भारत के इतिहास में अंग्रेजों के शासन के विरुद्ध कई पुरुषों एवं महिलाओं ने अपना सम्पूर्ण योगदान एवं अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। इन्हीं में से एक रानी चेन्नम्मा ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए खूब संघर्ष किया। आपको बता दे यह कर्नाटक राज्य कित्तूर की रानी थी जिसने अपने शासन में अपनी वीरता, दृढ़ संकल्प और धैर्य के बल पर अत्याचारों के विरोध में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। सम्पूर्ण जीवन में संघर्ष करते-करते ये वीर गति को भी प्राप्त हो गई। भारत के इतिहास में जिन भी शासकों ने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी है उनमें इनका नाम सबसे पहले आता है। ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने अंग्रेजों को युद्ध में पछाड़ दिया था यह इनकी शक्ति और वीरता को प्रदर्शित करता है। आज इस लेख में हम आपको रानी चेन्नम्मा जीवनी (Biography of Kittur Chennamma in Hindi Jivani) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहें हैं, अतः आपको इस आर्टिकल के लेख को अंत तक जरूर पढ़ना है।
रानी चेन्नम्मा जीवनी
रानी चेन्नम्मा का जन्म कर्नाटक के बेलगावी जिले के काकती गांव में 23 अक्टूबर 1778 को हुआ था। इनके पिता का नाम धूलप्पा तथा माता का नाम पद्मावती था ये दोनों राजा-रानी थे। चेन्नम्मा जब 15 वर्ष की थी तो इनका विवाह राजा मल्लसरजा से कर दी गई थी उस समय ये कित्तूर राज्य के राजा थे। इन दोनों का एक पुत्र भी हुआ जिसके साथ ये बहुत खुश थे। लेकिन वर्ष 1816 में इनके पति का देहांत हो गया और ये टूट गई लेकिन इनका पुत्र इनके पास था जिससे ये वे दुख को भूल गई। फिर से ये अपने जीवन में ख़ुशी से रहने लगी परन्तु दुर्भाग्य ने इनका पुत्र भी इनसे छीन लिया वर्ष 1824 में पुत्र की भी मृत्यु हो गई। परन्तु कुछ समय बाद इन्होंने एक पुत्र को गोद ले लिया था जिसका नाम शिवलिंगप्पा था।
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Biography of Kittur Chennamma in Hindi Jivani
नाम | चेन्नम्मा |
जन्म | 23 अक्टूबर 1778 |
जन्म स्थान | काकती, बेलगावी जिला, वर्तमान में कर्नाटक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
उपनाम | रानी चेन्नम्मा, कित्तूर रानी चेन्नम्मा |
मृत्यु | 21 फरवरी 1829 |
मृत्यु स्थान | बैलहोंगल, बबंई प्रेसीडेंसी |
माता का नाम | पद्मावती |
पिता का नाम | धूलप्पा |
राज्य | कित्तूर |
पति का नाम | राजा मल्लसर्ज |
संतान | एक बेटा |
प्रसिद्धि का कारण | वर्ष 1825 में ब्रिटिश इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई लड़ी |
कित्तूर पर हमला
अंग्रेजों की कब से कित्तूर राज्य पर नज़र लगी हुई थी और जब रानी अपने गोद लिए पुत्र शिवलिंगप्पा को राज्य का उत्तराधिकारी बनाने वाली थी तो अंग्रेजों ने इसका बहुत विरोध किया कि वे सिर्फ अपने ही पुत्र को उत्तराधिकारी बना सकती ना कि किसी भी गोद लिए हुए पुत्र को। ये सब कहकर अंग्रेज कित्तूर राज्य को हड़पने के लिए योजना बनाने लग गए। उन्होंने देशद्रोहियों को भी अपनी ओर शामिल कर लिया ताकि उन्हें वे आधा राज्य दे सके लेकिन यह सिर्फ एक लालच था। यह सब जानकर रानी ने कहा यह हमारा आपसी राज्य का मामला है इसमें अंग्रेज दखल बिलकुल भी ना दें।उन्होंने अपनी जनता को कहा जब तक मैं जीवित हूँ तब तक कित्तूर राज्य पर कोई भी शासन या अधिकार नहीं कर सकता है।
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स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की शुरुआत
भारत के हर स्थान पर धीरे-धीरे का अंग्रेज अपना अधिकार जमा रहे थे, साथ-साथ वे चाहते थे कि वे कित्तूर राज्य को भी हासिल कर ले, लेकिन ऐसा करने में ये असमर्थ थे। क्योंकि कित्तूर राज्य की रानी उनके सामने सबसे बड़ी आफत थी जो उन्हें ऐसा करने से रोक रही थी। कित्तूर राज्य को प्राप्त करने के लिए अब अंग्रेजों ने अपनी मनमानी करना शुरू कर दिया जिससे परेशान होकर रानी ने बम्बई प्रेसीडेंसी के गवर्नर के लिए एक पत्र लिखा और भेज दिया, परन्तु यह भी असमर्थ हो गया, ऐसा करके भी कोई सहायता नहीं मिली। आपको बता दे कित्तूर एक धन सम्पूर्ण राज्य था और अंग्रेज इस धन-सम्पति एवं रानी के कीमती आभूषणों को लूटना चाहते थे। रानी के पास 1.5 मिलियन तक खजाना उपलब्ध था।
यह सब लूटने के लिए अंग्रेज 400 बंदूकों को तैयार करके लगभग 20000 से भी अधिक सेना को इकट्ठा करके कित्तूर की ओर आक्रमण करने के लिए चल पड़े। वर्ष 1824 के अक्तूबर के महीने में लड़ाई होनी आरम्भ हो गई। पहले युद्ध में तो ब्रिटिश सेना को काफी हानि हुई और इसमें कलेक्टर एवं राजनैतिक जासूस, दोनों को कित्तूर सेना द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया था। इसके पश्चात सर वॉटर इलियट एवं मी जो कि ब्रिटिश अधिकारी थे इनको कित्तूर सेना ने कैद कर लिया। परन्तु समझौते के दौरान इनको छोड़ दिया गया तथा युद्ध रोकने के लिए कहा गया लेकिन इस युद्ध को ब्रिटिश अधिकारी चैपलिन ने नहीं रुकने दिया।
मृत्यु
अंग्रेज चाहते थे कि वे चित्तूर राज्य पर भी कब्जा करके उसे अपना बना ले लेकिन वे ऐसा करने में असफल हुए और क्रोध में आ गए कि हम इतने छोटे राज्य पर भी शासन नहीं कर पा रहें है। इसलिए उन्होंने एक योजना बनाई और मुंबई, मैसूर, बेलगांव तथा चेन्नई जैसे स्थानों की सेना को एक साथ शामिल किया और कित्तूर पर आक्रमण करने के लिए भेज दिया। 20 नवंबर 1824 में इन्होंने कित्तूर पर हमला करना आरम्भ कर दिया, कित्तूर की सेना भी अंग्रेजों से लड़ने के लिए आ गई। किन्तु अंग्रेजों की सेना के सामने कित्तूर की सेना बहुत ही कम थी। लेकिन रानी ने अपने सैनिकों के साथ अंग्रेजों को हराने की पूरी कोशिश की।
यह युद्ध लगातार चल ही रहा था। अंग्रेजों ने फिर एक साथ मिलकर 3 दिसंबर को प्रबल रूप से आक्रमण कर दिया और पुरे कित्तूर के किले को हड़प लिया। अंग्रेजों ने रानी के सैनिकों की निर्मम हत्या करनी शुरू कर दी और इनके सेनापति गुरु सिद्धप्पा को अपने कब्जे में करके फांसी लगा दी। रानी चेन्नम्मा अपने साहस से लड़ती रही परन्तु यह कुछ समय तक ही रहा और रानी को भी कैद करके बैलहोंगल किले में बंद कर दिया गया। रानी ने यहाँ से निकलने की पूरी कोशिश की परन्तु वे नाकाम रही। कुछ समय पश्चात 21 फरवरी 1829 को इनकी मृत्यु हो गई और कित्तूर में इनका समाधि स्थल स्थित है।
Kittur Chennamma Rani का सम्मान
भले ही कित्तूर की रानी इस युद्ध को जीतने में सफल ना हुई लेकिन उसने अपना जीवन स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बलिदान कर दिया और इतिहास में मृत्यु प्राप्त करके अमर हो गई। ये एक वीर, निडर एवं साहसी शासिका थी जिसने आजादी के लिए संघर्ष किया। उत्तर भारत में इनको झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम देकर सम्मानित किया जाता है। और दक्षिण भरा में इनको चेन्नम्मा की रानी का सम्मान दिया जाता है।
- रानी चेन्नमा की समाधि कित्तूर राज्य के एक पार्क में स्थापित की हुई है।
- इनकी वीरता और सहस के गाथागीत अभी भी बोले जाते है ताकि इन्हें सम्मान मिल सके।
- इनकी प्रतिमाएं भी बनाई गई है जो कित्तूर और बंगलौर में स्थित है।
- वर्ष 2007 में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति) जी द्वारा संसद की परिसर में Kittur Chennamma की प्रतिमा का आवरण किया गया था।
रानी चेन्नम्मा जीवनी से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर
Kittur Chennamma का जन्म कब हुआ?
इनका जन्म 23 अक्टूबर 1778 में कर्नाटक के बेलगावी जिले में हुआ था।
रानी चेन्नम्मा की मृत्यु कब हुई?
इनकी मृत्यु 21 फरवरी 1829 को हुई थी।
Kittur Chennamma कौन थी?
यह एक वीर और साहसी कर्नाटक राज्य के चित्तूर की रानी थी, जिन्होंने अपनी वीरता के दम पर अपना नाम इतिहास में दर्ज किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अंग्रेजों के साथ लड़ने वाली पहली महिला शासिका थी। जिन्होंने भारत देश को स्वतंत्र करने के लिए अपना अपना सम्पूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया।
Kittur Chennamma का विवाह किससे हुआ था?
इनका विवाह चित्तूर के राजा मल्लसर्ज से हुआ था।
मृत्यु के समय रानी चेन्नम्मा की आयु कितनी थी?
मृत्यु के समय रानी चेन्नम्मा की आयु 50 वर्ष थी।
वर्ष 2007 में कित्तूर की रानी चेन्नम्मा की प्रतिमा का आवरण संसद में किसने किया था?
वर्ष 2007 में कित्तूर की रानी चेन्नम्मा की प्रतिमा का आवरण संसद में भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा किया गया था।
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