करनी है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में मेसेज कर सकते हैं।
जीडीपी से सम्बन्धित कुछ प्रश्न उत्तर
किसी देश की सीमा में एक निर्धारित समय के भीतर तैयार सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं।
जीडीपी निकालने के लिए सूत्र – सकल घरेलू उत्पाद = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात-आयात), GDP = C + I + G + (X − M) है।
Gross Domestic Products दो प्रकार के होते हैं। पहला वास्तविक जीडीपी और दूसरा अवास्तविक जीडीपी।
सकल घरेलू उत्पाद की गणना एक साल में की जाती है और भारत में जीडीपी की गणना तीन महीने में की जाती है।
सकल घरेलू उत्पाद शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1935-44 में हुआ था।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) जीडीपी की गणना करता है।