योजक चिह्न: हिंदी व्याकरण को सही तरीके से समझने और लिखने के लिए सम्पूर्ण चिन्हों का ज्ञान होना बेहद जरूरी है, तभी हम पुरे वाक्य के अर्थ को समझ पाएंगे। किसी भी वाक्य को भली-भाँति व्यक्त करने के लिए कई तरह के चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उनमें से योजक चिन्ह भी महत्वपूर्ण है। तो आइये जानते है योजक चिन्ह की परिभाषा एवं उसको प्रयोग करने के खास नियम।
इसी प्रकार से हमें विराम चिन्ह का ज्ञान, भेद, प्रयोग और नियम के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
योजक चिन्ह परिभाषा
योजक चिन्ह वह होता है, जो दो शब्दों को जोड़ने का कार्य करता है। इसे अंग्रेजी में connector भी कहते है। योजक चिन्ह को हिंदी व्याकरण (-) चिन्ह से दर्शाते है। जैसे: दिन -रात, सुबह- शाम, दाल- चावल, सुख-दुःख, अच्छा – बुरा और माता – पिता आदि।
Yojak Chinh (-) के उदाहरण
- बहुत दिनों से दिन-रात बारिश आ रही है।
- अब सुबह – शाम ठंडा होने लग गया है।
- हर किसी की जिंदगी में सुख – दुःख आते- जाते रहते है।
- आज खाने में दाल – चावल बना है।
योजक चिन्ह प्रयोग एवं नियम
मूल रूप से योजक चिन्हों का प्रयोग दो शब्दों को जोड़ने के लिए किया जाता है, लेकिन इन दोनों शब्दों का अपना -अपना महत्व होता है, अर्थात दोनों शब्द स्वतंत्र होते है। जैसे – माता- पिता, भाई -बहिन, दिन – रात आदि। इन शब्दों में दोनों पद प्रधान होते है, एवं दोनों शब्दों के मध्य ‘और’ शब्द लुप्त हो, तो वहां पर योजक चिन्ह (-) का प्रयोग किया जाता है।
नियम :-
- नियम 1 – दो विपरीत शब्दों का सही-सही उच्चारण करने के लिए योजक चिन्ह का प्रयोग होता है, जैसे – शुभ -लाभ, माता -पिता, दिन-रात, बेटा- बेटी, गरीब – अमीर, उतार – चढ़ाव, हार -जीत इत्यादि।
- नियम 2 –ऐसे शब्द जिनमे दोनों पद प्रधान होते है, द्वन्द समास में अधिकतम ऐसे पदों का प्रयोग होता है, जिसका अर्थ एक समान ही होता है, केवल बोल-चाल की भाषा में योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, जैसे – खान-पान, मोटा- ताजा, घास-फूस, सड़ा-गला, मान-मर्यादा, दीन-दु:खी इत्यादि।
- नियम 3 –ऐसे दो विशेषण पद जो संज्ञा के अर्थ के लिए प्रयोग किये जाते है, जैसे – लूला- लंगड़ा, भूखा- प्यासा, अन्धा – बहरा इत्यादि।
- नियम 4 –ऐसे दो शब्द जिनमे एक सार्थक एवं दूसरा निरर्थक हो तब योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, जैसे – चाय-वाय, रोटी-बोटी, खाना-वाना, पानी-वानी, झूठ-मूठ, शाम-वाम, परमात्मा-अरमात्मा इत्यादि।
- नियम 5 –जब किसी शब्द में दो संयुक्त क्रियाओं को एक साथ प्रयुक्त किया जाता है, तब योजक चिन्ह लगाया जाता है। जैसे – मरना-जीना, खाना-कमाना, आना-जाना, करना-धरना, पढ़ना-लिखना, उठना-बैठना इत्यादि।
- नियम 6 –कई बार समान अर्थ रखने वाले शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। सेठ-साहूकार,कूड़ा-कचरा, कपड़े-लत्ते, घास-फूस
- नियम 7 –किसी वाक्य में दो समान शब्दों का उच्चारण करने या पुनरावृति होने पर योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे – राम- राम, अलग- अलग, बीच-बीच, आगे-आगे, पीछे-पीछे इत्यादि।
- नियम 8 –अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण में जब दो शब्दों के मध्य में सा, से शब्द जोड़े जाते है, तो उस समय योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे : कम – से – कम, अधिक – से अधिक इत्यादि।
योजक चिह्न से सम्बंधित सवाल FAQs
योजक चिह्न किसे कहते है?
हिंदी व्याकरण में दो शब्दों के मध्य संबंध प्रकट करने या शब्दों के अर्थ को सटीक तरीके से स्पष्ट करने के लिए योजक चिन्ह (-) का प्रयोग किया जाता है।
योजक चिन्ह के कुछ उदाहरण बताइये?
योजक चिन्ह के कुछ उदाहरण – उल्टा- सीधा, लड़का – लड़की, बहुत- सी – बातें, राधा- कृष्ण, माता – पिता, बच्चा – बच्चा , दिन – रात, पढ़ना – लिखना और मारना – पीटना आदि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण में योजक चिन्ह का प्रयोग कैसे होते है?
निश्चित संख्यावाचक विशेषण में जब दो संख्या पद एक साथ प्रयोग किए तब दोनों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे – एक -एक, दो- चार, दस- बीस, चालीस – पच्चास, पहला- दूसरा।