दोस्तों नमस्कार, दोस्तों आज के आर्टिकल के विषय में हम बात करने जा रहे हैं समय की जिसे टाइम या वक्त भी कहा जाता है। जैसा की आप जानते हैं की अगर समय अच्छा है तो आपका जीवन खुशहाल और चिंतामुक्त होता है और यदि समय खराब है तो आपके जीवन में मुसीबतें, तनाव, ख़राब स्वास्थ आदि की उपस्थिति हो जाती है। हमारा आज का यह आर्टिकल समय का महत्व पर निबंध भी “importance of time” के बारे में है। आपको तो पता ही होगा की कहा भी जाता है की चाहे समय अच्छा हो या ख़राब हमें हमेशा सकारात्मक होना चाहिए। समय इस विश्व की ऐसी वस्तु है जिसे ना ही खरीदा और ना ही बेचा जा सकता है। समय का पहिया दुनिया में चाहे अमीर हो या गरीब सभी के लिए समान रूप से चलता रहता है।
यह भी देखें :- समय का सदुपयोग पर निबंध
हमारे बड़े बुजुर्गों और शास्त्रों वेदों में भी कहा गया है की समय सबसे बलवान है। समय ही किसी को पलक झपकते अमीर और ताकतवर तथा किसी को निर्धन एवं गरीब व कमजोर बना सकता है। दोस्तों हमें अपने जीवन में समय के मूल्य को समझना चाहिए। बिजनेस या व्यापार की भाषा में बात करें तो “Time is Money” बिजनेस में सफलता और लाभ समय के मूल्य (Value of time) पर ही निर्भर करते हैं। इस विश्व की सबसे मूल्वान वस्तु की बात करें तो है आपका समय जो यदि एक बार चला गया तो वापस फिर कभी लौटकर नहीं आता।
दोस्तों इस दुनिया में वही जीवित बचा रह सकता है जो बदलते समय के साथ अपने आप को समय के अनुरुप ढालते रहे। आगे आर्टिकल में आप समय से जुड़े तथ्यों और महत्व के बारे में जानेंगे आपसे अनुरोध है की इन सभी जानकारियों के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
प्रस्तावना :- समय का महत्व
दोस्तों जैसा की हम आपको उपरोक्त ही बता चुके हैं की समय हम सबके जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। यदि हम वैज्ञानिक दृष्टि से बात करें तो समय को एक भौतिक राशि माना गया है। इस संसार में होने वाली घटनाएं समय के साथ ही घटित होती हैं। जब कोई घटना एक प्रारम्भिक बिंदु से प्रारम्भ होकर अंतिम बिंदु तक घटित होती है तो घटना के पूरा होने में कुछ न कुछ समय लगता है। भौतिकी के अनुसार हम यह कह सकते हैं की समय एक भौतिक एलिमेंट है।
घटना के अनुसार विद्वानों ने समय को तीन भागों में बांटा है – भूतकाल, वर्तमान, भविष्य आदि। इसमें भूतकाल उस समय को कहा जाता है जिसमें कोई घटना होकर बीत चुकी है। इसी प्रकार वर्तमान वह समय है जिसमें कोई घटना हो रही है या चल रही है। तथा भविष्य वह समय है जिसमें हम यह अनुमान लगाते हैं की आने वाले समय में कोई घटना घटित होने वाली है।
समय का इतिहास
दोस्तों यदि हम बात करें समय के इतिहास के बारे में बात करें तो समय का इतिहास उतना ही पुराना है जितना की हमारा ब्रह्माण्ड। विद्वान, वैज्ञानिक आदि सभी यह मानते हुए आये हैं की समय हमारे साथ तब से है जब बिग बैंग की घटना के कारण इस ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ। पौराणिक काल से ही मनुष्य यह समझने की कोशिश में लगा हुआ है की समय क्या है। भौतिक विज्ञान में बताये गए सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार दुनिया में समय ऐसी वस्तु है जो स्वयं ही गतिशील है।
समय की परिभाषा
समय को कोई परिभाषा तो नहीं हैं लेकिन हम यह कह सकते हैं की किसी कालखंड में होने वाली घटनाओं को घटित होने में लगने वाले समय को समय कहा जाता है। पुरे विश्व में हर किसी देश का अपना मानक समय होता है जिसके अनुसार वहां के कार्य और घटनाएं पूर्ण की जाती हैं। आपको बता दें की दुनिया भर के देशों का मानक समय ब्रिटेन में स्थित ग्रीन व्हीच टाइम जोन के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
समय मापन
समय मापन से संबंधित वैज्ञानिकों ने कुछ अलग – अलग मात्रक बनाएं हैं जो इस प्रकार से हैं –
समय मापन की सबसे छोटी इकाई एक सेकेण्ड समय मापन की अंतराष्ट्रीय मात्रक (SI यूनिट) है –
1 सेकेंड की परिभाषा :-
एक सेकंड वह समय है जो सीज़ियम 133 परमाणु के दो स्तरों के बीच संक्रमण के द्वारा उत्पन्न विकिरण के 9, 192, 631, 770 (9.192631770 x 109) कम्पन के दौरान बीत जाता है।
प्राचीन काल से ही मनुष्य ने विभिन्न माध्यमों से समय को मापने के अलग – अलग तरीके अपनाएं हैं यहां हम आपको इन्हीं में से कुछ तरीकों और माध्यमों के बारे में बता रहे हैं –
1 :- सूर्य की दशा एवं दिशा :-
हमारे पौराणिक गंथ्रों में समय के मापन के बारे में उल्लेख मिलता है आज से हजारों वर्ष पूर्व सूर्य की स्थिति का अनुमान लगाकर समय को मापा जाता था। उस समय सूर्य को आधार बनाकर समय के प्रहरों की गणना की जाती थी।
2 :- सूर्य घड़ी :-
दोस्तों अगर हम बात करें प्राचीन मिश्र की तो मिश्र की सभ्यता रहने वाले लोग उस समय इतने बुद्धिमान थे की उन्होंने समय मापन के लिए सूर्य घड़ी जैसे यंत्रों का आविष्कार कर उपयोग करना सीख लिया था। वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य घड़ी यंत्र को समय मापन हेतु बनाया गया पहला आविष्कार माना जाता है।
3 :- रेत घड़ी :-
रेत घड़ी के अविष्कार के बारे में वैज्ञानिकों का कोई एक मत नहीं हैं। लेकिन कुछ विद्वान मानते हैं की रेत घड़ी अरब के देशों में मध्यकाल के दौरान विकसित की गयी थी। रेत घड़ी में कांच से बना एक बर्तन होता था जिसके दो हिस्से होते थे एक हिस्सा जिसमें रेत भरी होती थी और दूसरा खाली होता होता था दोनों हिस्सों के बीच एक पतली सी जगह होती थी जिसमें से रेत फिसलकर एक हिस्से से दूसरे हिस्से में गिरती थी। रेत का एक हिस्से से दूसरे हिस्से में गिरने वाले समय की गणना कर समय का अनुमान लगाया जाता था।
3 :- जल घड़ी :-
जल घड़ी भी रेत घड़ी के समान होती थी जिसमें रेत के स्थान पर यंत्र में पानी भरा होता था। यंत्र में पानी की टपकती बूँदों के हिसाब से समय की गणना की जाती थी। मना जाता है की जल घड़ी का आविष्कार 16वीं शताब्दी में हुआ था।
4 :- घंटाघर :-
दोस्तों आपको बता दें की 18वीं शताब्दी तक आते-आते इंसान ने दिन को घटों में बांटकर समय की गणना करना सीख लिया था। इसी समय यूरोप में उन सभी महत्वपूर्ण स्थानों में घंटाघर बनाने शुरू किये जहाँ लोग अक्सर एक दूसरे से मिला करते थे ताकि लोग एक दूसरे से सही समय पर मिल सकें।
5 :- कलाई की घड़ी :-
समय के साथ उन्नत तकनीकों ने इंसान के समय मापन के तरीकों और यंत्रों को बदलकर रख दिया। घड़ी के आविष्कार के साथ पहले जहाँ दीवार घड़ी बनती थी। अब वहां लोगों के हाथों में पहनी जाने वाली घड़ी बनाई जाने लगी जिसे लोग अपनी कलाई में बांधकर पहन सकते थे और समय का सटीकता के साथ अनुमान लगा सकते थे।
6 :- स्मार्ट वाच :-
दोस्तों आज के आधुनिक जमानें में बात करें स्मार्टवाच की तो उपरोक्त घड़ियों की टेक्नोलॉजी का आधार ही आज की स्मार्ट वाच है। जैसा की आप जानते हैं की आज की स्मार्ट वाच एक मिनी कंप्यूटर है जिस पर आप समय के साथ, मौसम, न्यूज, कॉलिंग, फिटनेस आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
समय का महत्व (importance of time)
दोस्तों समय का महत्व वही समझ सकता है जो समय का सदुपयोग करे। समय का सदुपयोग ही आपको अपने जीवन में सफल बना सकता है। जीवन में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए समय का प्रबंधन और सदुपयोग बहुत जरूरी है। जैसे यदि आप जीवन में अपने सभी कार्यों के लिए समय प्रबंधन का निर्धारण करते हैं तो आपके लिए लक्ष्यों को प्राप्त करना आसान हो जाता है। मित्रों हिंदी के प्रसिद्ध कवि “कबीरदास जी” ने भी अपने एक दोहे में समय की महत्ता को समझाया है। यह दोहा इस प्रकार से है –
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में प्रलय होएगी,बहुरि करेगा कब॥
उपरोक्त दोहे का अर्थ है की जो कार्य हमें आज करना है उसे हम कल पर ना टालकर आज और अभी करें। क्योंकि क्या पता उस कार्य को करने का समय जो आज है वह समय भविष्य में हमारे पास हो या ना हो। समय कैसे बीत जाता है यह पता ही नहीं चलता और बीता समय कभी वापस नहीं आता।
इसी प्रकार संस्कृत में एक श्लोक है की जो समय की महत्ता को बताता है जब व्यक्ति का बुरा समय आता है तो मनुष्य की बुद्धि भी उसका साथ छोड़ देती है। यह श्लोक इस प्रकार से है –
न निर्मिता केन न दृष्टपूर्वा न श्रूयते हेममयी कुरङ्गी।
तथापि तृष्णा रघुनन्दनस्य विनाशकाले विपरीतबुद्धिः॥
अर्थात :- न बनाई गयी किसी के द्वारा न ही कभी देखी गयी न कभी सुनी सोने की हिरणी (होती है). फिर भी रघुनन्दन की तृष्णा (देखिये) ! विनाश के समय बुद्धि विपरीत हो जाती है ।
जो समय हम यह सोचकर बिता देते हैं यह कैसे होगा। उतने समय में यदि हम कुछ प्रयास करें तो हमारा कार्य समय के साथ पूरा हो सकता है। समय को नष्ट करना अपने जीवन को नष्ट करने के समान है।
निष्कर्ष :-
दोस्तों उपरोक्त आर्टिकल से हमें यही सीख मिलती है की हमें अपने समय को व्यर्थ के कार्यों में बर्बाद ना करके अपना लक्ष्य निर्धारित कर कार्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समय के सदुपयोग के लिए अपना टाइम टेबल बनाना बहुत जरूरी है क्योंकि समय कभी किसी का इंतज़ार नहीं करता। आप यह तो जरूर मानेंगे की दुनिया में समय बड़ा कोई गुरु नहीं हैं चाण्यक नीति के अनुसार जब इंसान के ऊपर कोई मुसीबत आती है और उसका खराब समय आता है इंसान को इसमें अपने मित्र और शत्रु की पहचान हो जाती है। इस पुरे लेख का सारांश यही है की “समय सबसे बलवान है “
समय का महत्व पर निबंध से संबंधित FAQs
समय की सबसे बड़ी मात्रक इकाई प्रकाश वर्ष है।
1 प्रकाश वर्ष = 3,15,57,600 सेकेंड
विश्व मानक समय की आधिकारिक वेबसाइट greenwichmeantime.com है।
पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर 24 घंटे में पूरा करती है जिसके कारण दिन और रात होते हैं।
एक परमाणु मानवीय चक्षु के पलक झपकने का समय = लगभग 4 सैकिण्ड
एक विघटि = 6 परमाणु = 24 सैकिण्ड
एक घटि या घड़ी = 60 विघटि = 24 मिनट
एक मुहूर्त = 2 घड़ियां = 48 मिनट
एक नक्षत्र अहोरात्रम या नक्षत्रीय दिवस = 30 मुहूर्त (दिवस का आरम्भ सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक, न कि अर्धरात्रि से)
आधुनिक कैलेंडर की शुरुआत पोप ग्रेगोरी कैलेंडर की 1 जनवरी 4,713 ई. पू. के मध्याह्न से मानी जाती है।
सेकेंड समय की एक अंतर्राष्ट्रीय मात्रक (SI) इकाई (Unit) है जिसे समय की सबसे छोटी इकाई भी कहा जाता है।
SI :- Systeme international