कैसे काम करते हैं EVM और VVPAT, कैसे होती है इनसे वोटों की गिनती, जानें

भारतीय चुनाव तंत्र के महत्वपूर्ण अंग के रूप में, EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और VVPAT (वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) उपयोग किए जाते हैं। ये दोनों मिलकर चुनाव प्रक्रिया को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाते हैं।

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Reported by Saloni Uniyal

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कैसे काम करते हैं EVM और VVPAT, कैसे होती है इनसे वोटों की गिनती, जानें
कैसे काम करते हैं EVM और VVPAT, कैसे होती है इनसे वोटों की गिनती, जानें

जैसा की आप सभी जानते हैं देश में 19 अप्रैल 2024 से चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत हो गई थी। जिसमें आपने भी मतदान किया होगा। चुनाव में वोटिंग के लिए EVM का इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें इस मशीन से ही आप अपने पसंदीदा प्रत्याशी को वोट डालते हैं तथा चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद इस मशीन से वोट्स की काउंटिंग की जाती है।

हालाँकि EVM देश की नई सरकार बनाने में सहायता करती है लेकिन आप हर बार इसके खिलाफ राजनीतिक बयान बाजी सुनते ही होंगे। EVM अर्थात इसे इलेक्ट्रॉनिक मशीन कहते हैं जिसका इस्तेमाल लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में किया जाता है। इस मशीन पर जितने भी आरोप लगे हैं वे आजतक सिद्ध ना हो सके। EVM मशीन में जितने भी वोट पड़ते हैं उसके परिणाम को VVPAT सिस्टम के परिणाम से तुलना की जाती है। आइए जानते हैं ये मशीनें कैसे काम करती है जिससे वोटों की गिनती की जाती है।

EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन)

EVM एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसे वोटर चुनाव में अपना वोट देने के लिए प्रयोग करते हैं। इस मशीन में सभी उम्मीदवारों की सूची के सामने वाला बटन वोटर को अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देने के लिए दबाना होता है।

इसके बाद, EVM एक सुरक्षित रूप से वोट को संग्रहित करता है और उन डेटा को संग्रहित करता है जो विभिन्न उम्मीदवारों को वोट दिया गया है।

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VVPAT (वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल)

VVPAT प्रत्येक वोटर के वोट की Confirmation के लिए उपयोग की जाती है। जब वोटर अपना वोट EVM के माध्यम से देता है, तो VVPAT मशीन एक पेपर स्लिप प्रिंट करती है, जिसमें उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह दिखाई देता है।

इस पेपर स्लिप को उम्मीदवार एक बार देख सकता है और फिर यह स्लिप एक बॉक्स में डाल दिया जाता है। इस राजनीतिक प्रक्रिया के लिए विश्वसनीयता को बढ़ावा देने के लिए VVPAT का उपयोग किया जाता है।

इन दोनों प्रक्रियाओं का संयोजन चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाता है और लोगों को विश्वास दिलाता है कि उनका वोट सही रूप से गिना जाएगा।

कैसे काम करती है EVM? 

EVM मशीन में दो तरह की यूनिट्स लगी होती है कंट्रोल एवं बैलेट। अर्थात एक यूनिट, जब आप बटन दबा कर वोट देते हैं तथा दूसरी यूनिट जिसमें आपके वोट को स्टोर किया जाता है। जो कंट्रोल यूनिट होती है वह मतदान अधिकारी के पास होता है। इसके अतिरिक्त बैलेट यूनिट को दूसरी ओर रखा जाता है, जहाँ से लोग वोट डालने का काम कर पाते हैं। तो चलिए जानते हैं दोनों यूनिट के बारे में।

बैलेट यूनिट-

  • यह वह यूनिट होती है जिस पर मतदाताओं द्वारा वोट दिया जाता है।
  • इसमें आपको उम्मीदवारों की सूची एवं उनके चुनाव चिन्ह वाले बटन दिए होते हैं।
  • बैलेट यूनिट मतदान कक्ष में रखी होती है।
  • अपनी पसंद के आधार पर मतदाता उम्मीदवार के आगे के बटन को दबाकर वोट डालते हैं।

कंट्रोल यूनिट-

  • यह जो यूनिट होती है वह मतदान अधिकारी के पास होती है।
  • कंट्रोल यूनिट को मतदान कक्ष से अलग किसी सुरक्षित जगह पर रखा जाता है।
  • इसमें वोटिंग की प्रक्रिया नियंत्रित करने के लिए स्विच एवं बटन दिए होते हैं।
  • मतदाता जब अपना वोट डालता है तो कण्ट्रोल यूनिट में उस वोट को सुरक्षित स्टोर किया जाता है।

EVM के अंदर क्या होता है?

विशेषज्ञ द्वारा बताया गया कि EVM में एक माइक्रोप्रोसेसर लगा आता है। यह जो प्रोसेसर होता है उसमें केवल एक बार ही प्रोग्राम किया जाता है। अर्थात जब एक बार प्रोग्राम लिखे जाते हैं तो उसमें कोई भी चेंज नहीं किया जा सकता है। सरल भाषा में बताएं तो इस पर कोई दूसरा सॉफ्टवेयर राइट नहीं किया जाता है।

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इस मशीन में किस प्रकार की चिप या प्रोसेसर का उपयोग होता है, इसकी जानकारी सार्वजानिक रूप से नहीं बताई गई है यह सिर्फ एक रहस्य ही है। EVM बैटरी पर चलने वाली मशीन है जिसे बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। ये 7.5 वोल्ट की एल्कलाइन पावर पैक बैटरी से चलती है। जिसकी आपूर्ति भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की जाती है।

आपको बता दें पुराने मॉडल में 3840 वोट तक स्टोर करने की क्षमता रहती थी लेकिन नए संस्करण में यह क्षमता घटकर केवल 2000 वोट ही रह चुकी है। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक ईवीएम मशीन में जो भी डेटा स्टोर किया जाता है वह 10 वर्ष से भी अधिक समय तक सुरक्षित रहता है।

इलेक्शन कमीशन, भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड, बैंगलुरु (मिनिस्ट्री ऑफ डिफेन्स) तथा इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद (डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी), ये दोनों कम्पनियाँ मिलकर EVM का निर्माण करती हैं।

VVPAT सिस्टम

मतदान प्रक्रिया में वर्ष 2013 में Voter Verified Paper Audit Trail (VVPAT) को शामिल किया गया था। ईवीएम मशीन में जब वोट दिया जाता है तो वीवीपीएटी सिस्टम में उस उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिन्ह वाली एक पेपर स्लिप तैयार होती है। इससे यह जानकारी मिलती है कि आप जिस उम्मीदवार को वोट दे रहें हैं उससे वोट प्राप्त हुआ या नहीं। चुनाव प्रक्रिया में मतदाताओं का विश्वास मजबूत करने के लिए इस प्रणाली को शुरू किया गया है।

परिणाम अलग होने पर क्या होता है?

मतगणना के समय, EVM मशीनों से निकले वोटों की संख्या का मैच VVPAT पर्चियों से किया जाता है। अगर दोनों मशीन से प्राप्त आकड़ें बराबर होते हैं, तो रिटर्निंग ऑफिसर निर्वाचन क्षेत्र के लिए अंतिम परिणाम घोषित कर देते हैं। परन्तु कई बार EVM तथा VVPAT में मतों की संख्या में अंतर पाया जाता है। ऐसी स्थिति में, VVPAT की पर्चियों को अंतिम माना जाता है।

क्योंकि VVPAT एक कागजी रिकॉर्ड होता है, जिसे हाथ से गिनते हैं। तथा सत्यापित हो सकता है। और EVM एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो तकनिकी खराबी की सम्भावना में चर्चा का विषय बनती है। वीवीपीएटी पर्चियों का सत्यापन मतगणना हॉल में एक सुरक्षित बूथ में किया जाता है। जो अधिकृत कर्मी होते हैं उन्हें ही बूथ में जाने की अनुमति होती है।

डेटा कैसे रखा जाता है सुरक्षित?

वोटों की गिनती होने के पश्चात डेटा को कंट्रोल मेमोरी सिस्टम में सेव कर लिया जाता है, जो कि डिलीट होने तक सुरक्षित रखा जाता है। गिनती की जो जिम्मेदारी होती है वह रिटर्निंग ऑफिसर को दी जाती है।

कैसे की जाती है वोटों की गिनती?

चुनाव आयोग द्वारा वोटिंग प्रक्रिया के लिए EVM मशीन का प्रयोग किया जाता है। इस मशीन में मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देते हैं, इसके लिए वे उम्मीदवार के सामने वाले बटन को प्रेस करते हैं जिससे वोट डाला जाता है। वोटिंग प्रक्रिया जब समाप्त होती है उसके पश्चात प्रत्येक राउंड में एक बार में 14 EVM मशीनों पर ही गिनती की जाती है। अर्थात एक राउंड में 14 मशीनों के वोटों की गिनती होनी शुरू होती है। गिनती सम्पूर्ण होने के बाद परिणामों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है इसे ब्लैक बोर्ड पर दर्ज किया जाता है।

कैसे की जाती है वोटों की गिनती?

चुनाव आयोग द्वारा वोटिंग प्रक्रिया के लिए EVM मशीन का प्रयोग किया जाता है। इस मशीन में मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देते हैं, इसके लिए वे उम्मीदवार के सामने वाले बटन को प्रेस करते हैं जिससे वोट डाला जाता है। वोटिंग प्रक्रिया जब समाप्त होती है उसके पश्चात प्रत्येक राउंड में एक बार में 14 EVM मशीनों पर ही गिनती की जाती है। अर्थात एक राउंड में 14 मशीनों के वोटों की गिनती होनी शुरू होती है। गिनती सम्पूर्ण होने के बाद परिणामों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है इसे ब्लैक बोर्ड पर दर्ज किया जाता है।

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