आप ने बारिश के मौसम में कभी न कभी इंद्रधनुष तो देखा ही होगा। साथ ही इसमें दिखने वाले रंगों की ख़ूबसूरती का एहसास भी हुआ होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये इंद्रधनुष के रंग आसमान में कहाँ से आ जाते हैं ? या ये कैसे बनते हैं ? या फिर इनमे दिखने वाले रंग कहाँ से आते हैं ? ये हमेशा बरसात या ऐसे ही नमी वाले मौसम में ही क्यों दिखते हैं ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप को आज इस लेख में मिल जाएंगे। आप इस लेख में जानेंगे कि इंद्रधनुष (Rainbow) कैसे और क्यों बनता है? और साथ ही और भी अन्य महत्वपूर्ण जानकरियां आप को इस लेख में मिल जाएंगी।
Rainbow क्या होता है ?
रेनबो यानी इंद्रधनुष, जो बरसात के समय या उसके बाद आसमान में अलग अलग रंगों का आर्क दिखता है। आसमान में बनने वाले इसी रंगबिरंगे चाप को इंद्रधनुष या Rainbow कहते हैं। ये अक्सर बारिश होने के बाद जब भी सूर्य निकलता है तब देखा जा सकता है। ‘इंद्रधनुष’ शब्द लेटिन भाषा के ‘arcus pluvius’ शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब “बरसात की चाप” होता है।
इंद्रधनुष के कितने रंग होते हैं ?
इंद्रधनुष के कुल सात रंग होते हैं। जिनमे लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो (नील) और बैंगनी रंग शामिल हैं। इंद्रधनुष के इन सात रंगों को ही सभी रंगों का जनक माना जाता है। ये सभी रंग एक साथ इंद्रधनुष में देखे जा सकते हैं। हालाँकि ऐसा आप ध्यान देने पर ही देख सकते हैं क्यूंकि सामान्यतः आप को 4 से 5 रंग ही दिखाई देते हैं। जिनमे प्रमुख तौर पर बैंगनी, हरा, पीला और लाल ही दिखाई पड़ते हैं।
इंद्रधनुष में सबसे पहला / बाहर या ऊपर की ओर रंग लाल होता है और सबसे आखिरी (अंदर की ओर , नीचे की ओर) का रंग बैंगनी होता है। इंद्रधनुष के रंगों के नाम आप नीचे दी गयी इमेज के साथ देख सकते हैं –
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इंद्रधनुष (Rainbow) कैसे और क्यों बनता है ?
इंद्रधनुष बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक हैं सूर्य का प्रकाश और दूसरा है वातावरण में मौजूद पानी के कण। इन दोनों के होने से ही rainbow बनता है। जब भी बारिश होती है तो पानी के छोटे छोटे कण वातावरण /हवा में रह जाते हैं। और फिर यही कण एक प्राकृतिक प्रिज्म की तरह कार्य करते हैं। दरअसल जब भी सूर्य का प्रकाश (जो कि हमे सफ़ेद रंग का दिखाई पड़ता है) इन छोटे छोटे पानी के कणों से गुजरता है तो ये कण उसे अलग अलग रंगों में विभक्त कर देता है। और फिर यही अलग अलग रंग हमे इंद्रधनुष के रूप में दिखलाई पड़ते हैं।
अब बात करते हैं की ये क्यों बनता है ? तो इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं –
- वर्ण विक्षेपण : पहला कारण है वर्ण विक्षेपण – यानी कि रंगों का बँटना। जब भी सूर्य का प्रकाश हवा में मौजूद छोटी छोटी पानी की बूंदों से गुजरता है तो वो सात रंगों में बँट जाता है। जो हमे सतरंगी इंद्रधनुष के रूप में दिखता है।
- अपवर्तन : दूसरी प्रक्रिया होती है अपवर्तन की। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि जब भी सूर्य का प्रकाश पानी की बूंदों में जाता है तो ये आवश्यक है कि ये प्रकाश इन बूंदों के आर पार जा सके। जब भी ये प्रकाश इन बूंदों को भेदकर इसके पार जाता है तब हमे वही प्रकाश अलग अलग रंग में दिखायी देता है। जिसे हम इंद्रधनुष कहते हैं।
- बहुलित परावर्तन (Total Internal Reflection): बहुलित प्रवर्तन यानि जब रंग कई बार बिखरते हैं। जिसके बाद वो इन बूंदों से बाहर आकर इंद्रधनुष के रूप में दिखता हैं। जो रंग ज्यादा बिखरेगा वो उतना ही नीचे होता है वहीँ जो कम बिखरता है वो सबसे ऊपर आता है।
इंद्रधनुष के प्रकार
इंद्रधनुष दो प्रकार के होते हैं। पहला होता है प्राथमिक इंद्रधनुष और दूसरा होता है द्वितीयक इंद्रधनुष। यदि कभी एक साथ आप दो इंद्रधनुष देखते हैं तो ध्यान देने पर पता चलेगा कि इन दोनों ही rainbow में रंगों के क्रम में अंतर है। दोनों के ही रंगों के क्रम एक दूसरे से विपरीत होंगे। इसे आप ऐसे समझिये की एक में सबसे ऊपर लाल रंग होगा और सबसे नीचे बैंगनी रंग। जबकि दूसरे रेनबो में आप लाल रंग को सबसे नीचे और बैगनी रंग को सबसे ऊपर देख सकते हैं।
- प्राथमिक इंद्रधनुष : प्राथमिक इंद्रधनुष में रंगों के क्रम की बात करें तो सबसे ऊपर लाल रंग होता है और सबसे नीचे बैगनी रंग।
- द्वितीयक इंद्रधनुष : द्वितीयक इंद्रधनुष में सबसे ऊपर बैंगनी रंग होता है जबकि सबसे नीचे लाल रंग हो जाता है। जो कि प्राथमिक से बिलकुल उलटे क्रम में होता है।
इंद्रधनुष सूर्य के विपरीत दिशा में क्यों बनता है?
जैसे कि आप ने अभी तक इस लेख में पढ़ा कि इंद्रधनुष बनने के लिए सूर्य की रौशनी बहुत आवश्यक होती है। साथ ही वातावरण में मौजूद पानी के कण एक प्रिज्म की तरह कार्य करते है। जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं और अलग अलग सात रंगों में विभाजित कर देते हैं। जब भी सूर्य निकलता है, उसके सामने पड़ने वाली सभी पानी की बूँदें सूर्य से आने वाले सफ़ेद प्रकाश को सात रंगों को अलग अलग करते हुए इंद्रधनुष का निर्माण करते हैं। इसलिए ऐसे में जब भी इंद्रधनुष बनेगा वो हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा की ओर बनेगा।
आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब भी इंद्रधनुष सुबह बनेगा तो वो सूर्य की विपरीत दिशा यानि पश्चिम में बनेगा। जबकि शाम के समय इंद्रधनुष पूर्व की ओर बनेगा। साथ ही बताते चलें कि दोपहर के समय इंद्रधनुष नहीं बनता क्यूंकि सूर्य का प्रकाश बिलकुल सीधा होता है जिससे परावर्तन नहीं होता।
Rainbow से जुड़े प्रश्न उत्तर
इंद्रधनुष सात रंगों का क्यों होता है?
जब भी सूर्य का प्रकाश पानी की बूंदों से होकर गुजरता है तो सफ़ेद प्रकाश सात अलग अलग रंगों में विभक्त हो जाता है।
इंद्रधनुष से आप क्या समझते हैं?
इंद्र धनुष एक प्राकृतिक घटना है जो आकाश में प्रेक्षक को संकेन्द्रीय अर्द्ध चापो के रूप में तथा अलग अलग रंगों की पट्टियों के रूप में दिखाई देता है। इंद्रधनुष प्रकाश के अपवर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा वर्ण विक्षेपण की एक सम्मिलित घटना है।
इंद्रधनुष सूर्य के विपरीत दिशा में क्यों बनता है?
इंद्रधनुष के सूर्य के हमेशा विपरीत दिशा में बनने का कारण वातावरण में मौजूद पानी के कण होते हैं। ये पानी के कण एक छोटे प्रिज्म की तरह कार्य करते हैं। जिससे वो आपतित सूर्य के रौशनी को अपवर्तित और प्रकीर्णन करते हैं। इसके बाद आंतरिक रूप से परावर्तित करते हैं और यही प्रक्रिया एक बार और दोहराई जाती है, और फिर अंत में ये प्रकाश बूंदों से पार आकर सतरंगी रंग ले लेता है।
रेनबो (Rainbow) में कुल कितने रंग होते हैं ?
Rainbow में कुल 7 रंग होते हैं। रेनबो में लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो (नील) और बैंगनी रंग देखने को मिलते हैं।
इंद्रधनुष रात में क्यों नहीं दिखाई देते हैं ?
Rainbow रात में इसलिए नहीं दिखाई देते क्यूंकि रेनबो के रंग देखने के लिए सबसे आवश्यक सूर्य का प्रकाश और पानी के कण, दोनों ही होने आवश्यक है।
आज इस लेख के माध्यम से आप ने Rainbow व इस से संबंधित जानकारी के बारे में पढ़ा। उम्मीद है आप को ये लेख उपयोगी लगा होगा। ऐसे ही अन्य लेख पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ से जुड़ सकते हैं।