लाल किला पर निबंध :- वैसे हमारे देश भारत में बहुत से ऐतिहासिक स्थल हैं जो अपने में इस देश का गौरवमयी इतिहास समेटे हुए हैं। इन ऐतिहासिक स्थलों के इतिहास को पढ़कर और सुनकर हर देशवासी प्रेरणा लेता है। दोस्तों आज के आर्टिकल में हम जिस ऐतिहासिक स्थल के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वो भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित मुग़ल सम्राट शाहजहां के द्वारा बनवाया गया “लाल किला” है जिसे एक अन्य नाम “Red Fort” के नाम से भी जाना जाता है। यह ऐतिहासिक इमारत मुग़ल काल में बनी इमारतों के वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है।
दोस्तों आपको तो पता ही होगा की हर साल 15 अगस्त के दिन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस ऐतिहासिक इमारत से देश के नाम संबोधन के तौर पर भाषण दिया जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की वर्ष 2007 में भारत सरकार के सफल और सार्थक प्रयासों के कारण दुनिया में सभी ऐतिहासिक धरोहरों से संबंधित सूचना अपने पास रखने वाली संस्था (UNESCO) United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization के द्वारा लाल किला को विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) की सूची में शामिल किया गया।
आगे आर्टिकल में आप लाल किला से संबंधित ऐतिहासिक, राजनीतिक, वास्तुकला आदि से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे। यदि आप भी इस ऐतिहासिक इमारत के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो आपसे अनुरोध है की हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ें।
प्रस्तावना (Introduction)
दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की हमारा देश भारत बाहर से आने वाले आक्रमणकर्ताओं और लुटेरों के कारण हमेशा से ही लुटा जाता रहा है। जिसकी वजह से कई बार हमारा देश गुलाम भी रहा। जब देश में मुगल वंश के शासकों का राज था तब मुगलों के द्वारा हमारे देश को लगभग 200 सालों तक गुलाम बना के रखा गया। जैसा की आपको पता ही है की मुगलों ने अपने शासन काल में बहुत सी ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया जिनमें से लाल किला एक विश्व प्रसिद्ध इमारत है।
दिल्ली में घूमने आने वाले सैलानियों के लिए लाल किले को देखना एक सुखद अनुभव रहता है। लाल किला दिल्ली के जिस इलाके में स्थित है उस स्थान का नाम इस किले को बनवाने वाले मुग़ल शासक शाहजहां के नाम पर शाहजहानाबाद (Shahjahanabad) है।
लाल किले की सुंदरता, भव्यता और स्थापत्य मुग़ल वास्तुकला को देखने के लिए देश-विदेश से बहुत भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह प्राचीन ऐतिहासिक इमारत हमेशा से ही हमारे देश की आजादी का गवाह रहा है। यह लाल किला हमारे देश की आन बान शान का प्रतीक भी है।
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कैसे पड़ा नाम किले का नाम :-
लाल किले का निर्माण विदेशों से आये बलुआ पत्थर से हुआ है जिससे इन प्राचीन ऐतिहासिक इमारत को पहचाना जाने वाला लाल रंग मिला। इमारत का यही लाल रंग इस इमारत का सब के आकर्षण का केंद्र है। इन्हीं लाल बलुआ पत्थर के कारण लोगों ने इस इमारत को लाल किले का नाम दे दिया।
लाल किले का ऐतिहासिक महत्व :-
लाल किले का निर्माण मुग़ल शासक शाहजहाँ के द्वारा 1638 ईसवी से 1648 ईसवी के बीच किया गया। इस किले के निर्माण को पूरा होने में लगभग 10 वर्षों का समय लगा। जिस समय लाल किले का निर्माण कार्य चल रहा था उस समय जहांगीर के बेटे शाहजहां दिल्ली की गद्दी संभाली।
दिल्ली का यह खूबसूरत लाल किला दिल्ली में बहने वाली यमुना नदी के तट पर स्थित है। आज जिस स्थान पर लाल किला बना हुआ है उस स्थान को शाहजहांनाबाद के नाम से जाना जाता है। मुग़ल काल के समय शाहजहांनाबाद मुग़ल शासक शाहजहां की राजधानी थी।
लाल किले का अपना ही एक ऐतिहासिक महत्व है जिस तरह से आगरा के ताजमहल को विश्व के सात अजूबों में शामिल किया गया है ठीक उसी तरह लाल किले को भी विश्व के सात अजूबों में शामिल है। मुग़ल शासक शाहजहाँ के द्वारा लाल किले के डिज़ाइन को तैयार करने का कार्य उस समय के विश्व प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को दिया गया था। जिन्होंने इस सुन्दर और भव्य रूप किले के डिज़ाइन को बनाया। आपको यहां हम यह भी बताते चलें की शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने किले के भीतर एक मस्जिद का निर्माण भी करवाया था जिसे मोती-मस्जिद (Moti-Masjid) के नाम से जाना जाता है।
17वीं शताब्दी के अंत तक लाल किले पर मुग़ल शासक बादशाह जंहदर का शासन रहा। जिनका शासन लगभग 30 सालों तक चला। इसके बाद किले पर मुग़ल शासक नादिर शाह का कब्ज़ा हो गया जिनका शासन कल 18वीं शताब्दी के अंत तक चला और जो की मुगल वंश के अंतिम शासक माने जाते हैं।
देश जब अंग्रेज आये तो अंग्रेजों ने नादिर शाह को बंदी बनाकर गिरफ्तार कर लिया और दिल्ली पर अंग्रेजों का शासन हो गया। जिसके बाद दिल्ली पर अंग्रेजों का शासन होने से लाल किले पर अंग्रेजों का कब्ज़ा हो गया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय क्रांतिकारियों पर अंग्रेजों द्वारा कार्यवाही किये जाने पर इस किले को बहुत नुकसान पहुंचा जिसमें इस किले के उद्यान और बाग़ नष्ट हो गए। पर बाद में सन 1903 में पुरातत्व स्थलों के संरक्षण हेतु उमैद दानिश के द्वारा किले को पुनर्स्थापित किया गया।
इसके बाद जब हमारा देश आजाद हुआ तो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार देश की जनता को इस लाल किले से तिरंगा फहराकर देश के सम्बोधन कर अपना ऐतिहासिक भाषण दिया। दोस्तों आजादी के बाद से ही यह लाल किला भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित किया जाता है। अभी वर्तमान में लाल किले का उपयोग हमारे देश के सेना द्वारा सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।
लाल किले की माप के बारे में जानकारी
लाल किला एक चार दीवारों से गिरा किलानूमी इमारत है। यह पूरा किला दिल्ली राज्य के 250 एकड़ जमीन पर बना हुआ है। इस किले की दीवार की लम्बाई 2.5 किलोमीटर लगभग 1.5 मील है।
यमुना नदी से सटे किले की दीवार की ऊंचाई 60 फ़ीट लगभग 16 मीटर है। एवं दिल्ली शहर को जाते हुए किले की दीवार की ऊंचाई 110 फीट अर्थात लगभग 35 मीटर है। आपको यह भी बताते चलें की किले में 82 मीटर चौड़ा एक वर्गाकार ग्रिड प्रयोग हेतु बनायी गयी है।
प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल – लाल किला
लाल किले की वास्तुकला पूर्वी यूरोपीय एवं अरब खाड़ी देशों से मिलती जुलती है। इस किले का डिज़ाइन और आकार काफी हद तक अरब देश की इमारतों से मेल खाते हैं। इस प्राचीन इमारत पर बनी कलाकृतियां विदेशों से आने वाले लाखों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती है। यहां हम आपको किले के भीतर घूमने लायक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के बारे में बता रहे हैं तो चलिए आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं –
- छाबरी बाजार :- लाल किले का छाबरी बाजार एक बहु प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। जो स्थानीय और सैलानियों के लिए खरीदारी हेतु एक प्रमुख केंद्र है।
- लाहोरी दरवाजा :- लाल किले का मुख्य दरवाजा जिसे लाहोरी दरवाजा कहा जाता है जहाँ देश के प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराकर देश के नाम भाषण देते हैं।
- दिल्ली दरवाजा :- दिल्ली दरवाजे का निर्माण लाल किले के दक्षिण भाग की तरफ किया गया है। इस दरवाजे की बनावट कुछ हद तक लाल किले के लाहोरी दरवाजे की तरह है। दिल्ली दरवाजे में लगे पत्थरों को काटकर बड़े – बड़े हाथियों की मूर्ति का निर्माण किया गया है। मुग़ल काल के समय शाहजहां के बेटे औरंगजेब के द्वारा इस दरवाजे को तुड़वा दिया गया था। परन्तु सन 1903 अंग्रेजों के द्वारा किले के दिल्ली दरवाजे का पुन निर्माण किया गया।
- लाल किले का पानी दरवाजा :- लाल किले का यह दरवाजा एक छोटा सा दरवाजा है। जो लाल किले के दक्षिण -पूर्व सीमा पर बना हुआ है। किले की यह सीमा बिलकुल यमुना नदी के समीप पर स्थित है। जिस कारण यह दरवाजा यमुना नदी के तट को छूता है। इसलिए किले के इस दरवाजे का नाम पानी दरवाजा पड़ा।
- चट्टा चौक / मीना बाजार :- लाल किले के मुख्य स्थलों में से एक चट्टा चौक है जिसे मीना बाजार के नाम जाना जाता है। मुगलकाल के समय से ही इस स्थान पर हाट एवं बाजार लगता हुआ आ रहा है। इस बाज़ार में आपको कपड़े, कीमती तरह के आभूषण आदि सामान बेचे जाते हैं। इस बाजार में प्रवेश करने हेतु आपको किले के लाहौर दरवाजे से आना होगा।
- नौबत खाना :- लाल किले के नौबत खाने को नक्कर खाना के नाम से भी जाना जाता है। यह नौबत खाना लाहौर दरवाजे के पूर्व में स्थित है। लाल किले यह स्थल किले का एक सुन्दर महल है।
- दीवान-ए-ख़ास :- लाल किले का दीवान-ए-खास एक कमरा है जो खूबसूरत संगमरमर और बहुमूल्य पत्थरों से बना हुआ है। इतिहासकार मानते हैं की मुग़ल काल शासन के समय यह कमरा शासक का निजी कमरा रहा होगा।
- दीवान-ए-आम :- मुगलों के समय इस तरह के बने दीवान-ए-आम महल न्यायालय और पंचायतों के लिए होते थे। लाल किले यह कमरा चौड़ाई में 540 फ़ीट और गहराई में 420 फ़ीट है। आपको बता दें की दीवान-ए-आम के चारों तरफ एक बहुत बड़ी गैलरी बनी हुई है इतिहासकारों के मुताबिक़ जो शायद राज्य की प्रजा हेतु बैठने के लिए बनायी गयी रही हो।
- इसी तरह किले में रंग महल, नहर-ए-बहिश्त, हयात बख्श बाग़, मुमताज महल, मोती मस्जिद आदि स्थल हैं जो सैलानियों के बीच लोकप्रिय हैं।
लाल किले से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- लाल किला पर्यटकों के लिए सप्ताह के 6 दिन दर्शन हेतु खुला रहता है। इन 6 दिनों में सिर्फ सोमवार को किले को पर्यटकों हेतु बंद किया रहता है।
- किले के भीतर जाने हेतु हर पर्यटक को टिकट खरीदकर जाना होता है। देश के नागरिकों हेतु लाल किले का टिकट 10/- रूपये है और विदेशी सैलानियों के लिए टिकट 150/- रूपये मात्र है।
- लाल किले में घूमने का समय सुबह 9:30 से लेकर शाम 4:30 बजे तक का है। आप आसानी से दिल्ली बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से लाल किला घूमने हेतु जा सकते हैं।
निष्कर्ष :-
दोस्तों हम समझते हैं की हमारे इस आर्टिकल ने हमारे देश की धरोहर लाल किला के बारे में आपके ज्ञान में कुछ वृद्धी की होगी इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपने लाल किले के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझा। पर आपसे हम यह कहेंगे की आप कहीं भी ऐसे स्थलों पर घूमने जाएँ तो कृपया वहां गन्दगी फ़ैलाने और धरोहर को नुकसान पहुंचाने से बचें क्योंकि यह धरोहरें ही हमारे इतिहास के साक्ष्य और प्रमाण हैं। यदि यह बचे रहेंगी तभी हमारे देश की आने वाली पीढ़ियां अपने देश के गौरवमयी इतिहास को जान पाएगी। धन्यवाद
लाल किला पर निबंध से जुड़े कुछ प्रश्न एवं उत्तर (FAQs)
लाल किले का निर्माण किसने करवाया ?
लाल किले का निर्माण जहांगीर के बेटे और मुग़ल शासक शाहजहां ने करवाया था ?
लाल किले का निर्माण कितने समय में पूरा हुआ ?
लाल किले का निर्माण 1638 ईस्वी से लेकर 1648 ईस्वी के बीच हुआ।
लाल किले को विश्व धरोहर की सूची में कब शामिल किया गया ?
वर्ष 2007 में लाल किले को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया
लाल किले में घूमने हेतु टिकट कितने का है ?
भारतीयों के लिए :- 10/- रूपये
विदेशियों के लिए :- 150/- रूपये
लाल किले की आधिकारिक वेबसाइट क्या है ?
लाल किले की आधिकारिक वेबसाइट https://delhitourism.gov.in/ है।